सड़क समाचार पत्रिका (जनता की आवाज) 🌎: social activities

सड़क समाचार पत्रिका(जनता की आवाज़) एक हिंदी समाचार वेबसाइट और मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है जो भारतीय राजनीति, सरकारी नीतियों, सामाजिक मुद्दों और समसामयिक मामलों से संबंधित समाचार और जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है। मंच का उद्देश्य आम लोगों की आवाज़ को बढ़ाना और उनकी चिंताओं और विचारों पर ध्यान आकर्षित करना है।

household supplies
social activities लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
social activities लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

02/11/2024

राजनीतिक विषयों पर हरिश्चंद्र केवट की रिपोर्ट

नवंबर 02, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज           माननीय *क्या सिर्फ पूंजीपति, व्यापारी चुनाव लड़ेंगे और मुनाफा कमायेंगे*


                        आज देश को आजादी मिले 78 वर्ष बीत चुके हैं,इस बीच देश में कई सरकारें आईं और गईं, तथा चल रही है। सन् 1947 में जब देश को आजादी मिली थी, उस समय आजादी के नायकों का एक ही सपना था कि उन्हें स्वराज्य मिलेगा अर्थात अपना राज।अपने राज का मतलब था जो जहां है जो काम कर रहा है अपने मूल्यों मान्यताओं के साथ सम्मानजनक तरीके से जीवन जीयेंगे लेकिन हुआ क्या?आज का दौर भयंकर पूंजीवादी व्यवस्था से घिरा है,हर सरकार और सरकारी कर्मचारी बस पूंजीपतियों के लिए काम कर रहा है।आज सरकार और सरकारी कर्मचारी यह भुल चुके हैं कि यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है, सत्ता में पहुंचकर हर कोई अपने नियम कानून बनाकर काम कर रहा है, सरकारी कार्यालयों में जनता के साथ जो दुर्व्यवहार किया जाता है वह कल्पना से परे है।जिस अपमान और उपेक्षा का शिकार आम नागरिक करता है उससे कहीं भी नहीं लगता कि इस आजाद देश में उसके लिए कोई नागरिक अधिकार हैं।तमाम पीड़ा,उपेक्षा, ज़ुल्म,सितम सहकर भी लोग अपने पसीने से इस देश को सींचते जा रहें हैं और जनता की मेहनत की कमाई को लुटकर हर रोज सैकड़ों लोग करोड़पति बन रहें हैं, लखपति बन रहें हैं,भवन ,भूमि, आलीशान और विलासितापूर्ण जीवन जी रहें हैं।देश में असमानता का आलम करीब से देखना है तो हमारी शिक्षा व्यवस्था को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यवस्था द्वारा कितना भयंकर षड्यंत्र रचा जा चुका है। लोगों को अनपढ़ रखो जिससे लोग सवाल न करें, ग़रीबी और बदहाली में जीने को विवश हो और उनको आसानी से बरगलाया जा सकें,उनको सस्ता मजदूर बनाया जा सके,उनके श्रम को लूटा जा सकें। व्यवस्था चाहतीं हैं कि लोगों के साथ में कलम कापी और किताब आएं बल्कि वर्तमान व्यवस्था चाहतीं हैं जनता को धन्ना सेठों की फैक्ट्रियों में पसीना बहा बहाकर, उनके लिए अय्याशी के सामान बनाते रहे।ऐसा नहीं कि यह खेल नया हैं बल्कि आजादी के पहले से ही अनवरत जारी है।सारी सरकारें पूंजिपतियों के पलड़े में झूलतीं रहीं, जनता के पलड़े में तो बस आते रहें लोक-लुभावने वादें और कभी न पुरे होने वाले सपने।
ऐसा नहीं की देश की जनता ने प्रतिरोध नहीं किया,हर वक्त इस देश में व्यवस्था की तानाशाही के खिलाफ आवाजें उठती रही है लेकिन इन उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए जगह-जगह सत्ता पक्ष और पूंजीपतियों के दलाल लगे हुए हैं। जनता के बीच बनावटी चेहरा लेकर घूम रहें पूंजीपतियों के दलालों के कारण आज गैरबराबरी की खाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, हालांकि इस गैरबराबरी के लिए और भी कारक जिम्मेदार हैं।

*जनता क्या करें?*

इस वर्तमान परिस्थिति से निकलने और अपने लिए सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जनता को आगे आना होगा। जनता को अपना नेता चुनना ही होगा,वह नेता जो आम जनता के मुद्दे पर लड़ता हो,जो सामान्य लोगों की भांति जीवन जीता हों,जो दुसरो को अपना समर्थन नहीं बल्कि साथी मानता हों।

जननेताओं को निकल पड़ना होगा अपने परिवर्तन के विचारों के साथ,वे विचार जो वर्तमान व्यवस्था को बदलने में कारगर साबित हो और जो अभी के परिस्थितियों में गढ़े गए हों।किसी प्रचलित विचारों की पृष्ठभूमि पर नये विचार की बुनियाद बनाने से पहले बहुत बारीकी से चिंतन करना होगा।आज ज्यादातर नेतृत्वकर्ता पुराने विचारों के भंवर में फंसे हुए हैं, उन्हें उससे निकलकर एक तेज धार नदी सी बहते विचारों को आत्मसात करना होगा और दूसरे जननेताओं और जनता को साथ सम्मिलित करना होगा।

.......
.........
.........
जारी रहेगा।

हरिश्चंद्र केवट 
राजनीतिज्ञ 
9555744251

13/10/2024

कामरेड साईं बाबा को लाल सलाम

अक्टूबर 13, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *कॉमरेड* *साईबाबा* *को* *लाल* *सलाम* !
Red star
रोडवे-न्यूज़ पर नवीनतम समाचार और जानकारी के लिए पढ़ें और देखें 


सीपीआई (एमएल) रेड स्टार दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।जिन्हें फासीवादी क्रूर कानूनों के तहत एक दशक से अधिक समय तक जेल में रखा गया था और कुछ महीने पहले सबूतों की कमी और अभियोजन पक्ष द्वारा उनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफलता के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था। हम उनके तमाम परिजनों/  इष्ट मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।नवीनतम समाचारों के लिए यहां क्लिक करें

हालांकि प्रोफेसर साईबाबा की मृत्यु का तात्कालिक कारण ऑपरेशन के बाद की जटिलताओं को माना जा सकता है, लेकिन  व्हीलचेयर पर बैठे साईबाबा को कई वर्षों तक जेल में रखकर उनकी अकाल मृत्यु के लिए मौजूदा फासीवादी सरकार ही जिम्मेदार है। कोई भी व्यक्ति, अमानवीय जेल-स्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम  और व्हीलचेयर पर बैठे  एक व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में सड़ाने के नतीजे  को समझ सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, वैचारिक स्थिति को बनाए रखना कोई अपराध नहीं है, और कई अवसरों पर न्यायपालिका ने भी इसे बरकरार रखा है।  और यह पूरी तरह जानते हुए भी, माओवादियों से कथित संबंधों के लिए किसी व्यक्ति को जेल में डालना, खासकर तब जब  उस  व्यक्ति के शरीर का अधिकांश हिस्सा  शारीरिक अक्षमता का शिकार  हो और जब उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा हो, मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है। यह असहमति व्यक्त करने के मूल लोकतांत्रिक अधिकार के साथ-साथ स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के भी खिलाफ है।

कॉमरेड साईबाबा की असामयिक मृत्यु के पीछे फासीवादी वैधता की कड़ी निंदा करते हुए, हम एक बार फिर उन्हें अपनी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

फासीवाद मुर्दाबाद!

पी जे जेम्स
महासचिव
सीपीआई (एमएल) रेड स्टार

नई दिल्ली
13.10.2024

06/10/2024

एस.एल.ठाकुर द्वारा अपने पार्टी नेता से की गई अपील

अक्टूबर 06, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.       
राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.एल.ठाकुर 

      ,🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सम्मानित साथियों मैं एस,एल, ठाकुर सम्मानित ग्रुप के साथियों का प्रातः कालीन का इंकलाबी अभिवादन करता हूं साथ ही मैं एक बहुत ही प्रबल अपील आप सभी से करना चाहता हूं क्योंकि मैं सत्य के रास्ते पर चलकर के अग्नि परीक्षाअधिक जानकारी के लिए देने से भी पीछे नहीं हटता, आज मेरा यही आचरण सफलता की एक-एक सीढ़ी के तरफ नया इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। जिसका उदाहरण आपके समक्ष है। भारतीय जीवन बीमा निगम के अंदर एक संघर्ष का इतिहास और उपलब्धियां का इतिहास है। जिसकी प्रामाणिकता के लिए आप हमसे या हमारे मित्रों से संपर्क करके संतुष्ट हो सकते या राष्ट्रीय अभिकर्ता जन क्रांति पत्रिका की प्रमाणिकता को देख सकते हैं। पूरे देश के अंदर लाखों, लाख अभिकरण का कार्य करते हुए अभिकर्ताओं एवं संस्था के हितों में संघर्ष और उसके माध्यम से उपलब्धियां का इतिहास रहा है। मेरे नेतृत्व में ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन नमस्तेके बैनर के तहत दमनकारी भारत सरकार एवं प्रबंधन की नीतियों के विरोध, जी, एस, टी कर कानून, विनिवेश, निजीकरण सहित चार्ट ऑफ़ डिमांड पर। वर्षों, वर्षों तक संघर्ष धरना प्रदर्शन, काला दिवस, प्रबंधन का सामाजिक बहिष्कार, मानव श्रृंखला, पुतला दहन, सड़कों पर जुलूस, अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को ज्ञापन, भारत सरकार को ज्ञापन, कार्यालयों का घेराव, जिला अधिकारी महोदय के माध्यम से ज्ञापन, अनशन, आमरण, अनशन के रूप में पूरे देश के अंदर लाखों लाख अभिकर्ताओं में एक अपने नेतृत्व की पहचान संगठन की पहचान रही हैं। संविधान और कानून के दायरे में प्रबंधन से अधिकतर मांगों को मनवाने में संगठन सफल रहा यह है। सत्य के रास्ते पर इंकलाब की ताकत, विचारों की प्रबलता की ताकत यह मेरा आचरण है। कारण की मैं भ्रष्टाचारी अन्यायी, अत्याचारी से ना डरता हूं ना घबराता हूं। जिसकी प्रमाणिकता, सत्यापन आप द्वारा कभी भी हमसे या मेरे साथियों से मिलकर के किया जा सकता है। आई आई अन्य भ्रष्टाचार आगे दमनकारी नीतियों के विरोध हम संघर्ष के लिए आगे बढ़ते हैं मात्र एक ही शर्त है कि आपका समर्थन पूरी ईमानदारी से मेरे साथ हो फिर गारंटी है कि जीत तो अपनी होगी। 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद 🇮🇳इंकलाब, जिंदाबाद।अधिक ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें

