सड़क समाचार पत्रिका (जनता की आवाज) 🌎: social activities

सड़क समाचार पत्रिका(जनता की आवाज़) एक हिंदी समाचार वेबसाइट और मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है जो भारतीय राजनीति, सरकारी नीतियों, सामाजिक मुद्दों और समसामयिक मामलों से संबंधित समाचार और जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है। मंच का उद्देश्य आम लोगों की आवाज़ को बढ़ाना और उनकी चिंताओं और विचारों पर ध्यान आकर्षित करना है।

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02/11/2024

राजनीतिक विषयों पर हरिश्चंद्र केवट की रिपोर्ट

नवंबर 02, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज           माननीय *क्या सिर्फ पूंजीपति, व्यापारी चुनाव लड़ेंगे और मुनाफा कमायेंगे*


                        आज देश को आजादी मिले 78 वर्ष बीत चुके हैं,इस बीच देश में कई सरकारें आईं और गईं, तथा चल रही है। सन् 1947 में जब देश को आजादी मिली थी, उस समय आजादी के नायकों का एक ही सपना था कि उन्हें स्वराज्य मिलेगा अर्थात अपना राज।अपने राज का मतलब था जो जहां है जो काम कर रहा है अपने मूल्यों मान्यताओं के साथ सम्मानजनक तरीके से जीवन जीयेंगे लेकिन हुआ क्या?आज का दौर भयंकर पूंजीवादी व्यवस्था से घिरा है,हर सरकार और सरकारी कर्मचारी बस पूंजीपतियों के लिए काम कर रहा है।आज सरकार और सरकारी कर्मचारी यह भुल चुके हैं कि यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है, सत्ता में पहुंचकर हर कोई अपने नियम कानून बनाकर काम कर रहा है, सरकारी कार्यालयों में जनता के साथ जो दुर्व्यवहार किया जाता है वह कल्पना से परे है।जिस अपमान और उपेक्षा का शिकार आम नागरिक करता है उससे कहीं भी नहीं लगता कि इस आजाद देश में उसके लिए कोई नागरिक अधिकार हैं।तमाम पीड़ा,उपेक्षा, ज़ुल्म,सितम सहकर भी लोग अपने पसीने से इस देश को सींचते जा रहें हैं और जनता की मेहनत की कमाई को लुटकर हर रोज सैकड़ों लोग करोड़पति बन रहें हैं, लखपति बन रहें हैं,भवन ,भूमि, आलीशान और विलासितापूर्ण जीवन जी रहें हैं।देश में असमानता का आलम करीब से देखना है तो हमारी शिक्षा व्यवस्था को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यवस्था द्वारा कितना भयंकर षड्यंत्र रचा जा चुका है। लोगों को अनपढ़ रखो जिससे लोग सवाल न करें, ग़रीबी और बदहाली में जीने को विवश हो और उनको आसानी से बरगलाया जा सकें,उनको सस्ता मजदूर बनाया जा सके,उनके श्रम को लूटा जा सकें। व्यवस्था चाहतीं हैं कि लोगों के साथ में कलम कापी और किताब आएं बल्कि वर्तमान व्यवस्था चाहतीं हैं जनता को धन्ना सेठों की फैक्ट्रियों में पसीना बहा बहाकर, उनके लिए अय्याशी के सामान बनाते रहे।ऐसा नहीं कि यह खेल नया हैं बल्कि आजादी के पहले से ही अनवरत जारी है।सारी सरकारें पूंजिपतियों के पलड़े में झूलतीं रहीं, जनता के पलड़े में तो बस आते रहें लोक-लुभावने वादें और कभी न पुरे होने वाले सपने।
ऐसा नहीं की देश की जनता ने प्रतिरोध नहीं किया,हर वक्त इस देश में व्यवस्था की तानाशाही के खिलाफ आवाजें उठती रही है लेकिन इन उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए जगह-जगह सत्ता पक्ष और पूंजीपतियों के दलाल लगे हुए हैं। जनता के बीच बनावटी चेहरा लेकर घूम रहें पूंजीपतियों के दलालों के कारण आज गैरबराबरी की खाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, हालांकि इस गैरबराबरी के लिए और भी कारक जिम्मेदार हैं।

*जनता क्या करें?*

इस वर्तमान परिस्थिति से निकलने और अपने लिए सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जनता को आगे आना होगा। जनता को अपना नेता चुनना ही होगा,वह नेता जो आम जनता के मुद्दे पर लड़ता हो,जो सामान्य लोगों की भांति जीवन जीता हों,जो दुसरो को अपना समर्थन नहीं बल्कि साथी मानता हों।

जननेताओं को निकल पड़ना होगा अपने परिवर्तन के विचारों के साथ,वे विचार जो वर्तमान व्यवस्था को बदलने में कारगर साबित हो और जो अभी के परिस्थितियों में गढ़े गए हों।किसी प्रचलित विचारों की पृष्ठभूमि पर नये विचार की बुनियाद बनाने से पहले बहुत बारीकी से चिंतन करना होगा।आज ज्यादातर नेतृत्वकर्ता पुराने विचारों के भंवर में फंसे हुए हैं, उन्हें उससे निकलकर एक तेज धार नदी सी बहते विचारों को आत्मसात करना होगा और दूसरे जननेताओं और जनता को साथ सम्मिलित करना होगा।

