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21/10/2024

एक नजर में बिहार की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर महापुरुषों की दुनिया में है

अक्तूबर 21, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *🔹True Facts about BIHAR🔹*
_____________________________

*BIHAR* एक इकलौता राज्य जिसके
नाम से हमारे देश का
नाम बनता है .....
B- भारत , bharat 
I - इंडिया , india
H - हिन्दुतान , hindutan
A -आर्यावर्त , aryabrat
R - रिवा , riva , ये इंडिया का बहुत पुराना नाम है

Bihar ka capital ke naam se India ki sabhi misail ka naam hai.
P - Prithvi
A - Agni
T - Trisul
N - Naag
A - Aakash

जो बिहारी बाबू है !
वह इस मैसेज को फैला
दिजिए

कम से कम अपमान करने
वाले को पता चल जाए की
हम किसका अपमान कर रहे है
हम बिहार को झुकने नही देंगे चाहे कोई कितना भी
प्रयास कर ले

जय बिहार जय बिहार

*बिहार* - जिसने देश को पहला राष्ट्रपति दिया !

*बिहार* - जहाँ सबसे पहले महाजनपद बना अर्थात विश्व का पहला लोकतंत्र !

*बिहार* - जहाँ भगवान राम की पत्नी सीता का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ महाभारत के दानवीर कर्ण का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ भगवान् महावीर का जन्म हुआ, बुद्ध और महावीर को ज्ञान मिला !

*बिहार* - जहाँ सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ के राजा चन्द्रगुप्त मौर्य से लड़ने की हिम्मत सिकंदर को भी नही हुई !

*बिहार*- जहाँ का लिट्टी चोखा पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय लिट्टी चोखा के नाम से प्रसिद्ध है !

*बिहार* - जहाँ के राजा महान अशोक ने अरब तक हिंदुस्तान का पताका फहराया और उसका स्तम्भ आज देश का राष्ट्रीय चिन्ह है !

*बिहार* - जो गांधी जी का पहला प्रेरणादायक स्रोत बना जिसने आज़ादी की आधारशिला रखी (चंपारण) !

*बिहार* - जहाँ राजा जरासंध, पाणिनि (जिसने संस्कृत व्याकरण लिखा), आर्यभट्ट जिन्होंने शून्य, दशमलव और सूर्य सिद्धांत दिया, चाणक्य (महान अर्थशास्त्री), रहीम, कबीर का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ के नंदवंश से लड़ने की हिम्मत सिकंदर की भी नही हुई और बिना लड़े विश्वविजेता डर कर भाग गया !

*बिहार* - जहाँ के 80 साल के बूढ़े ने 1857 के क्रांति में दो बार अंग्रेजों को हराया, अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए (बाबु वीर कुंवर सिंह) !

*बिहार* - जहाँ के गोनू झा के किस्से पुरे हिंदुस्तान में प्रसिद्ध है !

*बिहार* - जहाँ सम्पूर्ण क्रांति के जनक महान जय प्रकाश नारायण का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ जन नायक कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ भिखारी ठाकुर (विदेशिया) का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ शारदा सिन्हा जैसी महान भोजपुरी गायिका का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ स्वामी सहजानंद सरस्वती, राम शरण शर्मा, राज कमल झा, विद्यापति, रामधारी सिंह दिनकर, रामवृक्ष बेनीपुरी, फणीश्वर नाथ रेणु , देवकी नंदन खत्री, इन्द्रदीप सिन्हा, राम करण शर्मा, महामहोपाध्याय पंडित राम अवतार शर्मा, नलिन विलोचन शर्मा, गंगानाथ झा, ताबिश खैर, कलानाथ मिश्र, आचार्य रामलोचन सरन, गोपाल सिंह नेपाली, बिनोद बिहारी वर्मा, आचार्य रामेश्वर झा, राघव शरण शर्मा, नागार्जुन आचार्य जानकी बल्लभ शाश्त्री जैसे महान लेखको का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ बिस्स्मिल्लाह खान का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ दशरथ मांझी जैसा Mountain Man का जन्म हुआ !

*बिहार* - जहाँ एक साधारण शिक्षक SUPER 30 जैसा निःशुल्क कोचिंग बिना किसी सहायता के चलाकर गरीब बच्चों को IIT में दाखिला दिलाता है !