22/09/2024

बिहार और देश में दलित समुदाय के साथ मनुवादियों द्वारा हिंसा एक रिपोर्ट

सितंबर 22, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज           **नवादा* , *बिहार* : *महादलितों* *पर* *अत्याचार* *नीतीश* *सरकार*  *द्वारा* *मनुवादी* *फासीवादी* *ताकतों* *के* *तलवे* *चाटने* *का* *नतीजा*
 
 *कॉरपोरेट* - *भूस्वामी* - *भगवा* *मनुवादी* *जातिवादी* *गठजोड़* *के* *खिलाफ* *संघर्ष* *करें*
  
 *जाति* *जनगणना* *की* *मांग* *पर* *एकजुट* *हों**

- *जाति* *उन्मूलन* *आंदोलन* 
रोडवे न्यूज़ मैगजीन की बंडू मेश्राम से ताज़ा रिपोर्ट 


बिहार के नवादा जिले में 18 सितंबर को एक भयावह घटना घटी है। तथाकथित उच्च जाति के दबंगों ने(  प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इनमें यादव और दलित पासवान समुदाय के लोग भी  शामिल थे) कृष्णा नगर महादलित बस्ती में ग़रीब महादलितों के साथ मारपीट की, 40-50 घरों को आग लगा दी। इस हमले में महादलितों के घर जलकर खाक हो गए, उनकी संपत्ति नष्ट हो गई और उन्हें गाँव से भागने पर मजबूर कर दिया गया। इस घटना ने यह दिखाया कि आज भी समाज में जातिगत उत्पीड़न और आतंक गहराई से जड़ जमाया हुआ है। यह हमला न केवल जातिगत उत्पीड़न और जमीन  पर स्वामित्व की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज की कॉरपोरेट भगवा फासीवादी व्यवस्था,  निर्मम जातिव्यवस्था  का किस तरह फायदा उठाती है।

नवादा की घटना कोई एकाकी घटना नहीं है; भारत में दलितों पर होने वाले अत्याचारों का एक लंबा इतिहास है। हाल की ही कुछ घटनाओं पर नज़र डालें तो यह साफ़ हो जाता है कि आज भी देशभर में दलितों/ उत्पीड़ितों पर अत्याचार जारी है। 

-हाथरस, उत्तर प्रदेश (सितंबर 2020):19 साल की दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। इस मामले में न केवल पुलिस और  प्रशासन की मिलीभगत सामने आई, बल्कि फासिस्ट योगी आदित्यनाथ सरकार का रवैया भी पूरी तरह से जातिगत भेदभाव से प्रेरित दिखा। लड़की का रातों-रात अंतिम संस्कार कर दिया गया, ताकि घटना पर पर्दा डाला जा सके। इस घटना की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने भीषण प्रताड़ित किया विशेषकर केरल के पत्रकार सिद्धिक कप्पन को जो कि निरपराध थे जेल में बरसों सड़ाया गया।यहां ,हाथरस कांड के बलात्कारी हत्यारे लोग राजपूत ठाकुर जाति के थे ,लेकिन  गोदी मीडिया ने इस बात का उल्लेख नहीं किया।

-गुजरात, ऊना (2016): चार दलित युवकों को मृत गाय की खाल उतारने के लिए सार्वजनिक रूप से पीटा गया और उन्हें जीप में बांधकर अर्ध नग्न अवस्था में घसीटा गया।ये क्रूर अत्याचार ,खुद को सांस्कृतिक संगठन कहने वाले संघ परिवार के आनुषंगिक संगठन के नेतृत्व में हुआ।

-उत्तर प्रदेश, गोहरी इलाहाबाद  में सामूहिक गैंग रेप और हत्याकांड( 2021):
गोहरी में योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में एक दलित मजदूर के परिवार में पति, पत्नी,किशोरी बेटी और विकलांग बेटे की हत्या ,दबंग जाति के भूस्वामी परिवार के लोगों ने कर दी।हत्या के पहले मां और बेटी के साथ गैंग रेप किया गया। आज तक पुलिस ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की।

-उन्नाव कांड,उत्तर प्रदेश( 2020):
ये तो बहुत चर्चित कांड है जहां भाजपा का बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने दलित लड़की के साथ बलात्कार कर उसे जान से मारने की कोशिश की और उस लड़की के परिवार में कई लोगों का खून कर दिया।उस पर पूरी भाजपा सरकार का संरक्षण होने के कारण ,उसे गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने में भी बहुत मुश्किलें सामने आई।आज तक हाथरस,गोहरी की तरह उन्नाव कांड में भी पीड़ितों को सही तरीके से न्याय नहीं मिल पाया है।
-तमिलनाडु, विल्लुपुरम (2021): दलित समुदाय के लोगों पर ऊँची जाति के लोगों ने हमला कर दिया। उन्हें जमीन और पानी जैसे बुनियादी संसाधनों से वंचित करने के लिए लगातार दबाव बनाया गया। दलितों को उनकी जमीनों से बेदखल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए।
-उत्तर प्रदेश, औरैया (अप्रैल 2023): एक दलित परिवार पर उच्च जाति के लोगों ने सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने गाँव के कुएँ से पानी लेने की कोशिश की थी। इस मामले में भाजपा सरकार की पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दलित परिवार पर ही झूठे आरोप लगाए।
-मध्य प्रदेश, सागर (जून 2023): राज्य में भाजपा शासन काल के दौरान एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई क्योंकि उसने ऊँची जाति के व्यक्ति के साथ बात करने की “जुर्रत” की थी। भाजपा शासित मध्य प्रदेश के सीधी जिले में  भाजपा के एक ब्राम्हण नेता ने आदिवासी युवक पर पेशाब कर दिया था।ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे आज भी दलितों को सामाजिक व्यवस्था में निचले पायदान पर रखा जाता है और उन्हें अपने मौलिक अधिकारों से वंचित किया जाता है।ज्यादातर जातिगत उत्पीड़न की घटनाएं भाजपा जहां सत्तासीन है वहां और मोदी सरकार के दस सालों से भी अधिक के शासन में हुए हैं,और अभी भी जारी हैं।

ऐसी घटनाएं बार-बार बताती हैं कि आज भी देश के अधिकांश हिस्सों में दलित और आदिवासी समुदाय जातीय अत्याचार का शिकार है। अगर आंकड़ों की बात करें तो, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दलितों के खिलाफ अत्याचार के 50,291 मामले दर्ज हुए। मोदी सरकार के दस सालों में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।ये आंकड़े हमें इस कड़वी सच्चाई का एहसास कराते हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के दावों के बावजूद, जातिगत उत्पीड़न की जड़ें हमारे समाज में आज भी गहरी हैं। आज भी ब्राम्हणवादी उच्च जातियों के पास अधिकांश कृषि भूमि का स्वामित्व है। दलितों को संपत्ति ,शिक्षा और जमीन से वंचित रखना मनुवादी जातिवादी व्यवस्था की वह कड़ी है, जो उन्हें न केवल आर्थिक रूप से कमजोर करती है, बल्कि सामाजिक रूप से भी उनके सम्मान और अधिकारों का हनन करती है। 

आज दलितों/ उत्पीड़ितों,आदिवासियों,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमान जनता और महिलाओं के खिलाफ  घोर मनुवादी पितृसत्तात्मक बहुसंख्यकवादी  फासिस्ट दमन बहुत तेज हो गए हैं तो 
इसमें आश्चर्य नहीं  होना चाहिए।क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस के नेतृत्व में पूरे देश और समाज का फासीवादीकरण हो गया है।आरएसएस का वैचारिक आधार निर्मम मनुस्मृति है।जिसके अनुसार तमाम दलित/ उत्पीड़ित,पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय और महिलाओं को मानव का दर्जा  नहीं बल्कि ताकतवर ब्राम्हणवादियों के गुलाम का  दर्जा प्रदान किया गया है।फासिस्ट संघ परिवार का हिंदुराष्ट्र ,महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी सरीखे धन्ना सेठों का हिंदुराष्ट्र है।जिसमें देश के 80 फीसदी बहुजनों की हालत कीड़े मकोड़े से ज्यादा नहीं है।मनुस्मृति आधारित इस हिंदुराष्ट्र का आधार है क्रूर जाति व्यवस्था,जिसे आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन जायज ठहराते हैं। 1947 के पहले के उपनिवेषिक व्यवस्था / गुलामी के दौरान और  1947 के  बाद भी नव उपनिवेशिक व्यवस्था के तहत  शासक वर्गों(  साम्राज्यवाद के दलाल कॉरपोरेट पूंजीपतियों और भूस्वामी वर्ग ) ने जाति व्यवस्था और जातिगत शोषण को न सिर्फ बनाये रखा है, बल्कि इसे अपने फायदे के लिए और इससे तालमेल बिठाकर बेहतर इस्तेमाल भी कर रहा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और आरएसएस मनुवादी फासीवाद  का गठजोड़ एक ऐसी क्रूर जाति व्यवस्था बनाता है जिसमें ग़रीब दलितों/ उत्पीड़ितों को हमेशा शोषित और वंचित बनाए रखा जाता है। साम्राज्यवादी और कॉरपोरेट पूंजीवादी व्यवस्था का मुनाफा तभी सुरक्षित रहता है जब समाज में असमानता,नफ़रत और विभाजन बना रहे। जाति की दीवारें इस असमानता को बनाए रखने का सबसे मजबूत साधन हैं। ब्राम्हणवादी ऊँची जातियाँ, कॉरपोरेट धन्नासेठ  और सत्ता में बैठे लोग मिलकर ग़रीब दलितों की ज़मीनें हड़पते हैं, उन्हें कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर करते हैं और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को रोकते हैं।

असल में भारत और नेपाल में जहां निर्मम जाति व्यवस्था मौजूद है वह दलितों/ उत्पीड़ितों जो कि समाज का बड़ा मेहनतकश वर्ग है के श्रम के अतिरिक्त मूल्य / बेशी मूल्य को लूटने का सबसे बड़ा आयोजन हजारों सालों से शासक वर्गों कर रहा है।