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जारी रहेगा।

हरिश्चंद्र केवट 
राजनीतिज्ञ 
9555744251

13/10/2024

कामरेड साईं बाबा को लाल सलाम

अक्तूबर 13, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *कॉमरेड* *साईबाबा* *को* *लाल* *सलाम* !
Red star
रोडवे-न्यूज़ पर नवीनतम समाचार और जानकारी के लिए पढ़ें और देखें 


सीपीआई (एमएल) रेड स्टार दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।जिन्हें फासीवादी क्रूर कानूनों के तहत एक दशक से अधिक समय तक जेल में रखा गया था और कुछ महीने पहले सबूतों की कमी और अभियोजन पक्ष द्वारा उनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफलता के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था। हम उनके तमाम परिजनों/  इष्ट मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।नवीनतम समाचारों के लिए यहां क्लिक करें

हालांकि प्रोफेसर साईबाबा की मृत्यु का तात्कालिक कारण ऑपरेशन के बाद की जटिलताओं को माना जा सकता है, लेकिन  व्हीलचेयर पर बैठे साईबाबा को कई वर्षों तक जेल में रखकर उनकी अकाल मृत्यु के लिए मौजूदा फासीवादी सरकार ही जिम्मेदार है। कोई भी व्यक्ति, अमानवीय जेल-स्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम  और व्हीलचेयर पर बैठे  एक व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में सड़ाने के नतीजे  को समझ सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, वैचारिक स्थिति को बनाए रखना कोई अपराध नहीं है, और कई अवसरों पर न्यायपालिका ने भी इसे बरकरार रखा है।  और यह पूरी तरह जानते हुए भी, माओवादियों से कथित संबंधों के लिए किसी व्यक्ति को जेल में डालना, खासकर तब जब  उस  व्यक्ति के शरीर का अधिकांश हिस्सा  शारीरिक अक्षमता का शिकार  हो और जब उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा हो, मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है। यह असहमति व्यक्त करने के मूल लोकतांत्रिक अधिकार के साथ-साथ स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के भी खिलाफ है।

कॉमरेड साईबाबा की असामयिक मृत्यु के पीछे फासीवादी वैधता की कड़ी निंदा करते हुए, हम एक बार फिर उन्हें अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

फासीवाद मुर्दाबाद!

पी जे जेम्स
महासचिव
सीपीआई (एमएल) रेड स्टार

नई दिल्ली
13.10.2024

06/10/2024

एस.एल.ठाकुर द्वारा अपने पार्टी नेता से की गई अपील

अक्तूबर 06, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.       
राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.एल.ठाकुर 

      ,🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सम्मानित साथियों मैं एस,एल, ठाकुर सम्मानित ग्रुप के साथियों का प्रातः कालीन का इंकलाबी अभिवादन करता हूं साथ ही मैं एक बहुत ही प्रबल अपील आप सभी से करना चाहता हूं क्योंकि मैं सत्य के रास्ते पर चलकर के अग्नि परीक्षाअधिक जानकारी के लिए देने से भी पीछे नहीं हटता, आज मेरा यही आचरण सफलता की एक-एक सीढ़ी के तरफ नया इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। जिसका उदाहरण आपके समक्ष है। भारतीय जीवन बीमा निगम के अंदर एक संघर्ष का इतिहास और उपलब्धियां का इतिहास है। जिसकी प्रामाणिकता के लिए आप हमसे या हमारे मित्रों से संपर्क करके संतुष्ट हो सकते या राष्ट्रीय अभिकर्ता जन क्रांति पत्रिका की प्रमाणिकता को देख सकते हैं। पूरे देश के अंदर लाखों, लाख अभिकरण का कार्य करते हुए अभिकर्ताओं एवं संस्था के हितों में संघर्ष और उसके माध्यम से उपलब्धियां का इतिहास रहा है। मेरे नेतृत्व में ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन नमस्तेके बैनर के तहत दमनकारी भारत सरकार एवं प्रबंधन की नीतियों के विरोध, जी, एस, टी कर कानून, विनिवेश, निजीकरण सहित चार्ट ऑफ़ डिमांड पर। वर्षों, वर्षों तक संघर्ष धरना प्रदर्शन, काला दिवस, प्रबंधन का सामाजिक बहिष्कार, मानव श्रृंखला, पुतला दहन, सड़कों पर जुलूस, अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को ज्ञापन, भारत सरकार को ज्ञापन, कार्यालयों का घेराव, जिला अधिकारी महोदय के माध्यम से ज्ञापन, अनशन, आमरण, अनशन के रूप में पूरे देश के अंदर लाखों लाख अभिकर्ताओं में एक अपने नेतृत्व की पहचान संगठन की पहचान रही हैं। संविधान और कानून के दायरे में प्रबंधन से अधिकतर मांगों को मनवाने में संगठन सफल रहा यह है। सत्य के रास्ते पर इंकलाब की ताकत, विचारों की प्रबलता की ताकत यह मेरा आचरण है। कारण की मैं भ्रष्टाचारी अन्यायी, अत्याचारी से ना डरता हूं ना घबराता हूं। जिसकी प्रमाणिकता, सत्यापन आप द्वारा कभी भी हमसे या मेरे साथियों से मिलकर के किया जा सकता है। आई आई अन्य भ्रष्टाचार आगे दमनकारी नीतियों के विरोध हम संघर्ष के लिए आगे बढ़ते हैं मात्र एक ही शर्त है कि आपका समर्थन पूरी ईमानदारी से मेरे साथ हो फिर गारंटी है कि जीत तो अपनी होगी। 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद।अधिक ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें

22/09/2024

बिहार और देश में दलित समुदाय के साथ मनुवादियों द्वारा हिंसा एक रिपोर्ट

सितंबर 22, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज           **नवादा* , *बिहार* : *महादलितों* *पर* *अत्याचार* *नीतीश* *सरकार*  *द्वारा* *मनुवादी* *फासीवादी* *ताकतों* *के* *तलवे* *चाटने* *का* *नतीजा*
 
 *कॉरपोरेट* - *भूस्वामी* - *भगवा* *मनुवादी* *जातिवादी* *गठजोड़* *के* *खिलाफ* *संघर्ष* *करें*
  
 *जाति* *जनगणना* *की* *मांग* *पर* *एकजुट* *हों**

- *जाति* *उन्मूलन* *आंदोलन* 
रोडवे न्यूज़ मैगजीन की बंडू मेश्राम से ताज़ा रिपोर्ट 


बिहार के नवादा जिले में 18 सितंबर को एक भयावह घटना घटी है। तथाकथित उच्च जाति के दबंगों ने(  प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इनमें यादव और दलित पासवान समुदाय के लोग भी  शामिल थे) कृष्णा नगर महादलित बस्ती में ग़रीब महादलितों के साथ मारपीट की, 40-50 घरों को आग लगा दी। इस हमले में महादलितों के घर जलकर खाक हो गए, उनकी संपत्ति नष्ट हो गई और उन्हें गाँव से भागने पर मजबूर कर दिया गया। इस घटना ने यह दिखाया कि आज भी समाज में जातिगत उत्पीड़न और आतंक गहराई से जड़ जमाया हुआ है। यह हमला न केवल जातिगत उत्पीड़न और जमीन  पर स्वामित्व की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज की कॉरपोरेट भगवा फासीवादी व्यवस्था,  निर्मम जातिव्यवस्था  का किस तरह फायदा उठाती है।

नवादा की घटना कोई एकाकी घटना नहीं है; भारत में दलितों पर होने वाले अत्याचारों का एक लंबा इतिहास है। हाल की ही कुछ घटनाओं पर नज़र डालें तो यह साफ़ हो जाता है कि आज भी देशभर में दलितों/ उत्पीड़ितों पर अत्याचार जारी है। 

-हाथरस, उत्तर प्रदेश (सितंबर 2020):19 साल की दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। इस मामले में न केवल पुलिस और  प्रशासन की मिलीभगत सामने आई, बल्कि फासिस्ट योगी आदित्यनाथ सरकार का रवैया भी पूरी तरह से जातिगत भेदभाव से प्रेरित दिखा। लड़की का रातों-रात अंतिम संस्कार कर दिया गया, ताकि घटना पर पर्दा डाला जा सके। इस घटना की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने भीषण प्रताड़ित किया विशेषकर केरल के पत्रकार सिद्धिक कप्पन को जो कि निरपराध थे जेल में बरसों सड़ाया गया।यहां ,हाथरस कांड के बलात्कारी हत्यारे लोग राजपूत ठाकुर जाति के थे ,लेकिन  गोदी मीडिया ने इस बात का उल्लेख नहीं किया।

-गुजरात, ऊना (2016): चार दलित युवकों को मृत गाय की खाल उतारने के लिए सार्वजनिक रूप से पीटा गया और उन्हें जीप में बांधकर अर्ध नग्न अवस्था में घसीटा गया।ये क्रूर अत्याचार ,खुद को सांस्कृतिक संगठन कहने वाले संघ परिवार के आनुषंगिक संगठन के नेतृत्व में हुआ।

-उत्तर प्रदेश, गोहरी इलाहाबाद  में सामूहिक गैंग रेप और हत्याकांड( 2021):
गोहरी में योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में एक दलित मजदूर के परिवार में पति, पत्नी,किशोरी बेटी और विकलांग बेटे की हत्या ,दबंग जाति के भूस्वामी परिवार के लोगों ने कर दी।हत्या के पहले मां और बेटी के साथ गैंग रेप किया गया। आज तक पुलिस ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की।