*बिहार* - जहाँ आज भी दिलो में प्रेम बसता है !

*बिहार* - जहाँ  भी बच्चे अपने माँ - बाप के पैर दबाये बिना नही सोते !

*बिहार* - जहाँ से सबसे ज्यादा बच्चे देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC और IIT पास करते है !

*बिहार* - जहाँ के गाँव में आज भी दादा-दादी अपने बच्चो को कहानियां सुनाते है !

*बिहार* - जहाँ आज भी भूखे रह के अतिथि को खिलाया जाता है !

*बिहार* – जहाँ आज भी सबसे ज्यादा संयुक्त परिवार है !

*बिहार* - जहाँ के बच्चे कोई सुविधा न होते हुए भी देश में सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी पाते है !

इसी *बिहार* के रहने वाले हैं ! तो क्यूँ न करे खुद के *बिहारी* होने पर गर्व !

 *बिहार* !!👍🏻👍🏻

13/10/2024

कामरेड साईं बाबा को लाल सलाम

अक्तूबर 13, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *कॉमरेड* *साईबाबा* *को* *लाल* *सलाम* !
Red star
रोडवे-न्यूज़ पर नवीनतम समाचार और जानकारी के लिए पढ़ें और देखें 


सीपीआई (एमएल) रेड स्टार दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।जिन्हें फासीवादी क्रूर कानूनों के तहत एक दशक से अधिक समय तक जेल में रखा गया था और कुछ महीने पहले सबूतों की कमी और अभियोजन पक्ष द्वारा उनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफलता के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था। हम उनके तमाम परिजनों/  इष्ट मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।नवीनतम समाचारों के लिए यहां क्लिक करें

हालांकि प्रोफेसर साईबाबा की मृत्यु का तात्कालिक कारण ऑपरेशन के बाद की जटिलताओं को माना जा सकता है, लेकिन  व्हीलचेयर पर बैठे साईबाबा को कई वर्षों तक जेल में रखकर उनकी अकाल मृत्यु के लिए मौजूदा फासीवादी सरकार ही जिम्मेदार है। कोई भी व्यक्ति, अमानवीय जेल-स्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम  और व्हीलचेयर पर बैठे  एक व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में सड़ाने के नतीजे  को समझ सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, वैचारिक स्थिति को बनाए रखना कोई अपराध नहीं है, और कई अवसरों पर न्यायपालिका ने भी इसे बरकरार रखा है।  और यह पूरी तरह जानते हुए भी, माओवादियों से कथित संबंधों के लिए किसी व्यक्ति को जेल में डालना, खासकर तब जब  उस  व्यक्ति के शरीर का अधिकांश हिस्सा  शारीरिक अक्षमता का शिकार  हो और जब उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा हो, मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है। यह असहमति व्यक्त करने के मूल लोकतांत्रिक अधिकार के साथ-साथ स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के भी खिलाफ है।

कॉमरेड साईबाबा की असामयिक मृत्यु के पीछे फासीवादी वैधता की कड़ी निंदा करते हुए, हम एक बार फिर उन्हें अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

फासीवाद मुर्दाबाद!

पी जे जेम्स
महासचिव
सीपीआई (एमएल) रेड स्टार

नई दिल्ली
13.10.2024

06/10/2024

एस.एल.ठाकुर द्वारा अपने पार्टी नेता से की गई अपील

अक्तूबर 06, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.       
राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.एल.ठाकुर 