आज जब फासिस्ट आरएसएस  और उसके राजनैतिक उपकरण भाजपा जैसे फासिस्ट संगठन "हिंदू एकता" का नारा लगाते हैं, तो यह सवाल उठता है कि वे दलितों पर होने वाले अत्याचार पर चुप क्यों हैं। असल में, इन्होंने तो शूद्रों ( ओबीसी) या अति शूद्रों( दलित/ उत्पीड़ित) को कभी सनातनी हिंदू माना ही नहीं।सिर्फ चुनाव के समय इन्हें दलितों, उत्पीड़ितों,आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों की याद आती है।जब ये हिंदू खतरे में है कहकर मंदिर और कमंडल के पक्ष में लोगों को मंडल( बहुजन/ दलित राजनीति / दर्शन) से दूर करने का पुरजोर कोशिश करते हैं।इन पार्टियों की राजनीति ही  कॉरपोरेट धनिकों और ऊँची जातियों के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए है। ये संगठन केवल "हिंदू एकता" का मुखौटा पहनते हैं, लेकिन उनके असली एजेंडे में जातिगत भेदभाव और कॉरपोरेट पूंजीवादी हितों की सुरक्षा होती है। जब नवादा जैसी घटनाएँ होती हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि ये पार्टियाँ दलितों के पक्ष में नहीं, बल्कि ऊँची जातियों के दबंगों,भूस्वामियों और पूंजीपतियों के साथ खड़ी हैं। यह उनका पाखंड और दोहरी नीति है।इसीलिए फासिस्ट संघ परिवार,जाति जनगणना का कट्टर विरोधी है।क्योंकि इससे इसके हिंदुराष्ट्र का गुब्बारा फट जायेगा।

नवादा की घटना से हमें यह सबक लेना होगा कि  मनुवादी जातिगत उत्पीड़न और कॉरपोरेट पूंजीवादी शोषण आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। जब तक इस कॉरपोरेट भगवा मनुवादी व्यवस्था को चुनौती नहीं दी जाएगी, तब तक दलितों/ उत्पीड़ितों का शोषण जारी रहेगा।दूसरी महत्वपूर्ण बात है अन्य पिछड़े वर्गों और दलितों में से कुछ तबकों का अति दलित या महा दलितों के प्रति विरोध और उपेक्षा।आरएसएस यही  तो चाहता है कि  पहचान की राजनीति या सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर समाज के 80 फीसदी दलित/ उत्पीड़ित , पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय आपस में लड़ते रहें ।हरियाणा के नूह से लेकर मणिपुर तक संघ परिवार इसी नफ़रत और विभाजन के जहर  को फैला रहा है।आज जरूरत है महा दलितों या दलितों में जो पिछड़े हैं उन तबकों को भी दलितों के बराबर उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान देने की। इसके लिए हमें जाति आधारित जनगणना की मांग को लोकप्रिय बनाते हुए देशव्यापी साझा अभियान चलाना होगा।
आज वक्त की पुकार है कि मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ तमाम दलित / उत्पीड़ित, पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाएं एक होकर फौलादी एकता बनाएं और एक जातिविहीन धर्मनिरपेक्ष ,लैंगिक समानता और वैज्ञानिक चेतना युक्त समतावादी समाज के निर्माण के लिए साथ साथ  लड़ें।जाति और पूंजी का यह गठजोड़ न केवल दलितों, बल्कि पूरे मेहनतकश समाज के लिए खतरा है। इसे समाप्त किए बिना न तो समाज में सच्ची समानता आएगी और न ही सामाजिक न्याय।

यह समय है कि मेहनतकश शोषित पीड़ित जनता जाति और धर्म की दीवारों को तोड़कर एकजुट हो। यह केवल दलित समुदाय का मुद्दा नहीं है, यह पूरे समाज का मुद्दा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और  भगवा मनुवादी जातिवाद का ख़ात्मा करके ही हम एक ऐसे समाज की स्थापना कर सकते हैं, जहाँ समाज की 80 फीसदी गरीब शोषित/ उत्पीड़ित,  मेहनतकश जनता को समान अधिकार, सम्मान और न्याय मिले।जनता को लूटने वाले कॉरपोरेट भगवा मनुवादी फासिस्ट ताकतों का नाश हो।

—बंडू मेश्राम, एम के डासन,तुहिन
जाति उन्मूलन आंदोलन संयोजक मंडल की ओर से
( संपर्क 9425560952)

नई दिल्ली,22 सितंबर 2024

20/09/2024

जनसंघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़

सितंबर 20, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         प्रेस विज्ञप्ति 


 *जन* *संघर्ष* *मोर्चा* , *छत्तीसगढ़* *ने* *बिलासपुर* *में* ** *फिलिस्तीन* *का* *झंडा* *लहराने* *के* *आरोप* *में* *हिंदूवादी* *संगठनों* *के* *दबाव* *में* *अल्पसंख्यक* *समुदाय* *को* *प्रताड़ित* *करने* *के* *लिए* *पुलिस* *प्रशासन* *की* *कड़ी* *निन्दा* *की* 

बिलासपुर सहित पूरे राज्य में शांति व सौहाद्र के माहौल को बिगाड़ने की साजिश का लगाया आरोप

रायपुर,छत्तीसगढ़,20 सितंबर 2024 ।विदित हो कि गत दिनों ईद के अवसर पर तोरण में फिलिस्तीन के झंडे की आकृति उकेरने को लेकर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ,फासिस्ट संघ परिवार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने पूर्वाग्रह पूर्ण कारवाई की।पुलिस ने फिलिस्तीन का झंडा लहराने के आरोप में मुस्लिम समुदाय के 20-25 लोगों को हिरासत में लिया,तोरण बनाने वालों को  आरोपी बनाया और उन्हें परेशान  करने के लिए जमानत  का भी विरोध किया जा रहा है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने इस पूरे घटनाक्रम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि फिलिस्तीन राष्ट्र को पूरे विश्व जनमत के साथ भारत ने भी लंबे समय से मान्यता दे रखी है।गुट निरपेक्ष आंदोलन के समय से ही भारत ,इजरायल द्वारा फिलिस्तीन पर बलपूर्वक कब्जे का और कत्ल ए आम  का पुरजोर विरोध करता आया है और फिलिस्तीन के मुक्ति संघर्ष का समर्थन करता आया है।लेकिन पिछले दस सालों से अधिक समय से सत्तारूढ़ धुर दक्षिणपंथी मोदी सरकार जो फासिस्ट आरएसएस के मार्गदर्शन में संचालित होती है,ने यहुदीवादी युद्ध अपराधी हत्यारे इजरायल का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करना शुरू किया है।और ये किया जा रहा है इस्लामोफोबिया या मुसलमानों को सारी समस्याओं को जड़ बताते हुए उनको प्रताड़ित करना या हमलों का निशाना बनाते हुए।मोदी सरकार  ,अमरीकी साम्राज्यवाद के निर्देश पर  इजरायल को हथियारों की मदद,कूटनैतिक मदद और रक्षा/ जांच मामलों में परस्पर सहयोग से लेकर इजरायल के आग्रह पर युद्ध ग्रस्त फिलिस्तीन में भारतीय मजदूरों को जान जोखिम में डालकर भेज रही है । पिछले एक वर्ष में इसराइल ने गाज़ा पट्टी,वेस्ट बैंक, सीरिया और लेबनान में 45000 से अधिक निरपराध फिलिस्तीनी नागरिकों को मार डाला है और 90000 से अधिक लोगों को गंभीर रूप से घायल किया है।इनमें से आधे  मरीज और बच्चे हैं।हाल ही में इसराइल की दुनिया में सबसे घृणित आतंकी  गुप्तचर संगठन" मोसाद"( भारत सरकार   देश में पेगासस वायरस के जरिए सरकार  विरोधी लोगों की जासूसी और रक्षा एवम गृह मंत्रालय के कार्यक्रमों   में इसी मोसाद से सहयोग ले रही है ) ने पेजर,मोबाइल फोन आदि में रिमोट कंट्रोल के जरिए विस्फोट करके लेबनान के शरणार्थी शिविरों में कई फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या की ओर बड़े पैमाने पर लोगों को घायल किया है।जब संयुक्त राष्ट्र संघ में इसराइल को फिलिस्तीन में चलाए जा रहे जन संहार को रोकने और फिलिस्तीन पर इसराइल के कब्जे को अवैध ठहराने का प्रस्ताव लाया जाता है तो मोदी सरकार तमाम गुट निरपेक्षता की नीतियों को तिलांजलि देकर इसराइल का समर्थन करते हुए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करती या  बहिर्गमन(वॉक आउट) करती है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने सवाल उठाया है कि फिलिस्तीन के झंडे को दिखाना कब से आतंकवादी कृत्य हो गया। हमारे देश में कम से कम 20 राज्यों में पूरी दुनिया की तर्ज पर फिलिस्तीन में इसराइल द्वारा संचालित जन संहार को रोकने के लिए प्रदर्शन और सेमिनार आयोजित किए गए हैं,तो क्या मोदी सरकार उन सबको गैरकानूनी करार दे देगी।मोर्चा ने कहा कि हिंदूवादी संगठन,भाजपा सरकार की गरीबी,बेरोजगारी,मंहगाई हर मोर्चे पर घोर असफलता को  ढकने के इरादे से नफ़रत और विभाजन का जहर पैदा कर जनता को भ्रमित करना चाह रही है।जनता को मालूम होना चाहिए कि ये सब राज्य में शांति और सौहार्द के माहौल को बिगाड़ने की साजिश है।फिलिस्तीन राष्ट्र को संयुक्त राष्ट्र संघ ने तीस साल पहले से मान्यता दे रखी है और फिलिस्तीन हमेशा से भारत का मित्र रहा है।आतंकवादी और दुष्ट राष्ट्र अगर कोई है तो वह इजरायल है जो दुनिया को फिर से विश्व युद्ध की आग में झोंक देना चाहता है।जिसके साथ मोदी सरकार गलबहियां डाल रही है।जन संघर्ष मोर्चा ने छत्तीसगढ़ में शांति और सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश रचने वाले संगठनों को चिन्हित कर कारवाई करने की मांग की है।