-उन्नाव कांड,उत्तर प्रदेश( 2020):
ये तो बहुत चर्चित कांड है जहां भाजपा का बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने दलित लड़की के साथ बलात्कार कर उसे जान से मारने की कोशिश की और उस लड़की के परिवार में कई लोगों का खून कर दिया।उस पर पूरी भाजपा सरकार का संरक्षण होने के कारण ,उसे गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने में भी बहुत मुश्किलें सामने आई।आज तक हाथरस,गोहरी की तरह उन्नाव कांड में भी पीड़ितों को सही तरीके से न्याय नहीं मिल पाया है।
-तमिलनाडु, विल्लुपुरम (2021): दलित समुदाय के लोगों पर ऊँची जाति के लोगों ने हमला कर दिया। उन्हें जमीन और पानी जैसे बुनियादी संसाधनों से वंचित करने के लिए लगातार दबाव बनाया गया। दलितों को उनकी जमीनों से बेदखल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए।
-उत्तर प्रदेश, औरैया (अप्रैल 2023): एक दलित परिवार पर उच्च जाति के लोगों ने सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने गाँव के कुएँ से पानी लेने की कोशिश की थी। इस मामले में भाजपा सरकार की पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दलित परिवार पर ही झूठे आरोप लगाए।
-मध्य प्रदेश, सागर (जून 2023): राज्य में भाजपा शासन काल के दौरान एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई क्योंकि उसने ऊँची जाति के व्यक्ति के साथ बात करने की “जुर्रत” की थी। भाजपा शासित मध्य प्रदेश के सीधी जिले में  भाजपा के एक ब्राम्हण नेता ने आदिवासी युवक पर पेशाब कर दिया था।ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे आज भी दलितों को सामाजिक व्यवस्था में निचले पायदान पर रखा जाता है और उन्हें अपने मौलिक अधिकारों से वंचित किया जाता है।ज्यादातर जातिगत उत्पीड़न की घटनाएं भाजपा जहां सत्तासीन है वहां और मोदी सरकार के दस सालों से भी अधिक के शासन में हुए हैं,और अभी भी जारी हैं।

ऐसी घटनाएं बार-बार बताती हैं कि आज भी देश के अधिकांश हिस्सों में दलित और आदिवासी समुदाय जातीय अत्याचार का शिकार है। अगर आंकड़ों की बात करें तो, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दलितों के खिलाफ अत्याचार के 50,291 मामले दर्ज हुए। मोदी सरकार के दस सालों में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।ये आंकड़े हमें इस कड़वी सच्चाई का एहसास कराते हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के दावों के बावजूद, जातिगत उत्पीड़न की जड़ें हमारे समाज में आज भी गहरी हैं। आज भी ब्राम्हणवादी उच्च जातियों के पास अधिकांश कृषि भूमि का स्वामित्व है। दलितों को संपत्ति ,शिक्षा और जमीन से वंचित रखना मनुवादी जातिवादी व्यवस्था की वह कड़ी है, जो उन्हें न केवल आर्थिक रूप से कमजोर करती है, बल्कि सामाजिक रूप से भी उनके सम्मान और अधिकारों का हनन करती है। 

आज दलितों/ उत्पीड़ितों,आदिवासियों,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमान जनता और महिलाओं के खिलाफ  घोर मनुवादी पितृसत्तात्मक बहुसंख्यकवादी  फासिस्ट दमन बहुत तेज हो गए हैं तो 
इसमें आश्चर्य नहीं  होना चाहिए।क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस के नेतृत्व में पूरे देश और समाज का फासीवादीकरण हो गया है।आरएसएस का वैचारिक आधार निर्मम मनुस्मृति है।जिसके अनुसार तमाम दलित/ उत्पीड़ित,पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय और महिलाओं को मानव का दर्जा  नहीं बल्कि ताकतवर ब्राम्हणवादियों के गुलाम का  दर्जा प्रदान किया गया है।फासिस्ट संघ परिवार का हिंदुराष्ट्र ,महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी सरीखे धन्ना सेठों का हिंदुराष्ट्र है।जिसमें देश के 80 फीसदी बहुजनों की हालत कीड़े मकोड़े से ज्यादा नहीं है।मनुस्मृति आधारित इस हिंदुराष्ट्र का आधार है क्रूर जाति व्यवस्था,जिसे आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन जायज ठहराते हैं। 1947 के पहले के उपनिवेषिक व्यवस्था / गुलामी के दौरान और  1947 के  बाद भी नव उपनिवेशिक व्यवस्था के तहत  शासक वर्गों(  साम्राज्यवाद के दलाल कॉरपोरेट पूंजीपतियों और भूस्वामी वर्ग ) ने जाति व्यवस्था और जातिगत शोषण को न सिर्फ बनाये रखा है, बल्कि इसे अपने फायदे के लिए और इससे तालमेल बिठाकर बेहतर इस्तेमाल भी कर रहा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और आरएसएस मनुवादी फासीवाद  का गठजोड़ एक ऐसी क्रूर जाति व्यवस्था बनाता है जिसमें ग़रीब दलितों/ उत्पीड़ितों को हमेशा शोषित और वंचित बनाए रखा जाता है। साम्राज्यवादी और कॉरपोरेट पूंजीवादी व्यवस्था का मुनाफा तभी सुरक्षित रहता है जब समाज में असमानता,नफ़रत और विभाजन बना रहे। जाति की दीवारें इस असमानता को बनाए रखने का सबसे मजबूत साधन हैं। ब्राम्हणवादी ऊँची जातियाँ, कॉरपोरेट धन्नासेठ  और सत्ता में बैठे लोग मिलकर ग़रीब दलितों की ज़मीनें हड़पते हैं, उन्हें कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर करते हैं और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को रोकते हैं।

