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27/09/2024

बलिया रेलवे स्टेशन: विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खुलासा

सितंबर 27, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज

# बलिया रेलवे स्टेशन: विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खुलासा

 बलिया रेलवे स्टेशन: विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खुलासा


भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित बलिया शहर इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन दुर्भाग्य से अच्छे कारणों से नहीं। शहर का नया रेलवे स्टेशन, जिसे करोड़ों रुपये की लागत से बनाया जा रहा था, अब भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण कार्य का प्रतीक बन गया है।

## क्या हुआ बलिया रेलवे स्टेशन पर?


हाल ही में हुई हल्की बारिश ने बलिया के नवनिर्मित रेलवे स्टेशन की वास्तविक स्थिति को उजागर कर दिया है। स्टेशन का गुंबद, जो इसकी वास्तुकला का एक प्रमुख आकर्षण था, बारिश के कारण धराशायी हो गया। यह घटना न केवल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इस परियोजना में हुए संभावित भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करती है।

## परियोजना का विवरण


- **लागत**: करोड़ों रुपये (सटीक राशि की पुष्टि की जानी चाहिए)
- **उद्देश्य**: बलिया शहर को एक आधुनिक और सुविधाजनक रेलवे स्टेशन प्रदान करना
- **निर्माण अवधि**: (यहां निर्माण की शुरुआत और समाप्ति की तारीखें दी जा सकती हैं)


## मुख्य चिंताएं


1. **निर्माण की गुणवत्ता**: गुंबद का गिरना स्पष्ट रूप से दिखाता है कि निर्माण में उचित सामग्री और तकनीकों का उपयोग नहीं किया गया।

2. **सार्वजनिक सुरक्षा**: यदि स्टेशन का एक हिस्सा इतनी आसानी से गिर सकता है, तो यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।

3. **धन का दुरुपयोग**: करोड़ों रुपये के निवेश के बावजूद, परिणाम अत्यंत निराशाजनक है, जो संसाधनों के गलत प्रबंधन की ओर इशारा करता है।

4. **जवाबदेही का अभाव**: यह स्पष्ट नहीं है कि इस परियोजना की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कौन जिम्मेदार था।

## आगे की राह


इस घटना ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं:

1. **जांच की आवश्यकता**: एक स्वतंत्र जांच की तत्काल आवश्यकता है ताकि इस विफलता के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके।

2. **जवाबदेही सुनिश्चित करना**: जो भी अधिकारी या ठेकेदार इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

3. **निर्माण की समीक्षा**: पूरे स्टेशन के निर्माण की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य हिस्सा खतरे में नहीं है।

4. **पारदर्शिता**: भविष्य की परियोजनाओं में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

## निष्कर्ष


बलिया रेलवे स्टेशन की यह घटना भारत में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में व्याप्त गहरी समस्याओं को उजागर करती है। यह केवल एक इमारत के गिरने की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रणालीगत भ्रष्टाचार, लापरवाही, और जनता के प्रति जवाबदेही की कमी का प्रतीक है। 

आशा है कि यह घटना सरकार और संबंधित अधिकारियों के लिए एक जाग्रति का क्षण साबित होगी, और वे भविष्य में ऐसी परियोजनाओं की गुणवत्ता और निष्पादन पर अधिक ध्यान देंगे। जनता की सुरक्षा और सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना हर सरकार का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए।

(नोट: यह ब्लॉग पोस्ट उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखी गई है। किसी भी आधिकारिक जांच या बयान के लिए, कृपया संबंधित अधिकारियों या समाचार स्रोतों से संपर्क करें।)

26/09/2024

बाल संरक्षण के लिए जागरूकता के साथ-साथ गरीब माता पिता की रोजी-रोटी की हो व्यवस्था : अजय राय

सितंबर 26, 2024 0

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बाल संरक्षण के  लिए जागरूकता के साथ-साथ गरीब माता पिता की रोजी-रोटी की हो व्यवस्था : अजय राय
कंसल्टेशनल बैठक में सिविल सोसायटी


बाल संरक्षण के लिए आयोजित सिविल  सोसायटी व गैर सरकारी संगठन की बाल संरक्षण  मुद्दे पर कंसल्टेशनल बैठक में सिविल सोसायटी की तरफ से अजय राय ने यह उठाया मुद्दा 