प्रसाद राव,लखन सुबोध,एडवोकेट शाकिर कुरैशी, सौरा,कलादास,सविता बौद्ध,नीरा डहरिया,तुहिन
(जन संघर्ष मोर्चा 
संयोजक मंडल की ओर से )
संपर्क-9981743344,9301802425,9425560952

16/09/2024

सत्य गृह राजघाट वाराणसी के छठे दिन मिहिर प्रताप दास

सितंबर 16, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *छठा दिन*
16 सितंबर 2024
सत्याग्रह स्थल
राजघाट, वाराणसी
राजघाट वाराणसी 


*न्याय के दीप जलाएं* 
 100 दिनो का सत्याग्रह आज छठे दिन में प्रवेश कर गया। सुबह 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रह की शुरुआत हुई। *उत्कल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष मिहिर प्रताप दास* उपवास पर बैठे हैं। मूलतः ओडिशा के जाजपुर जिले के रहने वाले 58 वर्षीय मिहिर दास 1995 से गांधी विचार के प्रचार- प्रसार में संलग्न हैं।इनका परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहा है और पिता समाजवादी विचार से जुड़े थे और विधायक भी रहे। मिहिर अखबारों में कॉलम लिखते हैं। इनकी पहचान एक समर्पित व्यक्तित्व के रूप में है।

*गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता - मिहिर प्रताप दास*

उपवास सत्याग्रही मिहिर प्रताप दास ने सर्व सेवा संघ परिसर के विध्वंस को दुर्भाग्यपूर्ण और गांधी विचार के लिए चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस परिसर के जरिए समाज में नैतिक, रचनात्मक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को विकसित करने के कार्यक्रम चलाए जाते थे। इसके विध्वंस ने इन प्रयासों पर आघात तो किया है लेकिन गांधी विचार परंपरा- जिसमें विनोबा, जयप्रकाश सभी शामिल हैं, जो भी दुनिया का भला चाहते हैं- अमर है। गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता। 

*लोकतंत्र की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है* अलख भाई

सर्वोदय आंदोलन के 87 वर्षीय अलख भाई ने आज सत्याग्रह में शामिल होकर कहा कि कल अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस था। पूरी दुनिया में लोकतंत्र को अबतक के सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था के रूप में मान्यता मिली हुई है। हमारे देश में भी स्वतंत्रता आंदोलन के कर्णधारों ने लोकतंत्र की स्थापना की। परंतु आज जिन पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन का दायित्व है, वहीं इसके लिए खतरा बन गए हैं। घर के चिराग से ही घर में आग लग रही है। वर्तमान सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है और कानून का सरेआम उल्लंघन कर रही है। ऐसी स्थिति में हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह आगे आए और लोकतांत्रिक व्यवस्था को न केवल संरक्षित करें बल्कि विकसित भी करें।


 *जब जमीन की टोह में आयुक्त परिसर में आए*

18 जनवरी 2023 को *वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा* नमो घाट के आस- पास हो रहे निर्माण कार्य को देखने के क्रम में सर्व सेवा संघ परिसर में भी आए। इसी क्रम में वे प्रकाशन भवन में भी पहुंचे। प्रकाशन की ओर से उन्हें आचार्य विनोबा की प्रसिद्ध पुस्तक *गीता प्रवचन* और महात्मा गांधी की आत्मकथा *सत्य के प्रयोग* उपहार स्वरूप दिया गया। उम्मीद थी कि *वे इन पुस्तकों से प्रेरित होकर सत्य के रास्ते पर चलेंगे* पर अफसोस है कि उन्होंने *असत्य का रास्ता* चुना और सर्व सेवा संघ परिसर की खरीदी हुई *जमीन को हड़पने के षड्यंत्र* में लगे रहे ।

वास्तव में कौशल राज शर्मा नमो घाट की परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त जमीन की तलाश में आए थे। बसंत कॉलेज के तट पर हेलीपैड बन रहा था और इसके लिए एप्रोच रोड की जरूरत थी। यहां यह उल्लेख कर देना उचित है कि ठीक-दो दिन पहले अर्थात 16 जनवरी 2023 को मोइनुद्दीन नामक एक अज्ञात पहचान वाले व्यक्ति ने उप जिला अधिकारी, सदर वाराणसी के यहां खतौनी से सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर नॉर्दर्न रेलवे का नाम अंकित करने का आवेदन दे दिया था।

रोज की तरह आज शाम को सर्व धर्म प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ सत्याग्रह का समापन हुआ।

आज के सत्याग्रह में 87 वर्षीय अलख भाई, 85 वर्षीय कृष्णा मोहंती, रामधीरज,
अशोक भारत, नंदलाल मास्टर, जागृति राही, शुभा प्रेम, अंतर्यामी बरल, चूड़ामणि साहु, गौरांग चरण राउत, ललित मोहन बेहरा, निलेंद्री साहु और शिवजी सिंह, सुरेश,विद्याधर मास्टर, चेखुर प्रजापति, चौ राजेन्द्र, पंकज भाई आदि शामिल हुए।

रामधीरज 
सर्व सेवा संघ

13/09/2024

**भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**

सितंबर 13, 2024 0
FOR MORE INFORMATION VISIT
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज
**भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**
babulal yadav (revolution member)


 
ध्यान में रखते हुए कि यह आयोजन भगत सिंह के जन्मोत्सव के लिए आयोजित किया जा रहा है और इसमें देशभक्त लोगों और समाजवादियों को एकजुट करने का संदेश है, मैं आपके लिए एक ब्लॉग पोस्ट का प्रारूप तैयार कर रहा हूँ। इसे आप अपने हिसाब से और विस्तार से भी कर सकते हैं।
 **भगत सिंह जन्मोत्सव सम्मेलन का आयोजन - भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)**
देश के महान स्वतंत्रता सेनानी **भगत सिंह** के जन्मोत्सव पर एक विशेष सम्मेलन का आयोजन **भीतेश्वेनाथ मंदिर (हरौरा, चंदौली)** में किया जा रहा है। यह सम्मेलन **भगत सिंह विचार मंच, कम्युनिस्ट क्रांति केंद्र**, और **सर्वहारा संघर्ष समिति** के तत्वाधान में आयोजित हो रहा है। आयोजन में सभी देशभक्तों, समाजवादियों और आम जनता को शामिल होने का सादर निमंत्रण है। 
**आयोजन का समय और स्थान**
- **स्थान**: भीतेश्वेनाथ मंदिर, हरौरा, चंदौली  
- **समय**: सुबह **10 बजे** से शाम **6 बजे** तक  
- **तारीख**: [यहाँ तारीख जोड़ें, यदि उपलब्ध हो]  
**आयोजक:**
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के आयोजक हैं:
- **विजय यादव**, अध्यक्ष, भगत सिंह विचार मंच  
- **सुदमा पाण्डे**, सचिव, कम्युनिस्ट क्रांति केंद्र  
- संपर्क: **6306413290**
**विषय: देशभक्त और समाजवादी विचारधारा का प्रसार**
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य उन देशभक्तों और समाजवादियों को एक मंच पर लाना है जो कड़ी मेहनत और निष्ठा से समाज को एक बेहतर दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। सम्मेलन में वक्ताओं द्वारा भगत सिंह के विचारों और उनके बलिदान के बारे में चर्चा की जाएगी, साथ ही यह विचार किया जाएगा कि कैसे आज के समय में उनकी विचारधारा को समाज में लागू किया जा सकता है।
**कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:**
- **प्रेरणादायक भाषण**: जाने-माने वक्ता और समाज के प्रख्यात लोग भगत सिंह के विचारों पर चर्चा करेंगे।
- **सांस्कृतिक कार्यक्रम**: स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए जाएंगे।
- **आमंत्रण**: यह कार्यक्रम सभी देशभक्त, समाजवादी और मेहनतकश लोगों के लिए खुला है।


**क्यों शामिल हों?**
भगत सिंह का जीवन और उनकी विचारधारा आज के समय में भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं। यह सम्मेलन न केवल उनकी विचारधारा को सम्मानित करने का एक अवसर है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी उनके बलिदान और विचारों से अवगत कराने का एक मंच है। 

इस कार्यक्रम में भाग लेकर, आप भगत सिंह के आदर्शों के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत कर सकते हैं और समाज के लिए अपना योगदान सुनिश्चित कर सकते हैं।

12/09/2024

माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश सरकार

सितंबर 12, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज

माननीय।मुख्य।मंत्री।महोदय
उत्तर।प्रदेश।सरकार।लखनऊ
______&&&____________
विसये।।उत्तर।प्रदेश।के।समस्त।सफाई।कर्मचारियों।को।समान।कार्य।का।समान। वेतन देने।एवं।ठेके। दारी समाप्त।करने।के। सम्बन्ध।में
____________________________महोदय
अनुरोध।के।साथ।अवगत।करना। है।की।उत्तर।प्रदेश।में।हो।रहे। अत्त्या चार।से।मुक्ति।दिलाते।हुए।ठेका।प्रथा।को।समाप्त।कर।समान।कार्य।का।समान।वेतन। लागू करने।का।आदेश।पारित।करते। हुऐ परमानेंट। भर्ती।।करे।जिससे।उत्तर।प्रदेश।के।समस्त।सफाई।कर्मचारियों।का।आने।वाला।समय।उज्जल।हो।और।उनके। बच्चों का।जीवन।सुखमय।हो।
अतः।माननीय।महोदय।जी।से।।संघ।अनुरोध।करता। है।की।समस्त।सफाई।कर्मचारियों।के।उत्थान।हेतु।समेस्य।का।समाधान।करने।की।कृपा।करे
आप।का।संघ।आभारी।रहेगा
भवदीय।
अध्यक्ष।एवं।महा।मंत्री
रामप्रकाश। भारती।संतोष।वर्षा
Shiuram। समुद्रे

10/09/2024

योगी सरकार के उप-चुनावों में ज़्यादा फंड कटेहरी और कम फंड मिल्कीपुर कार्यक्रम

सितंबर 10, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज  *योगी सबसे ज्यादा कटेहरी और सबसे कम मिल्कीपुर पर मेहरबान:* 
प्रेम बहादुर और शमसेर सिंह की योगी सरकार की एक रिपोर्ट 