असल में भारत और नेपाल में जहां निर्मम जाति व्यवस्था मौजूद है वह दलितों/ उत्पीड़ितों जो कि समाज का बड़ा मेहनतकश वर्ग है के श्रम के अतिरिक्त मूल्य / बेशी मूल्य को लूटने का सबसे बड़ा आयोजन हजारों सालों से शासक वर्गों कर रहा है।

आज जब फासिस्ट आरएसएस  और उसके राजनैतिक उपकरण भाजपा जैसे फासिस्ट संगठन "हिंदू एकता" का नारा लगाते हैं, तो यह सवाल उठता है कि वे दलितों पर होने वाले अत्याचार पर चुप क्यों हैं। असल में, इन्होंने तो शूद्रों ( ओबीसी) या अति शूद्रों( दलित/ उत्पीड़ित) को कभी सनातनी हिंदू माना ही नहीं।सिर्फ चुनाव के समय इन्हें दलितों, उत्पीड़ितों,आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों की याद आती है।जब ये हिंदू खतरे में है कहकर मंदिर और कमंडल के पक्ष में लोगों को मंडल( बहुजन/ दलित राजनीति / दर्शन) से दूर करने का पुरजोर कोशिश करते हैं।इन पार्टियों की राजनीति ही  कॉरपोरेट धनिकों और ऊँची जातियों के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए है। ये संगठन केवल "हिंदू एकता" का मुखौटा पहनते हैं, लेकिन उनके असली एजेंडे में जातिगत भेदभाव और कॉरपोरेट पूंजीवादी हितों की सुरक्षा होती है। जब नवादा जैसी घटनाएँ होती हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि ये पार्टियाँ दलितों के पक्ष में नहीं, बल्कि ऊँची जातियों के दबंगों,भूस्वामियों और पूंजीपतियों के साथ खड़ी हैं। यह उनका पाखंड और दोहरी नीति है।इसीलिए फासिस्ट संघ परिवार,जाति जनगणना का कट्टर विरोधी है।क्योंकि इससे इसके हिंदुराष्ट्र का गुब्बारा फट जायेगा।

नवादा की घटना से हमें यह सबक लेना होगा कि  मनुवादी जातिगत उत्पीड़न और कॉरपोरेट पूंजीवादी शोषण आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। जब तक इस कॉरपोरेट भगवा मनुवादी व्यवस्था को चुनौती नहीं दी जाएगी, तब तक दलितों/ उत्पीड़ितों का शोषण जारी रहेगा।दूसरी महत्वपूर्ण बात है अन्य पिछड़े वर्गों और दलितों में से कुछ तबकों का अति दलित या महा दलितों के प्रति विरोध और उपेक्षा।आरएसएस यही  तो चाहता है कि  पहचान की राजनीति या सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर समाज के 80 फीसदी दलित/ उत्पीड़ित , पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय आपस में लड़ते रहें ।हरियाणा के नूह से लेकर मणिपुर तक संघ परिवार इसी नफ़रत और विभाजन के जहर  को फैला रहा है।आज जरूरत है महा दलितों या दलितों में जो पिछड़े हैं उन तबकों को भी दलितों के बराबर उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान देने की। इसके लिए हमें जाति आधारित जनगणना की मांग को लोकप्रिय बनाते हुए देशव्यापी साझा अभियान चलाना होगा।
आज वक्त की पुकार है कि मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ तमाम दलित / उत्पीड़ित, पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाएं एक होकर फौलादी एकता बनाएं और एक जातिविहीन धर्मनिरपेक्ष ,लैंगिक समानता और वैज्ञानिक चेतना युक्त समतावादी समाज के निर्माण के लिए साथ साथ  लड़ें।जाति और पूंजी का यह गठजोड़ न केवल दलितों, बल्कि पूरे मेहनतकश समाज के लिए खतरा है। इसे समाप्त किए बिना न तो समाज में सच्ची समानता आएगी और न ही सामाजिक न्याय।