      ,🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सम्मानित साथियों मैं एस,एल, ठाकुर सम्मानित ग्रुप के साथियों का प्रातः कालीन का इंकलाबी अभिवादन करता हूं साथ ही मैं एक बहुत ही प्रबल अपील आप सभी से करना चाहता हूं क्योंकि मैं सत्य के रास्ते पर चलकर के अग्नि परीक्षाअधिक जानकारी के लिए देने से भी पीछे नहीं हटता, आज मेरा यही आचरण सफलता की एक-एक सीढ़ी के तरफ नया इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। जिसका उदाहरण आपके समक्ष है। भारतीय जीवन बीमा निगम के अंदर एक संघर्ष का इतिहास और उपलब्धियां का इतिहास है। जिसकी प्रामाणिकता के लिए आप हमसे या हमारे मित्रों से संपर्क करके संतुष्ट हो सकते या राष्ट्रीय अभिकर्ता जन क्रांति पत्रिका की प्रमाणिकता को देख सकते हैं। पूरे देश के अंदर लाखों, लाख अभिकरण का कार्य करते हुए अभिकर्ताओं एवं संस्था के हितों में संघर्ष और उसके माध्यम से उपलब्धियां का इतिहास रहा है। मेरे नेतृत्व में ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन नमस्तेके बैनर के तहत दमनकारी भारत सरकार एवं प्रबंधन की नीतियों के विरोध, जी, एस, टी कर कानून, विनिवेश, निजीकरण सहित चार्ट ऑफ़ डिमांड पर। वर्षों, वर्षों तक संघर्ष धरना प्रदर्शन, काला दिवस, प्रबंधन का सामाजिक बहिष्कार, मानव श्रृंखला, पुतला दहन, सड़कों पर जुलूस, अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को ज्ञापन, भारत सरकार को ज्ञापन, कार्यालयों का घेराव, जिला अधिकारी महोदय के माध्यम से ज्ञापन, अनशन, आमरण, अनशन के रूप में पूरे देश के अंदर लाखों लाख अभिकर्ताओं में एक अपने नेतृत्व की पहचान संगठन की पहचान रही हैं। संविधान और कानून के दायरे में प्रबंधन से अधिकतर मांगों को मनवाने में संगठन सफल रहा यह है। सत्य के रास्ते पर इंकलाब की ताकत, विचारों की प्रबलता की ताकत यह मेरा आचरण है। कारण की मैं भ्रष्टाचारी अन्यायी, अत्याचारी से ना डरता हूं ना घबराता हूं। जिसकी प्रमाणिकता, सत्यापन आप द्वारा कभी भी हमसे या मेरे साथियों से मिलकर के किया जा सकता है। आई आई अन्य भ्रष्टाचार आगे दमनकारी नीतियों के विरोध हम संघर्ष के लिए आगे बढ़ते हैं मात्र एक ही शर्त है कि आपका समर्थन पूरी ईमानदारी से मेरे साथ हो फिर गारंटी है कि जीत तो अपनी होगी। 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद।अधिक ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें

02/10/2024

कमिश्नरेट वाराणसी द्वारा ग्राम कचनार की जांच

अक्तूबर 02, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *राजातालाब क्षेत्र के कचनार गांव के चकरोड पर अवैध क़ब्ज़ा की हुई लोकायुक्त जांच* 
राजातालाब वाराणसी 


*वाराणसी: राजातालाब*अधिक जानकारी के लिए यहां जाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के राजातालाब तहसील के कचनार ग्राम के चकरोड आराजी संख्या 705 और 712 सहित जलखाता आराजी संख्या 694 पर अवैध क़ब्ज़ा की शिकायत पर लोकायुक्त से हुई थी। इस पर जांच का निर्देश लोकायुक्त ने दिया था। डीएम ने एसडीएम और एसीपी राजातालाब सहित सरकारी अधिवक्ता को शिकायत की जांच के लिए नामित किया। उसी कड़ी में एसडीएम राजातालाब ने गांव में उक्त सरकारी आराजियात पर अवैध क़ब्ज़ा की शिकायत की जांच करते हुए जरूरी निर्देश दिए।

एसडीएम राजातालाब ने शिकायत कर्ता के शिकायत पर दल बल के साथ मौक़े पर पहुँच की जांच। इसमे चकरोड और जलखाता के अवैध क़ब्ज़ा का जांच किया। इस दौरान शिकायत कर्ता राजकुमार गुप्ता का कहना है कि ग्राम सभा में भूमाफ़ियों द्वारा करोड़ों की सरकारी ज़मीन का गोल माल किया गया है। इसकी शिकायत पहले स्थानीय स्तर पर की, लेकिन सही जांच नहीं की गई। इसके बाद लोकायुक्त जांच की मांग की। इस दौरान एसडीएम ने बताया कि जांच रिपोर्ट गोपनीय होती है। कुछ कमियां मिली हैं। पूरी जांच रिपोर्ट तैयार कर लोकायुक्त को भेजी जाएगी।

