अरावली बचाओ! हिमालय बचाओ! ग्रेट निकोबार बचाओ! हसदेव अरण्य बचाओ!
प्रकृति और हमारी जल-जंगल-ज़मीन को बचाने के लिए कोई प्लान-बी नहीं है. हमारे पास एक ही दुनियां है. दिल्ली की दमघोंटू हवा से लेकर छत्तीसगढ़ और ग्रेट निकोबार के उजड़ते जंगलों तक, और हिमालय में लगातार सामने आती आपदाओं तक— हम अपने भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के खिलाफ़ मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों के गवाह हैं.
एक तरफ़ मोदी सरकार झूठ पर झूठ बोल रही है, और दूसरी तरफ़ उसके कारपोरेट मित्र —सरकार की तथाकथित ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस’ नीति के पूरे संरक्षण में— हमारी साँसों की हवा, पीने का पानी, जंगल, पहाड़ और प्रकृति को बेरहमी से तबाह कर रहे हैं. जब पूरी दुनिया जलवायु संकट और उसके गरीब-कमज़ोर लोगों पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित है, तब यह सरकार बेशर्मी से पर्यावरण विनाश के रास्ते पर आगे बढ़ रही है.
अरावली
मोदी सरकार ने दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला, अरावली, की परिभाषा को मनमाने और छलपूर्ण तरीके से बदल दिया है ताकि इन्हें खनन के लिए खोल दिया जा सके. अब वे इस विनाश को ‘टिकाऊ खनन’ के नाम पर जनता को बेचने की कोशिश कर रहे हैं. इस नई परिभाषा के बाद अरावली का नब्बे फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सा खनन माफ़िया के ख़तरे में आ गया है.
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