उपचुनाव से पहले 8 सीटें कवर कीं; 5 हजार करोड़ के पैकेज, 22500 को नौकरी
~~~~~~~~~
अभी यूपी में उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है। उसके पहले ही 10 में से 7 सीटों वाले जिलों में 5 हजार करोड़ की 8 हजार 518 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हो गया। यह सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन सीटों पर पहुंचकर किया। 22,500 युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे। सबसे ज्यादा फायदे में अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट रही, जबकि सबसे कम अयोध्या की मिल्कीपुर।
उपचुनाव की कमान अपने हाथ में लेने के बाद एक महीने में योगी ने 8 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। सिर्फ मुजफ्फरनगर की मीरापुर में कोई घोषणा नहीं की। बाकी 7 सीटों पर जनता को बड़ी सौगातें मिली हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सपा का PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूला तोड़ना है। इसीलिए सीएम योगी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर ज्यादा मुखर दिख रहे हैं।
अक्टूबर-नवंबर में यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। ये अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, कानपुर नगर की सीसामऊ, मैनपुरी, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, प्रयागराज की फूलपुर, मुरादाबाद की कुंदरकी और भदोही जिले की मझवां सीटें हैं। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है।
इसलिए योगी ने अब तक मिल्कीपुर और कटेहरी का तीन से चार बार दौरा कर लिया है। खैर, मैनपुरी, सीसामऊ, फूलपुर, मीरापुर और कुंदरकी का एक-एक बार दौरा किया। गाजियाबाद और मझवां में आने वाले दिनों में दौरा करने वाले हैं।
भाजपा से जुड़े नेताओं की मानें, तो सीएम योगी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने उपचुनाव की रणनीति तैयार की। इसमें लोकसभा चुनाव में कमजोर रहे पक्षों को उपचुनाव में मजबूत करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत पूरा उपचुनाव राष्ट्रवाद, रोजगार और विकास के मुद्दे पर लड़ने की रणनीति तय हुई। साथ ही महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस करना तय हुआ।

विनोबा जयंती 11 सितंबर से प्रारंभ 100 दिन सत्य गृह राजघाट वाराणसी

सितंबर 10, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज *विनोबा जयंती 11 सितंबर से शुरू होगा 100 दिवसीय सत्याग्रह*
राजघाट वाराणसी 


वाराणसी 9 सितं 24 
 स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही आचार्य विनोबा भावे की जयंती 11 सितंबर से सर्व सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी परिसर के विध्वंस के विरुद्ध और पुनर्निर्माण के लिए 100 दिन का सत्याग्रह प्रारंभ हो रहा है जो 19 दिसंबर 2024 तक चलेगा।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मोदी सरकार ने पिछले साल 12 अगस्त 2023 को बिना किसी न्यायिक आदेश के अवैधानिक तरीके से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा निर्मित सर्व सेवा संघ के ऐतिहासिक इमारत को मटियमित कर दिया था। साधना केंद्र को विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण ने बनाया था। यहां तक कि सर्व सेवा संघ प्रकाशन की गांधी विचार की किताबों को सड़क पर फेंक दिया था।
 सत्याग्रह की शुरुआत के प्रथम दिन सर्व सेवा संघ के पांच सत्याग्रही _ अध्यक्ष चंदन पाल, वरिष्ठ गांधीवादी श्रीमती कृष्णा मोहंती, रविंद्र सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज एवं सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाह उपवास पर बैठेंगे।

*1श्रीमती कृष्णा मोहंती*

उड़ीसा के मुख्यमंत्री एवं सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष नब कृष्ण चौधरी एवं सर्वोदय नेत्री मालती चौधरी की सुपुत्री 86 वर्षीया सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती कृष्णा मोहंती का पूरा जीवन गांधीवादी मूल्यों के प्रति समर्पित रहा है। वे गांधी जी के आश्रम सेवाग्राम में रही है और बचपन में ही अपनी मां के साथ जेल में बिताया है। सर्व सेवा संघ, राजघाट परिसर में भी कई वर्षों तक उनका निवास रहा है।
आचार्य विनोबा भावे द्वारा प्रारंभ भूदान आंदोलन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आदिवासी समुदाय में साक्षरता के प्रचार प्रसार के लिए उन्हें भारत सरकार के द्वारा सम्मानित भी किया गया है। उन्हें गांधी पुरस्कार से भी नवाजा गया है।

*2 रविंद्र सिंह चौहान*

 आचार्य विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण के प्रेरणा और प्रयास से 60 के दशक में चंबल के 650 बागियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। रायबरेली, उत्तर प्रदेश के रहनेवाले 85 वर्षीय रविंद्र सिंह चौहान इस अभियान में अत्यंत सक्रियता के साथ शामिल थे। विनोवा जी से प्रभावित होकर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और भूदान आंदोलन के हिस्सेदार बन गए।

*3 चंदन पाल*

पश्चिम बंगाल के 75 वर्षीय चंदन पाल पिछले 6 दशकों से सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे हैं। 1964 में शांति सेना के साथ उनका सामाजिक जीवन का प्रारंभ हुआ और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय शरणार्थी शिविरों में उन्होंने अपनी सेवा दी। सुनामी के समय अंडमान निकोबार में और सुपर साइक्लोन के वक्त उड़ीसा के राहत कार्य में अपना विशिष्ट योगदान दिया। असम के कोकडाझाड़ में सांप्रदायिक तनाव को दूर कर सद्भाव और शांति स्थापित करने में भी सफलता पाई। वे वहां 5 वर्ष तक रहे।संप्रति, वे सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष की जिम्मेवारी निभा रहे हैं। उनके कार्य को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

*4 रामधीरज* 

आपातकाल के विरुद्ध लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले रामधीरज 19 महीने तक मीसा के अंतर्गत जेल में रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए 1974 के जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर सामाजिक जीवन में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में शामिल हो गए और आज तक समाज की नव रचना में अपना योगदान दे रहे हैं।
1990 में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और डंकल प्रस्ताव के खिलाफ देशभर में आंदोलन चलाया। वे किसानों के संघर्ष में भी लगातार जुड़े रहे और 2012 में चले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी अपना योगदान दिया। राम धीरज गांधी विचार के प्रचार प्रसार के लिए गठित सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक रहे और फिलहाल उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष हैं।

*5 अरविंद सिंह कुशवाह*

उत्तर प्रदेश कानपुर के रहने वाले अरविंद सिंह कुशवाह गांधीवादी परिवार से हैं। बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रचार- प्रसार और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। वे फिलहाल सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री के रूप में सर्वोदय आंदोलन को सक्रिय करने में लगे हुए हैं।
यह सत्याग्रह गांधीवादी मूल्यों पर अहिंसा और शांति पर आधारित 100 दिनों तक जारी रहेगा। प्रतिदिन उड़ीसा, बंगाल, महाराष्ट्र, केरल कर्नाटक हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड आदि अलग-अलग राज्यों और जिलों से सर्वोदय कार्यकर्ता आएंगे एवं शांतिपूर्ण सत्याग्रह करेंगे। 
 राम धीरज 
सर्व सेवा संघ वाराणसी

युवा मोर्चा के संयोजक राजेश सचान द्वारा शीर्ष भारतीय संस्थानों की एक रिपोर्ट

सितंबर 10, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज   
कैम्पस चयन रिपोर्ट 

  देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार आईआईटी मुंबई में इस वर्ष कैंपस इंटरव्यू में 25 फीसद छात्रों को नौकरी नहीं मिली। वहीं न्यूनतम सालाना पैकेज महज 4 लाख रुपए रहा। मुंबई आईआईटी की यह रिपोर्ट पिछले दिनों से चर्चा का विषय है। गत वर्ष भी देश भर में 38 फीसदी आईआईटी छात्रों को कैंपस इंटरव्यू में नौकरी मिली थी। देश में प्रति वर्ष डिग्री हासिल करने वाले 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट में से 50 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। आईटी सेक्टर में संकट को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। वैसे तो आईटी सेक्टर में कई वर्षों से लगातार छंटनी हो रही है । लेकिन 2024 में जनवरी से अगस्त तक रिकॉर्ड एक लाख 35 हजार से ज्यादा लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पहले से ही संकटग्रस्त है। एमएसएमई ईकाइयां भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं, इनके पुनर्जीवन के सरकारी उपाय नाकामी साबित हुए हैं। कहने का मतलब है कि देश गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए कतई तैयार नहीं है। देश में अनुमानित एक करोड़ पद खाली हैं उन्हें भी भरने का कोई गंभीर प्रयास नहीं दिखता है। 
           जब इतने बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बेरोज़गार हैं। डिप्लोमा व आईटीआई प्रशिक्षण प्राप्त युवा तो करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार हैं और जो काम भी कर रहे हैं उसमें बहुतायत युवा बेहद कम वेतन पर काम करने के लिए विवश हैं। जब पहले से ही स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त युवा करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार हैं तब एक साल के इंटर्नशिप देकर इन युवाओं को कैसे रोजगार मिलेगा, इसका कोई जवाब सरकार के पास नहीं है। वैसे बजट 2024 में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप का लक्ष्य रखा गया है लेकिन बजट आवंटन महज 2 हजार करोड़ रुपए है। 
     कुलमिलाकर बेरोज़गारी की समस्या बेहद चिंताजनक है। सीएमआईई के हाल में जारी आंकड़ों में रिकॉर्ड 9 फीसद से ज्यादा बेरोज़गारी की दर है। यह तब है जब कि 