धन्यवाद 
द्वारा 
राजकुमार गुप्ता 
वाराणसी

29/09/2024

डॉ ओम शंकर रिपोर्ट हेड ऑफ हार्ट डिपोर्टमेंट बीएचयू

सितंबर 29, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         प्रेस विज्ञप्ति.                                                            अधिक जानकारी के लिए यहां जाएं www.roadwaynews.com
बीएचयू रिपोर्ट डॉ. शंकर 

विषय: बीएचयू के हृदय विभाग में बिस्तरों की कमी और प्रशासनिक अनियमितताएं

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के हृदय विभाग में मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि को देखते हुए, पुराने भवन (सर सुंदर लाल अस्पताल) में उपलब्ध 48 बिस्तर रोगियों के इलाज के लिए अपर्याप्त साबित हो रहे थे। कई बार सरकार से बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक नए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए धनराशि आवंटित की। यह भवन 2022 में बनकर तैयार हुआ और फरवरी 2022 में प्रधानमंत्री जी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। नए भवन में हृदय रोगियों के इलाज के लिए कुल 89 बिस्तर आवंटित किए गए, जिसमें से 41 नए बिस्तर थे और पुराने भवन में मौजूद 48 बिस्तर भी शामिल थे।

हालांकि, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. के. के. गुप्ता (जिन पर ब्लड बैंक घोटाले और कई अन्य गंभीर आरोप हैं) ने अपने पदभार ग्रहण करने के बाद हृदय विभाग पर पुराने भवन के 48 बिस्तर छोड़कर केवल 41 बिस्तर लेने का दबाव बनाना शुरू किया, जो कि पहले से आवंटित बिस्तरों की संख्या से भी 7 कम था। उस समय मैं विभाग का अध्यक्ष था और मैंने इस निर्णय का विरोध किया। इस मामले पर मैंने संस्थान के भूतपूर्व निदेशक, कुलपति और सरकार को पत्र लिखे। इसके परिणामस्वरूप भूतपूर्व निदेशक द्वारा एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें मैं भी शामिल था।

समिति ने बहुमत से यह निर्णय लिया कि हृदय विभाग को नए भवन (सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक) में शिफ्ट किया जाएगा और 90 बिस्तर विभाग को चौथे तल्ले पर आवंटित किए जाएंगे। इसके साथ ही, पांचवे तल्ले पर स्थित कैथ लैब कॉम्प्लेक्स और एकेडमिक ब्लॉक भी हृदय विभाग के अधीन रहेगा। लेकिन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गुप्ता ने इस निर्णय को मानने से इंकार कर दिया।

जब कोई समाधान नहीं निकला, तो मैंने 6 मार्च 2023 को आंदोलन करने की नोटिस दी। इसके बाद 8 मार्च 2023 को निदेशक और डीन के साथ एक सहमति बनी कि आंदोलन नहीं किया जाएगा और हृदय विभाग को 90 बिस्तर तुरंत आवंटित किए जाएंगे। हालांकि, चिकित्सा अधीक्षक ने निदेशक और डीन के लिखित आदेश को भी मानने से इंकार कर दिया, जिसके विरोध में मैंने 21 दिनों तक आमरण अनशन किया।

अनशन के दौरान, संस्थान के निदेशक ने मीडिया के माध्यम से झूठी जानकारी फैलाई कि विभाग को 61 बिस्तर दिए गए हैं और बाकी 29 बिस्तर जल्द ही दिए जाएंगे, जबकि सच्चाई यह है कि चौथे तल्ले पर 24 बिस्तरों के मानक वाले कमरे में 6 बिस्तर बढ़ाकर उसे 30 बिस्तर बताया गया और कैथ लैब में स्थित 14 अस्थायी बिस्तरों को भर्ती बिस्तर के रूप में गिना गया। इस प्रकार, हृदय विभाग को वास्तविक रूप से 61 बिस्तर भी नहीं मिले हैं, और निदेशक ने जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है।

वर्तमान में, हृदय विभाग को आवंटित 90 बिस्तरों में से 49 बिस्तर छीने जाने की कोशिश की जा रही है, जबकि पहले ही आवंटित 48 बिस्तर रोगियों की जरूरतों के लिए अपर्याप्त थे। यह हृदय रोगियों के प्रति अत्याचार है।