यह समय है कि मेहनतकश शोषित पीड़ित जनता जाति और धर्म की दीवारों को तोड़कर एकजुट हो। यह केवल दलित समुदाय का मुद्दा नहीं है, यह पूरे समाज का मुद्दा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और  भगवा मनुवादी जातिवाद का ख़ात्मा करके ही हम एक ऐसे समाज की स्थापना कर सकते हैं, जहाँ समाज की 80 फीसदी गरीब शोषित/ उत्पीड़ित,  मेहनतकश जनता को समान अधिकार, सम्मान और न्याय मिले।जनता को लूटने वाले कॉरपोरेट भगवा मनुवादी फासिस्ट ताकतों का नाश हो।

—बंडू मेश्राम, एम के डासन,तुहिन
जाति उन्मूलन आंदोलन संयोजक मंडल की ओर से
( संपर्क 9425560952)

नई दिल्ली,22 सितंबर 2024

20/09/2024

जनसंघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़

सितंबर 20, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         प्रेस विज्ञप्ति 


 *जन* *संघर्ष* *मोर्चा* , *छत्तीसगढ़* *ने* *बिलासपुर* *में* ** *फिलिस्तीन* *का* *झंडा* *लहराने* *के* *आरोप* *में* *हिंदूवादी* *संगठनों* *के* *दबाव* *में* *अल्पसंख्यक* *समुदाय* *को* *प्रताड़ित* *करने* *के* *लिए* *पुलिस* *प्रशासन* *की* *कड़ी* *निन्दा* *की* 

बिलासपुर सहित पूरे राज्य में शांति व सौहाद्र के माहौल को बिगाड़ने की साजिश का लगाया आरोप

रायपुर,छत्तीसगढ़,20 सितंबर 2024 ।विदित हो कि गत दिनों ईद के अवसर पर तोरण में फिलिस्तीन के झंडे की आकृति उकेरने को लेकर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ,फासिस्ट संघ परिवार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने पूर्वाग्रह पूर्ण कारवाई की।पुलिस ने फिलिस्तीन का झंडा लहराने के आरोप में मुस्लिम समुदाय के 20-25 लोगों को हिरासत में लिया,तोरण बनाने वालों को  आरोपी बनाया और उन्हें परेशान  करने के लिए जमानत  का भी विरोध किया जा रहा है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने इस पूरे घटनाक्रम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि फिलिस्तीन राष्ट्र को पूरे विश्व जनमत के साथ भारत ने भी लंबे समय से मान्यता दे रखी है।गुट निरपेक्ष आंदोलन के समय से ही भारत ,इजरायल द्वारा फिलिस्तीन पर बलपूर्वक कब्जे का और कत्ल ए आम  का पुरजोर विरोध करता आया है और फिलिस्तीन के मुक्ति संघर्ष का समर्थन करता आया है।लेकिन पिछले दस सालों से अधिक समय से सत्तारूढ़ धुर दक्षिणपंथी मोदी सरकार जो फासिस्ट आरएसएस के मार्गदर्शन में संचालित होती है,ने यहुदीवादी युद्ध अपराधी हत्यारे इजरायल का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करना शुरू किया है।और ये किया जा रहा है इस्लामोफोबिया या मुसलमानों को सारी समस्याओं को जड़ बताते हुए उनको प्रताड़ित करना या हमलों का निशाना बनाते हुए।मोदी सरकार  ,अमरीकी साम्राज्यवाद के निर्देश पर  इजरायल को हथियारों की मदद,कूटनैतिक मदद और रक्षा/ जांच मामलों में परस्पर सहयोग से लेकर इजरायल के आग्रह पर युद्ध ग्रस्त फिलिस्तीन में भारतीय मजदूरों को जान जोखिम में डालकर भेज रही है । पिछले एक वर्ष में इसराइल ने गाज़ा पट्टी,वेस्ट बैंक, सीरिया और लेबनान में 45000 से अधिक निरपराध फिलिस्तीनी नागरिकों को मार डाला है और 90000 से अधिक लोगों को गंभीर रूप से घायल किया है।इनमें से आधे  मरीज और बच्चे हैं।हाल ही में इसराइल की दुनिया में सबसे घृणित आतंकी  गुप्तचर संगठन" मोसाद"( भारत सरकार   देश में पेगासस वायरस के जरिए सरकार  विरोधी लोगों की जासूसी और रक्षा एवम गृह मंत्रालय के कार्यक्रमों   में इसी मोसाद से सहयोग ले रही है ) ने पेजर,मोबाइल फोन आदि में रिमोट कंट्रोल के जरिए विस्फोट करके लेबनान के शरणार्थी शिविरों में कई फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या की ओर बड़े पैमाने पर लोगों को घायल किया है।जब संयुक्त राष्ट्र संघ में इसराइल को फिलिस्तीन में चलाए जा रहे जन संहार को रोकने और फिलिस्तीन पर इसराइल के कब्जे को अवैध ठहराने का प्रस्ताव लाया जाता है तो मोदी सरकार तमाम गुट निरपेक्षता की नीतियों को तिलांजलि देकर इसराइल का समर्थन करते हुए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करती या  बहिर्गमन(वॉक आउट) करती है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने सवाल उठाया है कि फिलिस्तीन के झंडे को दिखाना कब से आतंकवादी कृत्य हो गया। हमारे देश में कम से कम 20 राज्यों में पूरी दुनिया की तर्ज पर फिलिस्तीन में इसराइल द्वारा संचालित जन संहार को रोकने के लिए प्रदर्शन और सेमिनार आयोजित किए गए हैं,तो क्या मोदी सरकार उन सबको गैरकानूनी करार दे देगी।मोर्चा ने कहा कि हिंदूवादी संगठन,भाजपा सरकार की गरीबी,बेरोजगारी,मंहगाई हर मोर्चे पर घोर असफलता को  ढकने के इरादे से नफ़रत और विभाजन का जहर पैदा कर जनता को भ्रमित करना चाह रही है।जनता को मालूम होना चाहिए कि ये सब राज्य में शांति और सौहार्द के माहौल को बिगाड़ने की साजिश है।फिलिस्तीन राष्ट्र को संयुक्त राष्ट्र संघ ने तीस साल पहले से मान्यता दे रखी है और फिलिस्तीन हमेशा से भारत का मित्र रहा है।आतंकवादी और दुष्ट राष्ट्र अगर कोई है तो वह इजरायल है जो दुनिया को फिर से विश्व युद्ध की आग में झोंक देना चाहता है।जिसके साथ मोदी सरकार गलबहियां डाल रही है।जन संघर्ष मोर्चा ने छत्तीसगढ़ में शांति और सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश रचने वाले संगठनों को चिन्हित कर कारवाई करने की मांग की है।