यूनिवर्सिटी कालेज के करोड़ों छात्रों समेत अन्य करोड़ों बेरोजगारों को शामिल ही नहीं किया जाता है। क्योंकि उन्हें लेबर फोर्स में शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा प्रच्छन्न बेरोज़गारी, अल्प रोजगार और न्यूनतम मजदूरी से भी कम दरों पर काम करने वाले करोड़ों शिक्षित व उच्च शिक्षित युवा/युवतियों की आर्थिक हालत का आंकलन किया जाए तो देश में बेरोज़गारी की भयावह स्थिति की सही तस्वीर सामने आयेगी। 
          जैसा कि कारपोरेट्स समर्थक पैरोकार मानते हैं कि बेरोज़गारी की समस्या का समाधान संभव नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है। देश में संसाधनों की भी कतई कमी नहीं है। लेकिन बड़े पूंजी घरानों ने अकूत मुनाफा कमा कर बेतहाशा संपत्ति अर्जित की है। कौन नहीं जानता कि इस संपत्ति को इनके द्वारा कैसे अर्जित किया गया है। सवाल है कि सरकार के खजाने में अधिकांश हिस्सा आम लोगों के प्रत्यक्ष व परोक्ष टैक्स से ही आता है ऐसे में इन अरबपतियों की संपत्ति व उत्तराधिकार कर क्यों नहीं लगाया जाता। जबकि इनके ऊपर 2 फीसद संपत्ति कर और इसी तरह इस्टेट ड्यूटी जैसे अन्य में समुचित टैक्स ही रोजगार सृजन, शिक्षा स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और हर व्यक्ति की सम्मानजनक जिंदगी जैसे सवालों को हल करने के लिए पर्याप्त है। 
युवा मंच अन्य सहयोगी संगठनों से मिलकर रोजगार अधिकार अभियान में इन सवालों पर बड़े पैमाने पर छात्रों, आम नागरिकों और नागरिक समाज समेत समाज के सभी तबकों से संवाद किया जा रहा है। आप सभी से निवेदन है कि इस अभियान से जुड़े। वाट्सएप नंबर 7905645778 पर मैसेज भेज कर इस मुहिम से जुड़ सकते हैं और यह आग्रह है कि इस अभियान को कैसे आगे बढ़ाया जाए इस संबंध में सुझाव भी भेजें। 
राजेश सचान, संयोजक युवा मंच 
दिनांक: 9/9/2024

04/09/2024

उत्तर प्रदेश सिविल जज के अंतिम परिणाम पर एक रिपोर्ट

सितंबर 04, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग   
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व समाज विज्ञानी 

 न्यूजउत्तर प्रदेश सिविल जज परीक्षा (पी०सी०एस० जे) का परिणाम रैंक सहित सूची पर जरा गौर करें...
1.आकांक्षा तिवारी      रैंक 1 
2.प्रतीक त्रिपाठी         रैंक 3
3.मीता पांडेय             रैंक 7
4.अनीमा मिश्रा           रैंक 13
5.सौरभ शुक्ला           रैंक 16
6.प्रशांत शुक्ला           रैंक 17 
7.सौरभ पांडे              रैंक 20 
8.ज्योत्सना राय          रैंक 21
9.रीचा शुक्ला             रैंक 24
10.रूचि कौशिक        रैंक 27
11.सौम्य भारद्वाज      रैंक 30 
12.सौम्य मिश्रा          रैंक 34
13.वरूण कौशिक      रैंक 37 
14.देवप्रिय सारस्वत    रैंक 38
15.सोनाली मिश्रा        रैंक 40 
16.शिप्रा दुबे              रैंक 42 
17.सुप्रिया शर्मा          रैंक 43
18.शिवम द्विवेदी        रैंक 45
19.अक्षिता मिश्रा        रैंक 46
20.राजीव रंजन मिश्रा  रैंक 56 
21.मोनिका मिश्रा        रैंक 57
22.सुधा शर्मा             रैंक 61
23.सौरभ ओझा         रैंक 63
24.आस्था मिश्रा         रैंक 65
25.श्रुति त्रिपाठी          रैंक 68
26.रजत शुक्ला          रैंक 70
27.रवि पांडेय                  76
28.आयुषि चतुर्वेदी           77
29.अश्विनी कुमार उपाध्याय  रैंक 84
30.प्रद्युमन कुमार मिश्रा       87
31.प्रफुल्ल उपाध्याय           98
32.सौम्य मिश्रा                 105
33.निहारिका पांडेय           110
34.अभिषेक त्रिपाठी          118
35.ममता दुबे                   119
35.रिचा अवस्थी               122
36.शुभम द्विवेदी               123
37.चन्द्र प्रकाश तिवारी       128
38.श्वेता तिवारी                130 
39.पंकज पांडेय                135 
40.देवेश त्रिपाठी               137
41.गौरव द्विवेदी                138
42.ईशा त्रिपाठी                139
43.श्वेता त्रिपाठी                148
44.सौम्य द्विवेदी                151
45.प्रत्युष आनंद मिश्रा       152
46.सत्यप्रकाश नारायण 
47.तिवारी.                      154
48.अमन शुक्ला               164
49.दीक्षा त्रिपाठी               177
50.तुषार शर्मा                  178
51.रिषभ चतुर्वेदी              180
52.आयुषि पांडेय              181
53.अंबुज मिश्रा                182
54.रागिनी मिश्रा               184
55.सौम्य पांडेय                 189
56.साक्षी मिश्रा                 191
57.वसुंधरा शर्मा                192
58.कृष्ण मोहन पांडेय        193
59.पियुष्का तिवारी            194
60.श्वेतिका उपाध्याय         202
61.प्रतिभा शुक्ला              203
62.शिवांगी त्रिपाठी            204
63.नैंसी तिवारी                 206
64.शिवांगी व्यास              208 
65.अमित मणि त्रिपाठी      210
66.दीक्षा त्यागी                 214
67.अरूण कुमार पांडेय     217
68.समृद्धि मिश्रा               222
69.अंजलि पांडेय              225
70.प्रियल शर्मा                 227
71.निधि पांडेय                 231
72.प्रियंका शर्मा                235
73.प्रभात कुमार दुबे          236
74.यशा शर्मा                    240
75.सृष्टि त्रिपाठी                242
76.अंबेश कुमार पांडेय       243
77.सोनल उपाध्याय           244
78.सारांश शर्मा                 248
79.अजीत कुमार मिश्रा      250     
नोट :- *ST, SC, OBC वाले कृपया मस्जिद की खुदाई करते रहें, क्या पता उसके नीचे मंदिर दबा हो और अपनी कट्टरता को कायम रखें एवं धर्म पर गर्व करें। यह बात सभी SC, ST,  OBC के लोगों को समझना चाहिए की बीजेपी शासन में बहुजनों के साथ न्याय की कोई उम्मीद नहीं करे। जो लोग बीजेपी के लिये कार्य कर रहे हैं उन्हें यह सूंची अच्छे से दसो बार देख लेना चाहिए, ब्राह्मण देश 3.5% होने के बाद भी 100% पदों पर सिविल जज बनाकर बैठा दिये गये हैं l यह ही हालात आगामी लोक सभा चुनाव 2024 के बाद पुरे देश में देखने को मिलेगा ll 
बहुजनों जागो और जगाओ

*इस मैसेज को शेयर करने से मेरा कोई पार्टी या धर्म से मतलब नहीं है मतलब है शिक्षा को लेकर और जागरूकता को लेकर*

27/08/2024

सत्य के साथ 100 दिन राजघाट ऐतिहासिक सोसायटी बचाओ अभियान सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन

अगस्त 27, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी, ब्रेकिंग न्यूज*आइए! न्याय के लिए दीप जलाएं*
राजघाट वाराणसी गांधी प्रेस 


*100 दिन का सत्याग्रह*

11 सितंबर से 19 दिसंबर 2024

राजघाट,वाराणसी

बंधुवर,
जय जगत!

आप इस दुखद घटना  से अवगत हैं कि गत वर्ष 22 जुलाई 2023 को सर्व सेवा संघ परिसर-साधना केंद्र को प्रधानमंत्री के इशारे पर वाराणसी एवं रेल प्रशासन ने बिना किसी अदालती आदेश के अवैध रूप से कब्जा कर लिया और 12 अगस्त 2023 को परिसर के भवनों को बुलडोजर द्वारा ध्वस्त कर दिया।
 जब से केंद्र में तथा कई राज्यों में आरएसएस/बीजेपी की सरकार बनी है तब से गांधी विचार, गांधीवादी एवं अन्य स्वैच्छिक संगठनों पर सरकार का हमला तेज हो गया है।

सरकार ने सबसे पहला हमला साबरमती आश्रम पर किया और पर्यटकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा देने के नाम पर इसके अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर लिया।
 सरकार इसे प्रेरणा स्थल से बदलकर मौज-मस्ती का स्थान बनाना चाहती हैं।

 भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाले इन लोगो को सादगी के सौंदर्य की समझ भी नहीं है। 
इसी तरह गुजरात विद्यापीठ को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है। देश भर में सैकड़ों संस्थाओं को, जिन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, निशाना बनाया जा रहा है, तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है।धड़ल्ले से FCRA का  रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा रहा है।
 सर्व सेवा संघ परिसर यानी विनोबा के साधना केंद्र ध्वस्त कर देना, प्रकाशन की किताबों को सड़क पर फेंक देना, इसी कड़ी का एक कदम है।
 लेकिन सर्व सेवा संघ ने आप के सहयोग एवं जन संगठनों की सामूहिक भागीदारी से इसका प्रतिवाद किया, जो अभी भी जारी है।

इसी क्रम में स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम व्यक्तिगत सत्याग्रही एवं भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे के जन्म दिवस 11 सितंबर से 19 दिसंबर 2024 तक सौ  दिनों का *व्यक्तिगत सत्याग्रह* चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम में 100 जिलों के लोक सेवक और सहमना संगठनों के साथी भागीदारी कर रहे हैं। 
प्रत्येक जिला सर्वोदय मंडल या सहमना संगठन की ओर से एक व्यक्ति *व्यक्तिगत सत्याग्रह पर बैठेगा, उपवास पर रहेगा* और कुछ अन्य साथी सहयोग में रहेंगे।

हम चाहते हैं कि इस सत्याग्रह में आपके संगठन/ संस्था की भी भागीदारी अवश्य हो। आप अपनी सुविधा के अनुसार सत्याग्रह में एक या एक से अधिक दिनों की भागीदारी कर सकते हैं। 

 आपके रहने और भोजन की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर की जाएगी। आप अपने आने की पूर्व सूचना देंगे तो इंतजाम करने में हमें सुविधा होगी।

व्यवस्था हेतु संपर्कः
------------------------- 
सुरेंद्र सिंह
 9451938269
तारकेश्वर सिंह 
99450243008

*निवेदक:*
 प्रो आनंदकुमार,
 चंदनपाल, अरविंद कुशवाहा,अशोक भारत, सत्येंद्र सिंह
अरविंदअंजुम
8874719992
नंदलाल मास्टर
9415300520 
जागृति राही 7651864879 
राम धीरज 
94530 47097

22/08/2024

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

अगस्त 22, 2024 1
सड़क समाचार: वाराणसी, ब्रेकिंग न्यूज                

One of the most famous stories from Bihar is the tale of "Nalanda University"—an ancient seat of learning that symbolizes India's rich educational heritage. Here's the story:

The Story of Nalanda University
Nalanda University, located in the ancient kingdom of Magadha (modern-day Bihar), was one of the earliest and most renowned centers of learning in the world. Established in the 5th century AD during the Gupta Empire, Nalanda became a beacon of knowledge, attracting scholars from various parts of the world, including China, Korea, Japan, Tibet, Mongolia, Turkey, Sri Lanka, and Southeast Asia.