दुर्भाग्य से, वर्तमान हृदय विभागाध्यक्ष प्रो. विकास अग्रवाल, जो स्वयं विवादित नियुक्ति और निजी प्रैक्टिस में लिप्त हैं, चिकित्सा अधीक्षक के दबाव में घुटने टेक चुके हैं। वे अपनी नौकरी और निजी स्वार्थों की रक्षा के लिए 49 बिस्तरों का समझौता कर चुके हैं, जबकि उनके पास ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

यह गंभीर समस्या प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में घटित हो रही है। दुर्भाग्य की बात यह है कि जब मैंने इस मुद्दे पर एक पत्रकार वार्ता आयोजित की, तो कुलपति ने बाउंसर और सुरक्षा कर्मियों को भेजकर इसे रुकवाने का प्रयास किया। यहां तक कि उन्होंने लंका थाने से भी मेरी पत्रकार वार्ता को रुकवाने की गुहार लगाई, जिसे थाना प्रभारी ने ठुकरा दिया।

यह घटनाक्रम अत्यंत निंदनीय है और इस पर तत्काल उच्च स्तरीय कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रो. (डॉ.) ओम शंकर
पूर्व विभागाध्यक्ष, हृदय रोग विभाग
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी

24/09/2024

जेल और जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सितंबर 24, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.          (संपादकीय, रेड स्टार , अक्टूबर 2024)


" *जमानत* *नियम* *है* *और* *जेल* *अपवाद* "
 *लेकिन* *उमर* *खालिद* *जैसे* *मुस्लिम* *नामों* *वालों* *पर* *यह* *लागू* *नहीं* *होता* !!

13 अगस्त 2024 को भारत के सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने अपने फैसले में कहा कि "जमानत नियम है और जेल अपवाद" का कानूनी सिद्धांत  धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग ) जैसे मामलों और यहां तक कि UAPA जैसे विशेष कानूनों के तहत अपराधों पर भी लागू होता है। पीठ ने आगे कहा कि यदि अदालतें योग्य मामलों में जमानत देने से इनकार करने लगेंगी, तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। शीर्ष अदालत का रुख स्पष्ट है: स्वतंत्रता नियम है और इसकी अवहेलना अपवाद।

दरअसल, इस निर्णय में कुछ नया नहीं है। भले ही सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त निर्णय की अनुपस्थिति में भी, यह एक तथ्य है कि हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के आरोपी भी नियमित रूप से भारतीय अदालतों से जमानत पा रहे हैं। कई लोग जिन्होंने सबसे अमानवीय अत्याचार किए हैं, वे भी जेल से जमानत पर बाहर आ रहे हैं, जबकि जिन मामलों में वे आरोपी हैं, उनका औपचारिक मुकदमा( ट्रायल) अभी शुरू होना बाकी है। लेकिन, अक्सर, मुस्लिम नाम वाले लोग इस प्रावधान के हकदार नहीं होते।

इसीलिए अदालत के इस निर्णय के उच्च आदर्श उमर खालिद के मामले में लागू नहीं होते। 36 वर्षीय उमर खालिद, जेएनयू के शोध  विद्यार्थी, जो सितंबर 2020 से चार साल की  मुकदमा शुरू होने से पूर्व कैद भुगत रहे हैं। खालिद एक ऐसा उदाहरण हैं जहां सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सिर्फ एक उपदेश बन गया है। वरना, खालिद जिनका 'अपराध' सिर्फ 2020 में मुस्लिम विरोधी CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेना था, और जहां पुलिस और अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश करने में असफल रहे हैं, उन्हें तिहाड़ जेल के अधिकतम सुरक्षा वाले जेल में सड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाता। कई अदालतों के साथ-साथ खालिद की शीर्ष अदालत में याचिका भी 14 बार स्थगित की जा चुकी है।

उमर खालिद के मामले में, भारतीय अदालतें संवैधानिक अधिकारों की सर्वोच्चता को सत्तारूढ़ शासन की राजनीतिक प्राथमिकताओं पर पुनः स्थापित करने में विफल रही हैं। जब भी खालिद का मामला सुनवाई के लिए आया, यहां तक कि शीर्ष अदालत में भी, इसे अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर, वकीलों की अनुपस्थिति, विशेष रूप से वरिष्ठ वकीलों की अनुपलब्धता, समय की कमी और अन्य लचर तकनीकी कारणों के बहाने स्थगित कर दिया गया।