प्रसाद राव,लखन सुबोध,एडवोकेट शाकिर कुरैशी, सौरा,कलादास,सविता बौद्ध,नीरा डहरिया,तुहिन
(जन संघर्ष मोर्चा 
संयोजक मंडल की ओर से )
संपर्क-9981743344,9301802425,9425560952

16/09/2024

सत्य गृह राजघाट वाराणसी के छठे दिन मिहिर प्रताप दास

सितंबर 16, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *छठा दिन*
16 सितंबर 2024
सत्याग्रह स्थल
राजघाट, वाराणसी
राजघाट वाराणसी 


*न्याय के दीप जलाएं* 
 100 दिनो का सत्याग्रह आज छठे दिन में प्रवेश कर गया। सुबह 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रह की शुरुआत हुई। *उत्कल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष मिहिर प्रताप दास* उपवास पर बैठे हैं। मूलतः ओडिशा के जाजपुर जिले के रहने वाले 58 वर्षीय मिहिर दास 1995 से गांधी विचार के प्रचार- प्रसार में संलग्न हैं।इनका परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहा है और पिता समाजवादी विचार से जुड़े थे और विधायक भी रहे। मिहिर अखबारों में कॉलम लिखते हैं। इनकी पहचान एक समर्पित व्यक्तित्व के रूप में है।

*गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता - मिहिर प्रताप दास*

उपवास सत्याग्रही मिहिर प्रताप दास ने सर्व सेवा संघ परिसर के विध्वंस को दुर्भाग्यपूर्ण और गांधी विचार के लिए चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस परिसर के जरिए समाज में नैतिक, रचनात्मक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को विकसित करने के कार्यक्रम चलाए जाते थे। इसके विध्वंस ने इन प्रयासों पर आघात तो किया है लेकिन गांधी विचार परंपरा- जिसमें विनोबा, जयप्रकाश सभी शामिल हैं, जो भी दुनिया का भला चाहते हैं- अमर है। गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता। 

*लोकतंत्र की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है* अलख भाई

सर्वोदय आंदोलन के 87 वर्षीय अलख भाई ने आज सत्याग्रह में शामिल होकर कहा कि कल अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस था। पूरी दुनिया में लोकतंत्र को अबतक के सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था के रूप में मान्यता मिली हुई है। हमारे देश में भी स्वतंत्रता आंदोलन के कर्णधारों ने लोकतंत्र की स्थापना की। परंतु आज जिन पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन का दायित्व है, वहीं इसके लिए खतरा बन गए हैं। घर के चिराग से ही घर में आग लग रही है। वर्तमान सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है और कानून का सरेआम उल्लंघन कर रही है। ऐसी स्थिति में हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह आगे आए और लोकतांत्रिक व्यवस्था को न केवल संरक्षित करें बल्कि विकसित भी करें।


 *जब जमीन की टोह में आयुक्त परिसर में आए*

18 जनवरी 2023 को *वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा* नमो घाट के आस- पास हो रहे निर्माण कार्य को देखने के क्रम में सर्व सेवा संघ परिसर में भी आए। इसी क्रम में वे प्रकाशन भवन में भी पहुंचे। प्रकाशन की ओर से उन्हें आचार्य विनोबा की प्रसिद्ध पुस्तक *गीता प्रवचन* और महात्मा गांधी की आत्मकथा *सत्य के प्रयोग* उपहार स्वरूप दिया गया। उम्मीद थी कि *वे इन पुस्तकों से प्रेरित होकर सत्य के रास्ते पर चलेंगे* पर अफसोस है कि उन्होंने *असत्य का रास्ता* चुना और सर्व सेवा संघ परिसर की खरीदी हुई *जमीन को हड़पने के षड्यंत्र* में लगे रहे ।

