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ब्रह्मण व ब्रह्मणबाद के पांच खुंटे पुरखो ने तो हिला दिया है और बहुजन उखाड़ने में लगे हैं*
ब्रह्मण व ब्रह्मणबाद के पांच खुंटे पुरखो ने तो हिला दिया है और बहुजन उखाड़ने में लगे हैं*
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आप लोग भी पढ़िए क्या हैं हिंदू धर्म के 5 खूंटे जिनसे ब्राह्मणों ने सभी sc, st & obc को बांध रखा है
*(1) पहला खूॅटा:- ब्राह्मण:-*
हिन्दू धर्म में ब्राह्मण जन्मजात श्रेष्ठ है चाहे चरित्र से वह कितना भी खराब क्यों न हो, हिन्दू धर्म में उसके बिना कोई भी मांगलिक कार्य हो ही नहीं सकता। किसी का विवाह करना हो तो दिन या तारीख बताएगा ब्राह्मण, किसी को नया घर बनाना हो तो भूमिपूजन करायेगा ब्राह्मण, किसी के घर बच्चा पैदा हो तो नाम- राशि बतायेगा ब्राह्मण, किसी की मृत्यु हो जाय तो क्रियाकर्म करायेगा ब्राह्मण, भोज खायेगा ब्राह्मण, बिना ब्राह्मण से पूछे हिन्दू हिलने की स्थिति में नहीं है। इतनी कड़ी मानसिक गुलामी में जी रहे हिन्दू से विवेक की कोई बात करने पर वह सुनने को भी तैयार नहीं होता।
OBC/SC/ST के आरक्षण का विरोध करता है ब्राह्मण, OBC/SC/ST की शिक्षा, रोजगार, सम्मान का विरोध करता है ब्राह्मण!! इतना होने के बावजूद भी वह OBC/SC/ST का प्रिय और अनिवार्य बना हुआ है। क्यों? घोर आश्चर्य!! या ये कहें कि दुनिया का आठवां अजूबा!! जो हिन्दू ब्राह्मण रूपी खूॅटा से बॅधा हुआ है।
*(2) दूसरा खूॅटा: ब्राह्मण शास्त्र:-*
यह जहरीले साॅप की तरह हिन्दू समाज के लिए जानलेवा है। मनुस्मृति जहरीली पुस्तक है। वेद, पुराण, रामायण आदि में भेद-भाव, ऊॅच-नीच, छूत-अछूत का वर्णन किया गया है। मनुष्य का जन्म:-
ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य, पैर से शूद्र की उत्पत्ति बताकर शोषण-दमन की व्यवस्था शास्त्रों में की गयी है, हिन्दू-शास्त्रों मे स्त्री को गिरवी रखा जा सकता है, बेचा जा सकता है, उधार भी दिया जा सकता है। हिन्दू समाज इन शास्त्रों से संचालित होता रहा है।
*(3) तीसरा खूॅटा: हिन्दू धर्म के पर्व/त्योहार:-*
हिन्दू धर्म के पर्व/त्योंहार आर्यों द्वारा इस देश के SC/ST/OBC (मूलनिवासियों) की गयी निर्मम हत्या पर मनाया गया जश्न है। आर्यों ने जब भी और जहाॅ भी मूलनिवासियों पर विजय हासिल की, विजय की खुशी में यज्ञ किया, यही पर्व कहा गया, पर्व ब्राह्मणों की विजय और त्योहार मूलनिवासियों के हार की पहचान है। त्योहार का मतलब होता है, तुम्हारी हार यानी मूलनिवासियों की हार।
इस देश के मूलवासी अनभिज्ञता की वजह से पर्व-त्योहार मनाते हैं। न तो किसी को अपने इतिहास का ज्ञान है और न ही अपमान का बोध। सबके सब ब्राह्मणवाद के खूॅटे से बॅधे हैं। अपना मान-सम्मान और इतिहास सब कुछ खो दिया है। अपने ही अपमान और विनाश का उत्सव मनाते हैं और शत्रुओं को सम्मान और धन देते हैं। यह चिन्तन का विषय है।
होली- होलिका की हत्या और बलात्कार का त्योहार दशहरा- दीपावली- रावण वध का त्योहार।
नवरात्र- महिषासुर वध का त्योहार।
किसी धर्म में त्योहार पर शराब पीना और जुआ खेलना वर्जित है। पर हिन्दू धर्म में होली में शराब और दीपावली पर जुआ खेलना धर्म है। हिन्दू समाज इस खूॅटे से पुरी तरह बॅधा हुआ है।
*(4) चौथा खूॅटा- देवी देवता:-*
हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवता बताये गये हैं। पाप-पुण्य, जन्म-मरण, स्वर्ग-नरक, पुनर्जन्म, अगले जन्म का भय बताकर काल्पनिक देवी-देवताओं की पूजा-आराधना का विधान किया गया है। मन्दिर-मूर्ति, पूजा, दान-दक्षिणा देना अनिवार्य बताया गया है। हिन्दू समाज इस खूॅटे से बॅधा हुआ है और चमत्कार, पाखण्ड, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा से जकड़ा हुआ है।
*(5) पाॅचवां खूॅटा : तीर्थस्थान:-*
ब्राह्मणों ने देश के चारों ओर तीर्थस्थान के हजारों खूॅटे गाड़ रखे हैं। इन तीर्थस्थानों के खूॅटे से टकराकर मरना पुण्य और स्वर्ग प्राप्ति का सोपान बताया गया है। इस धारणा पर भरोसा कर सभी ब्राह्मणों के मानसिक गुलाम OBC/SC/ST के लोग बिना बुलाये तीर्थस्थानों पर पहुँच जाते है जहाँ इनका तीर्थ स्थलों के मालिक (ब्राह्मण) आस्था की आड़ में हर प्रकार का शोषण करते हैं।
*समाधान*:- ब्राह्मणवाद के इन खूॅटो को उखाड़ने के लिए समस्त शूद्र(OBC/SC/ST) की जातियों को एकजुट होकर चिन्तन-मनन और विचार-विमर्श करना होगा। किसी भी मांगलिक कार्य में ब्राह्मण को न बुलाने से, ब्राह्मण शास्त्रों को न पढ़ने से, न मानने से, हिन्दू (ब्राह्मण) त्योहारों को न मनाने से, काल्पनिक हिन्दू देवी-देवताओं को न मानने, न पूजने से, तीर्थस्थानों में न जाने, दान-दक्षिणा न देने से ब्राह्मणवाद के सभी खूॅटे उखड़ सकते हैं।
ब्राह्मणवाद से समाज मुक्त हो सकता है और मानववाद विकसित हो सकता है। इस पर OBC/SC/ST समाज की सभी जातियों को चिन्तन-मनन करने की आवश्यकता है। तो आइए विदेशी आर्य ब्राह्मणों को दान, मान और मतदान न देकर ब्राह्मणवाद से मुक्ति और मानववाद को विकसित करने का सकल्प लें।
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*मानववादी साहित्य एवं सत्यम पुस्तक केन्द्र के विक्रेता स्वर्गीय नारदमुनि लोहार जी गया बिहार आप सभी को*. Radheyshyam azad from varanasi