निस्संदेह, फासीवादी शासन सचमुच वैचारिक रूप से सख्त खालिद से डरता है, जिन्होंने कहा: "वैचारिक रूप से, आप कह सकते हैं, मैं एक  मूलभूत परिवर्तन कामी लोकतांत्रिक हूं। मैं लोकतंत्र में विश्वास करता हूं, और मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास करता हूं जो सिर्फ आपके वोट तक सीमित न हो... इसे हर रोज की जिंदगी में भी लागू होना चाहिए, जहां आप अपनी समस्याओं और चिंताओं को लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त कर सकें।" इसी बीच, दिल्ली पुलिस अभी भी खालिद को फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम विरोधी CAA विरोध प्रदर्शन में एक प्रमुख साजिशकर्ता बताने का दावा कर रही है।

जेएनयू के विद्यार्थियों में सबसे सक्रिय राजनीतिक  कार्यकर्ताओं में से एक के रूप में, खालिद 2016 से ही खबरों में थे, जब उन्हें चार अन्य लोगों सहित अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। संसद हमले में अफजल गुरु की संलिप्तता के संबंध में किसी भी ठोस साक्ष्य की अनुपस्थिति के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर कड़ी टिप्पणी के साथ मौत की सजा सुनाई: “इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, और समाज की सामूहिक अंतरात्मा तभी संतुष्ट होगी जब अपराधी को मौत की सजा दी जाएगी।” यहां तक कि अफजल के परिवार को इस फैसले और इसके जल्दबाजी में क्रियान्वयन के बारे में सूचित नहीं किया गया और न ही उसके रिश्तेदारों को फांसी से पहले उससे मिलने का अवसर दिया गया।

जबकि संसद हमले के वास्तविक मास्टरमाइंड की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है और उन पर कोई जांच भी नहीं हुई, समाज की “सामूहिक अंतरात्मा” को संतुष्ट करने के लिए किसी व्यक्ति को मौत की सजा देना “न्यायिक हत्या” के अलावा कुछ नहीं है। इसलिए, खालिद को 9 फरवरी 2016 को “न्यायिक हत्या” के खिलाफ आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। खालिद, भगवा ताकतों के लिए अन्य कारणों से भी खटक रहे थे। उदाहरण के लिए, वे 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु स्थित अपने घर में मारी गई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे थे। हत्यारों की गोलियां उनके विचारों को खामोश नहीं कर सकतीं, यह घोषित करते हुए खालिद ने कहा: “हिंदुत्व फासीवादी ताकतों की मुखर आलोचक गौरी लंकेश की हत्या से मैं आक्रोशित और स्तब्ध हूं। मेरे लिए वह सिर्फ एक पत्रकार नहीं थीं। वह जेएनयू आंदोलन की मजबूत समर्थक थीं।”

संक्षेप में, जब शीर्ष अदालत जमानत को नियम और जेल को अपवाद घोषित करती है, तब भारत में हम ऐसी स्थिति में रह रहे हैं जहां न्यायिक फैसले अंततः राजनीतिक/कार्यकारी विचारों से प्रभावित और नियंत्रित हो रहे हैं। यहां तक कि अपने हिंदुत्ववादी आकाओं को खुश करने के लिए उत्सुक न्यायाधीश भी अब अपने फैसलों में मनुस्मृति का हवाला दे रहे हैं और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को ‘पाकिस्तान’ करार दे रहे हैं। मुस्लिमों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या, मस्जिदों को ध्वस्त करना और उनके घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करना अब सामान्य हो गया है, और खासकर भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों के लिए एक नागरिक के रूप में जगह तेजी से सिकुड़ रही है। इसलिए, उमर खालिद का बिना मुकदमे या जमानत के जेल में रहना इस व्यापक हिंदुत्व एजेंडे का हिस्सा है जिसमें मुसलमानों को दुश्मन नंबर 1 के रूप में कलंकित किया गया है।

उमर खालिद के साथ एकजुटता में!
जेल और बेल पर रिपोर्ट. अधिक जानकारी के लिए यहां जाएं