Foundation and Growth
The university was founded by Gupta emperor Kumaragupta I in around 427 CE. Over the centuries, Nalanda flourished under the patronage of various rulers, including Harsha, the Buddhist emperor of Kannauj. It is said that the university housed over 10,000 students and 2,000 teachers. The vast campus of Nalanda comprised multiple temples, monasteries, lecture halls, and libraries, all designed in an elaborate architectural style. The university offered courses in diverse subjects, ranging from Buddhism, Vedas, and logic to grammar, medicine, and mathematics.

Scholars and Contributions
One of the most celebrated scholars associated with Nalanda was Xuanzang (also known as Hiuen Tsang), a Chinese Buddhist monk who visited India in the 7th century. Xuanzang studied and taught at Nalanda for many years, and his detailed accounts provide invaluable insights into the university's structure, curriculum, and life on campus. Another notable scholar was Dharmapāla, who contributed significantly to Buddhist philosophy and was instrumental in establishing Nalanda as a center of Mahayana Buddhism.

Destruction and Legacy
Nalanda's glory came to a tragic end in the 12th century when it was destroyed by Bakhtiyar Khilji, a Turkish invader. The libraries of Nalanda, containing thousands of manuscripts, were set on fire and burned for months. This marked the decline of Buddhism in India and the end of Nalanda as a major center of learning.

However, the legacy of Nalanda continues to inspire. In 2010, the Government of India established the modern Nalanda University near the ancient site, aiming to revive its tradition of learning and scholarship. This new university attracts students from across the globe, much like its ancient predecessor.

Cultural Significance
Nalanda's story is not just about a university; it represents the intellectual and spiritual quest of ancient India. It stands as a testament to the importance of education, the exchange of ideas, and the pursuit of knowledge that transcends borders. The ruins of Nalanda, now a UNESCO World Heritage Site, serve as a reminder of the rich cultural and academic heritage of Bihar and India.







Message ChatGPT

ChatGPT can make mistakes. Check important info.
ChatGPT says: One of the most famous stories from Bihar is the tale of **"Nalanda University"**—an ancient seat of learning that symbolizes India's rich educational heritage. Here's the story: ### The Story of Nalanda University **Nalanda University**, located in the ancient kingdom of Magadha (modern-day Bihar), was one of the earliest and most renowned centers of learning in the world. Established in the 5th century AD during the Gupta Empire, Nalanda became a beacon of knowledge, attracting scholars from various parts of the world, including China, Korea, Japan, Tibet, Mongolia, Turkey, Sri Lanka, and Southeast Asia. ### **Foundation and Growth** The university was founded by Gupta emperor Kumaragupta I in around 427 CE. Over the centuries, Nalanda flourished under the patronage of various rulers, including Harsha, the Buddhist emperor of Kannauj. It is said that the university housed over 10,000 students and 2,000 teachers. The vast campus of Nalanda comprised multiple temples, monasteries, lecture halls, and libraries, all designed in an elaborate architectural style. The university offered courses in diverse subjects, ranging from Buddhism, Vedas, and logic to grammar, medicine, and mathematics. ### **Scholars and Contributions** One of the most celebrated scholars associated with Nalanda was **Xuanzang** (also known as Hiuen Tsang), a Chinese Buddhist monk who visited India in the 7th century. Xuanzang studied and taught at Nalanda for many years, and his detailed accounts provide invaluable insights into the university's structure, curriculum, and life on campus. Another notable scholar was **Dharmapāla**, who contributed significantly to Buddhist philosophy and was instrumental in establishing Nalanda as a center of Mahayana Buddhism. ### **Destruction and Legacy** Nalanda's glory came to a tragic end in the 12th century when it was destroyed by Bakhtiyar Khilji, a Turkish invader. The libraries of Nalanda, containing thousands of manuscripts, were set on fire and burned for months. This marked the decline of Buddhism in India and the end of Nalanda as a major center of learning. However, the legacy of Nalanda continues to inspire. In 2010, the Government of India established the modern Nalanda University near the ancient site, aiming to revive its tradition of learning and scholarship. This new university attracts students from across the globe, much like its ancient predecessor. ### **Cultural Significance** Nalanda's story is not just about a university; it represents the intellectual and spiritual quest of ancient India. It stands as a testament to the importance of education, the exchange of ideas, and the pursuit of knowledge that transcends borders. The ruins of Nalanda, now a UNESCO World Heritage Site, serve as a reminder of the rich cultural and academic heritage of Bihar and India.ChatGPT

21/08/2024

69000 शिक्षक भर्ती पर एस.आर. दारापुरी की राय

अगस्त 21, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी, ब्रेकिंग न्यूज69000 शिक्षक भर्ती के संदर्भ में हाईकोर्ट के आए फैसले पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट का वक्तव्य 
अजय रॉय
अजय रॉय अखिल भारतीय जन मोर्चा के नेता


69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने 13 अगस्त 2024 के अपने फैसले में चयन सूची रद्द करने और आरक्षण अधिनियम 1994 को लागू करते हुए नये सिरे से सूची तैयार करने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट के फैसले में यह भी नोट किया गया है कि बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली 1981 में 2018 में किए गए 22 वें संशोधन के उपरांत मौजूदा स्थिति पैदा हुई। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी स्वीकार किया कि आरक्षित श्रेणी के युवाओं को नियमानुसार आरक्षण देने में गलती हुई है। सरकार ने आरक्षित श्रेणी के 6800 अभ्यर्थियों की अतिरिक्त सूची चयन हेतु जारी भी की थी। जिसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया था। 

     हाईकोर्ट के फैसले से इतना तो स्पष्ट है कि आरक्षित श्रेणी के युवाओं के साथ नाइंसाफी हुई है और आरक्षण अधिनियम 1994 का अनुपालन नहीं किया गया। विपक्ष के कुछ दलों का यह कहना कि परिषदीय विद्यालयों में पिछड़े और दलितों का हक मारा गया। यह इन अर्थों में सही है कि आरक्षित पदों में उनका प्रतिनिधित्व कम है, लेकिन यह भी सच है कि अनारक्षित यानी सामान्य श्रेणी में अन्य पिछड़ा वर्ग के 12630, अनुसूचित जाति के 1637 और अनुसूचित जनजाति के 21 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इस तरह पिछड़े, दलित व आदिवासियों का 69000 सीटों में कुल 48699 पदों पर चयन हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह कहना कि पिछली सरकारों की तुलना में इस बार पिछड़ों, दलितों व आदिवासियों की नियुक्ति अधिक हुई है मायने नहीं रखता। मुख्य प्रश्न यह है कि आरक्षित पदों पर पिछड़ों, दलितों व आदिवासियों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई। यही सवाल उच्च न्यायालय के सामने था और इसी सवाल पर शिक्षक अभ्यर्थी आंदोलनरत हैं। यही आंदोलन का मुख्य विषय भी है। हर हाल में आरक्षित पदों को भरा जाना चाहिए और जो शिक्षक अभी अध्यापन कार्य में लगे हैं उनका उचित समायोजन करना सरकार की जिम्मेदारी है। 
            
         इस पूरे प्रकरण को समग्रता में समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम व अधिनियम पर गौर करने की जरूरत है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 एवं शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के आधार पर होती है। 1994 में आरक्षण अधिनियम व 2009 में शिक्षा अधिकार अधिनियम पारित किए गए। इन्हें लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक आर्हता परीक्षा (टीईटी) होना अनिवार्य माना और सहायक अध्यापक भर्ती में परीक्षा कराने का निर्देश दिया था। स्वत: स्पष्ट है कि पुराने कानून आज के दौर के लिए उपयुक्त नहीं रह गए हैं। नयी परिस्थिति में नये अधिनियम व नियमावली बनाने की जरूरत थी लेकिन यह काम प्रदेश की किसी सरकार ने नहीं किया। 
        
        परिणामत: उत्तर प्रदेश में अभी तक जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं वह अधिकांशतः विवादित रही हैं। इसका गहरा दुष्प्रभाव शिक्षा जगत पर पड़ा है। शिक्षा जगत में गुणवत्ता की कमी तो आई ही है साथ ही परिषदीय विद्यालयों व शिक्षकों की संख्या भी क्रमश: घटाई जा रही है। शिक्षा के निजीकरण और पतन में शासन में रहे सभी दलों की भूमिका रही है लेकिन इसमें भी भाजपा की सबसे बढ़कर भूमिका है। माध्यमिक व उच्च शिक्षा भी इसका अपवाद नहीं है। शिक्षा व स्वास्थ्य के बजट शेयर में लगातार गिरावट आई है। 

         शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का सीधा मतलब है कि हर हाल में स्कूली बच्चों को अनिवार्य, निःशुल्क व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी सरकार करे। इसी अधिनियम के बाद देश भर में परिषदीय विद्यालयों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पदों का सृजन किया गया। प्राथमिक विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात 30:1 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 35:1 का अनुपात रखा गया। शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद प्रदेश के करीब 1.56 लाख परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के 8.80 लाख पद सृजित किए गए। शासन में आने के बाद योगी सरकार ने पहला काम 1.26 लाख हेडमास्टर के पदों को खत्म करने का किया। इसके बाद 2021-2023 की अवधि में 1.39 लाख शिक्षकों के पदों को खत्म किया गया। इसकी जानकारी संसद सत्र में कार्मिक मंत्री द्वारा दी गई। 

     मीडिया रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि 30 बच्चों से कम संख्या वाले करीब 24 हजार परिषदीय विद्यालयों को बंद किया गया है। इसके अलावा अभी 50 बच्चों से कम संख्या वाले करीब 27 हजार स्कूलों को बंद करने का प्रस्ताव है। इतने बड़े पैमाने पर पदों को खत्म करने और स्कूलों को बंद करने के बाद भी विधानसभा में सरकार ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में स्वीकृत पद 417886 के सापेक्ष 85152 पद रिक्त हैं और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्वीकृत पद 162198 में से 41338 पद रिक्त हैं। अभी भी परिषदीय विद्यालयों में कुल रिक्त पद 126490 हैं। योगी सरकार ने छात्र शिक्षक अनुपात में शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों को शामिल करते हुए रिक्त पदों को भरने से इंकार कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों को सहायक अध्यापक नहीं माना जाएगा।

      गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और खाली पदों को भरने, स्कूलों का मर्जर अथवा बंद करने पर रोक जैसे सवालों को लेकर तमाम संगठनों द्वारा खासकर युवाओं द्वारा अनवरत आवाज उठाई गई है। जाहिरा तौर पर सरकार की यह कार्रवाई शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है और इसका उद्देश्य परिषदीय विद्यालयों का निजीकरण करना और शिक्षा माफियाओं को बढ़ावा देना है। 

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्य समिति की तरफ से

एस. आर. दारापुरी 
राष्ट्रीय अध्यक्ष

21 अगस्त 2024                                                      अधिक जानकारी के लिए रोडवे न्यूज़ से जुड़े रहें या www.roadwaynews.com पर जाएं

मीडिया पर डॉ.राधेश्याम यादव की राय

अगस्त 21, 2024 0

सड़क समाचार: वाराणसी, ब्रेकिंग न्यूज आज पूरे देश को मिडिया और यहां के नेता देश को बदनाम कर रहे है जैसे पूरा देश ही बलात्कारी देश है अरे जरा सोचों एक केश या कई केश हो इस तरह से देश को राजनैतिक लाभ के लिए देश को बदनाम करना बन्द करें उसके लिए कानून और प्रशासन है कडी कारवाई करें जो बाहरी सुनेना वह मोदी जी का देश बलत्करी देश है आप जरा सा सोचो अगर आप के परिवार में कोई गलत कार्य हो जायेगा तो क्या आप उसे इस तरह प्रचार करवायें गें की प्रशासन से कड़ी कार्यवाही चाहेंगे जरा सा सोचा
देश मे गरीबों का हक खाने वाले चिल्ला रहे है की उनकी बेहमानी पर किसी की नजर न पढे और वह हमारा शोषण करते रहे - जरा सा सोचों PDA के लोग तुम्हे था कितना अन्याय हो रहा है और अपना मे भी कुछ विभीषण है जो उनका झोला उठा कर ढो रहे है अपने परिवार के स्वार्थ के लिए पूरे समाज को घोषा दे रहे है और हम उन्हे अपना नेता मानते है। बहुत अन्याय हमारे समाज PDA के साथ हो रहा है सोचों और अपना विचार बताये
डा राधे श्याम यादव समाज वैज्ञानिक वाराणसी

20/08/2024

डॉ. राधेश्याम यादव की राय में लड़के और लड़कियों में क्या अंतर है

अगस्त 20, 2024 1
जनता की आवाज, ब्रेकिंग न्यूज बेटीया बेटिया बहुत हो रहा है जरा सा सोचो बेटिया स्वतन्त्र रूप से स्वछन्द घुमती है और खुशी मनाती है हमारा धर्म क्या कहता है जरा उसपर भी सोचों धर्म बनाने वाले वेवकुफ थे क्या - . - -
आप रात मे घूमते हो क्या सोचते हो
घटना सभी के साथ हो सकता है
बरेली की घटना भूल गये क्या 2001 मे क्या हुआ था बेटे के साथ
इस लिए बेटा हो चाहे बेटी नियंत्रण मै रहना चाहिए इस विषय मे आप क्या सोचते है दिल पर हाथ रख कर सच्चाई बतायें
पूर्व प्रोफेसर एवं समाज विज्ञानी, उत्तर प्रदेश सरकार

06/08/2024

बांग्लादेश संकट या जनता के अधिकार, ध्यान दें भारत के तानाशाह

अगस्त 06, 2024 0
जनता की आवाज, ब्रेकिंग न्यूज सभी तक तेजी से पहुंचे नमस्कार दोस्तों मैं रादेश्यम रोडवेज निउस से अभी बंगला देश में जनता ने विद्रोग कर दिया वहाँ की प्रधानमंत्री सेख हसीना अपना देश छोड़ करके फरार हो गई और जनता ने सेख हसीना को डिक्टेटर सीप चलाने का आरोप लगाया था सेख हसीना 15 साल से सरकार चला रही थी और वो देश के अंदर सेख हसीना की
   यूपी सरकार की कहानी 

पार्टी के जितने समर्थक हैं उनके लिए सरकार की नवकरी, सुविधाएं सब मुहया होती थी वहाँ पर स्कूल, कालेज और कालेज के अंदर शात्रों का जो आंदोलन था वो इसी आरच्छण के खिलाब था कि सेख हसीना डिक्टेटर सीप चलाना छोड़ दे और अपने पार्टी के लिए जो उन्होंने आरच्छण बनाया है उस आरच्छण को खतम कर दिया जाए और ये जो आंदोलन है धीरे धीरे धीरे धीरे एक महिना तक बढ़ते बढ़ते ऐसे इस्तिति में पहुचे कि आज जनता ने विद्रो कर दिया वहाँ की प्रधानमंत्री सेख हसीना देश छोड़ कर फरार हो गई जनता ने उनके आवास को कभ्या कर लिया अब अगली अंतरिम सरकार बनाने की बात चीज चल लई है देखिये आगे क्या होता है समभव है कि ये बंगला देश में एक समावेसी सरकार बने और बंगला देश की जो घटना है या भारत के लिए बहुत माने रखता है क्योंकि भारत में भी एक ऐसी सरकार है जो दो कारेकाल पूरा करने के बाद तीसरे कारेकाल में प्रवेश कर चुकी है जहाँ पर जनता की नहीं सुनी जाती संभाव है कि किसी भी देश की सरकार हो जब जनता की नहीं सुनेगी तो जनता मजबूर होकर एक दिन रोट पर उतरेगी और उस सत्ता को उखाड फेकेगी धन्यवाद 

30/03/2024

जातिगत राजनीति के मुद्दे -राधेश्याम यादव की राय

मार्च 30, 2024 0

हमे आपस मे लड़ाने का कार्य बुद्धजिवी समाज बहुत चालाकी से करत है और हमारा अपना उनकी चालाकी नही समझ पात है जब हम आरक्षण की लड़ाई लड रहे थे तो यही बुद्धजिवी समाज बोलता था की आरक्षण से यादव कुर्मी कोईटी राजभर पाल चौहान को नुकाल दो हम आरक्षण मान लेगें वह अपनी राजनिति में सफल होने के लिए पिछडी जाति को आपस में लड़ाने के लिए दो भाग में बाट दिया 1 पिछडी नाति 2 अति पछडी जाति कर के हमारे भाई को बहकाने लगा . - हम कहते है की जब यादव की आवादी अधिक है तो यादव हर जगह अधिक रहे गा चाहे मरने की जगह हो चाहे सेना की जगह हो चाहे देश के विकास की बात हो हम टैक्स भी अधिक देते है आज op राजभर कहते है की सभी पद यादवों को मिल जाति है हम कहते है की तुम अपने बेटे की जगह किसी अन्य राजभर को लड़ाओं तुम अपने लाभ के लिए पूरे समाज का नुकसान पहूंचा रहे हो यही हाल कुर्मी कुसवाहा का है अगर तुमे दम है तो तुम केवल अपने जातिकाही विकास कर दो हम यादव खुशी से स्वीकार करेंगे तुम्हे आगे बड़ो हम तुम्हारे सहारें तुम्हारे पिछे चलेंगे तुम संघर्ष तो करो आज संविधान बदलने की बात चल रही है तुम चूप हो आज हमारे पिछडी जाति का बच्चा कितना भी अच्छा नम्बर से पास होतायें लेकिन यह भा ज पा सरकार उसे जनरल कोटा में नही जाने देगी क्यों जनरल तो सभी का है केवल ब्राह्मण ठाकूर के लिए तो 50% सीट नही दिया गया है अरे कुर्मी कुसवाहा पाल चौदान राजभर तुम कब जागोगे - अगर अम्बेडकर साहब नही लडे होते तो तुम आज भी अपनी बहु बेटीओ को शारीटिक शुद्धी के लिए ब्राह्मण समाज के यहा तीन दिन भेज देते क्या
आप कब जागों गें
आप सोचो धर्म शास्त्र का विद्धान छोटी जाति का हो गया तो वह शिक्षक नही बन सकता क्यों
प्रयोगिक परिक्षा में पिछडी जाति के छात्र को कम नम्बर देते है क्यों
उच्च शिक्षा में पवेश लेने से रोकते है क्यों
बड़े पदो पर जाने से रोकते है क्यों
आप कब सुधरोगे बहुत सी बाते है तुम यादव के साथ रहो तभी पिछडों का विकास होगा -
यह संदेश सभी पिछडो के पास जाना चाहिए यह हमारा निवेदन है - डा राधे शाम यादव समाज वैज्ञानिक की आवाज, ब्रेकिंग न्यूज सभी तक तेजी से पहुंचे

27/03/2024

BHAGAT SINGH SHAHEED DAY: MARCH 23, 2024 SAIDUPUR

मार्च 27, 2024 0


Bhagat Singh Shaheed Day on March 23, 2024, would likely commemorate the life and contributions of Bhagat Singh, a prominent Indian revolutionary who played a significant role in the Indian independence movement. Bhagat Singh was born on September 28, 1907, and he became a symbol of courage, patriotism, and sacrifice.

Bhagat Singh is remembered for his revolutionary activities aimed at overthrowing British colonial rule in India. He was involved in several acts of protest against British oppression, including the bombing of the Central Legislative Assembly in Delhi in 1929, for which he and his associates were arrested and subsequently executed.

March 23rd holds particular significance in the memory of Bhagat Singh because it marks the day of his execution by the British authorities in 1931, along with fellow revolutionaries Rajguru and Sukhdev, at the Lahore Central Jail. Despite his young age at the time of his death, Bhagat Singh's bravery, intellect, and commitment to the cause of Indian independence have made him an enduring symbol of resistance against oppression.

On Bhagat Singh Shaheed Day, people in India, particularly in the Punjab region where he hailed from, may organize various events such as seminars, lectures, cultural programs, and rallies to pay tribute to his legacy and to reaffirm their commitment to the ideals of freedom, justice, and equality for which he fought. It's a day to remember and honor the sacrifices made by Bhagat Singh and other freedom fighters in the struggle for independence.