वास्तव में कौशल राज शर्मा नमो घाट की परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त जमीन की तलाश में आए थे। बसंत कॉलेज के तट पर हेलीपैड बन रहा था और इसके लिए एप्रोच रोड की जरूरत थी। यहां यह उल्लेख कर देना उचित है कि ठीक-दो दिन पहले अर्थात 16 जनवरी 2023 को मोइनुद्दीन नामक एक अज्ञात पहचान वाले व्यक्ति ने उप जिला अधिकारी, सदर वाराणसी के यहां खतौनी से सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर नॉर्दर्न रेलवे का नाम अंकित करने का आवेदन दे दिया था।

रोज की तरह आज शाम को सर्व धर्म प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ सत्याग्रह का समापन हुआ।

आज के सत्याग्रह में 87 वर्षीय अलख भाई, 85 वर्षीय कृष्णा मोहंती, रामधीरज,
अशोक भारत, नंदलाल मास्टर, जागृति राही, शुभा प्रेम, अंतर्यामी बरल, चूड़ामणि साहु, गौरांग चरण राउत, ललित मोहन बेहरा, निलेंद्री साहु और शिवजी सिंह, सुरेश,विद्याधर मास्टर, चेखुर प्रजापति, चौ राजेन्द्र, पंकज भाई आदि शामिल हुए।

रामधीरज 
सर्व सेवा संघ

13/09/2024

**भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**

सितंबर 13, 2024 0
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सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज
**भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**
babulal yadav (revolution member)


 
ध्यान में रखते हुए कि यह आयोजन भगत सिंह के जन्मोत्सव के लिए आयोजित किया जा रहा है और इसमें देशभक्त लोगों और समाजवादियों को एकजुट करने का संदेश है, मैं आपके लिए एक ब्लॉग पोस्ट का प्रारूप तैयार कर रहा हूँ। इसे आप अपने हिसाब से और विस्तार से भी कर सकते हैं।
 **भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**
देश के महान स्वतंत्रता सेनानी **भगत सिंह** के जन्मोत्सव पर एक विशेष सम्मेलन का आयोजन **भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)** में किया जा रहा है। यह सम्मेलन **भगत सिंह विचार मंच, कम्युनिस्ट क्रांति केंद्र**, और **सर्वहारा संघर्ष समिति** के तत्वाधान में आयोजित हो रहा है। आयोजन में सभी देशभक्तों, समाजवादियों और आम जनता को शामिल होने का सादर निमंत्रण है। 
**आयोजन का समय और स्थान**
- **स्थान**: भीतेश्वेनाथ मंदिर, हरौरा, चंदौली  
- **समय**: सुबह **10 बजे** से शाम **6 बजे** तक  
- **तारीख**: [यहाँ तारीख जोड़ें, यदि उपलब्ध हो]  
**आयोजक:**
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के आयोजक हैं:
- **विजय यादव**, अध्यक्ष, भगत सिंह विचार मंच  
- **सुदमा पाण्डे**, सचिव, कम्युनिस्ट क्रांति केंद्र  
- संपर्क: **6306413290**
**विषय: देशभक्त और समाजवादी विचारधारा का प्रसार**
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य उन देशभक्तों और समाजवादियों को एक मंच पर लाना है जो कड़ी मेहनत और निष्ठा से समाज को एक बेहतर दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। सम्मेलन में वक्ताओं द्वारा भगत सिंह के विचारों और उनके बलिदान के बारे में चर्चा की जाएगी, साथ ही यह विचार किया जाएगा कि कैसे आज के समय में उनकी विचारधारा को समाज में लागू किया जा सकता है।
**कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:**
- **प्रेरणादायक भाषण**: जाने-माने वक्ता और समाज के प्रख्यात लोग भगत सिंह के विचारों पर चर्चा करेंगे।
- **सांस्कृतिक कार्यक्रम**: स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए जाएंगे।
- **आमंत्रण**: यह कार्यक्रम सभी देशभक्त, समाजवादी और मेहनतकश लोगों के लिए खुला है।


**क्यों शामिल हों?**
भगत सिंह का जीवन और उनकी विचारधारा आज के समय में भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं। यह सम्मेलन न केवल उनकी विचारधारा को सम्मानित करने का एक अवसर है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी उनके बलिदान और विचारों से अवगत कराने का एक मंच है। 

इस कार्यक्रम में भाग लेकर, आप भगत सिंह के आदर्शों के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत कर सकते हैं और समाज के लिए अपना योगदान सुनिश्चित कर सकते हैं।