  चकिया /मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान के द्वारा डी सी फैमिली रेस्टोरेंट चकिया में सिविल सोसाइटी व गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बाल संरक्षण के मुद्दे पर कंसल्टेशन मीटिंग किया गया। जिसमें  सिविल सोसायटी की तरफ से अजय राय ने कहा कि बाल  संरक्षण तभी संभव हैं जब  जागरूकता के साथ-साथ उनके माता-पिता की रोजी-रोटी की व्यवस्था हो आज परिवार में रोजी रोटी की व्यवस्था के लिए भी बाल श्रम कराया जात हैं जिसमें परिवार की सहमति होती हैं आज  जब बाजार के हवाले हैं कृषि चौपट हैं गांव से लोगों का पलायन हो रहा हैं रोजगार के लिए तब बाल श्रमिकों की संख्या मिलेगी ही  आज बाल हमारे देश की बहुत बड़ी समस्या हैं उनका श्रम के रूप  शारीरिक शोषण हो रहा हैं उनको देश के कई शहरों में ही नही विदेशों में भी ले जाकर शोषण किया जाता हैं ऐसे तो बाल संरक्षण रोकने के लिए गैर सरकारी संगठन अच्छा काम कर रहें हैं लेकिन सरकार को विशेष पहल लेना चाहिए ! बाल श्रम कराने  के लिए बाल तस्करी हो रही है ! परिवार  आर्थिक रूप से मजबूत होगा तो बच्चों  की पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था कर पायेंगे!  पिछड़े इलाके व गरीबों के बच्चें स्कूल जा सकें उसके लिए सिविल सोसायटी को सोचना चाहिए ! मुख्य अतिथि राष्ट्र सृजन अभियान के उपाध्यक्ष परशुराम सिंह द्वारा बताया गया कि स्कूल में  बच्चों को रोकने के लिए सुरक्षित वातावरण की जरुरत है जिसमें कैम्पस में पेड़ पौधा लगाना अति आवश्यक है क्योंकि पौधा लगाना ही नहीं बल्कि उसको बचाना हमारी प्राथमिकता रहे। जैसे पौधे सुरक्षित रहेंगे उसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे पर भी पड़ेगा। और जब अच्छे स्कूल में रहेंगे तो बाल श्रम, बाल तस्करी में भी कमी होगी ! आदर्श जन चेतना समिति के निदेशक कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव के द्वारा बताया गया कि हम सभी को बच्चों से सम्बधिंत सूचना को लेकर अपडेट रहना होगा चाहे आर टी आई के द्वारा मिले या सेकेंडरी दस्तावेज के माध्यम से जिससे की बच्चों से सम्बंधित कानून  के हिसाब से रणनीति बनाकर काम किया जा सके। वही रामपुर के ग्राम प्रधान के द्वारा बताया गया कि ग्राम स्तर पर पर ग्राम बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति ने के सहयोग से पंचायत डायरी के माध्यम से जोखिम में पड़े बच्चों की ट्रेकिंग कर रही है और उस ट्रेकिंग की हिसाब से बच्चों को सरकार के योजनाओं से जोड़ने का काम करेंगे। बचपन बचाओ आंदोलन, के चंदा गुप्ता के बराबर सर अच्छा को लेकर विस्तृत रूप से बताया गया। रोजा संस्थान से शिव कुमार वर्मा के द्वारा बच्चों के पोषण युक्त भोजन भी देना अति आवश्यक है। संस्था के प्रोग्राम मैनेजर शहनाज बानो के द्वारा बताया गया कि हम सभी सस्था के साथी अपने -2 कार्य क्षेत्र में भले अलग-अलग मुद्दे पर कार्य रहे है लेकिन बच्चों से संबंधित जो होता है उसको एक साथ लेकर करें जिससे कि बच्चे ऑनलाइन रिस्क के चलते तस्करी का शिकार हो जा रहे हैं या बाल विवाह हो जा रहा है। जागरुकता के अभाव में बच्चे बाल यौन शोषण के शिकार हो जा रही है जिनको गुड टच एवं बैड टच के बारे में  बताना है। और जे जे एक्ट, पाक्सो एक्ट, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 इत्यादि के बारे मे भी बताना होगा। सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा यह सुझाया गया कि  ईट भट्ठा पर काम करने वाले मजदूर के जो बच्चों के साथ में प्रवास करते हैं उन बच्चों को नजदीकी स्कूल में नामांकन के लिए सरकार को पत्र लिखना, जिससे की किसी मजदूर का बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। आजाद शक्ति ट्रस्ट से देवेंद्र कुमार सक्रिय भूमिका निभाये और इस कार्यकम में  महिमा, अंजना , परवेज कमलेश मोहन,  नरायन, का संचालन मुकेश कुमार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन श्री गणेश विश्कर्मा के द्वारा किया गया।

26 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व के महत्वपूर्ण घटनाक्रम

सितंबर 26, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज

# 26 सितंबर का इतिहास: भारत और विश्व के महत्वपूर्ण घटनाक्रम


26 सितंबर का दिन इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। इस दिन ने भारत और विश्व के इतिहास में अपना एक विशेष स्थान बनाया है। आइए इस लेख में हम 26 सितंबर को हुई कुछ प्रमुख घटनाओं पर एक नज़र डालें।

## भारतीय इतिहास में 26 सितंबर

### स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म (1824)

26 सितंबर, 1824 को **स्वामी दयानंद सरस्वती** का जन्म हुआ था। वे आर्य समाज के संस्थापक थे और भारतीय समाज में सुधार लाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जाति प्रथा, मूर्ति पूजा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका "वेदों की ओर लौटो" का नारा बहुत प्रसिद्ध हुआ।

### भगत सिंह का जन्म (1907)

इसी दिन 1907 में महान क्रांतिकारी **भगत सिंह** का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उनकी वीरता और देशभक्ति ने युवाओं को प्रेरित किया और वे आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक माने जाते हैं।

### भारतीय संविधान का अंगीकरण (1949)

26 सितंबर, 1949 को भारतीय संविधान सभा ने **राष्ट्रगान 'जन गण मन'** को अपनाया। यह दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

## विश्व इतिहास में 26 सितंबर

### पहले टेलीविजन डिबेट का प्रसारण (1960)

26 सितंबर, 1960 को अमेरिका में पहली बार **राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच टेलीविजन डिबेट** का प्रसारण हुआ। इस बहस में जॉन एफ केनेडी और रिचर्ड निक्सन ने हिस्सा लिया। यह घटना राजनीतिक संचार के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत थी।

### कॉन्कॉर्ड का पहला वाणिज्यिक उड़ान (1973)

इसी दिन 1973 में **कॉन्कॉर्ड सुपरसोनिक जेट** ने अपनी पहली वाणिज्यिक उड़ान भरी। यह विमानन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने यात्रा के समय को काफी कम कर दिया।

### चीन में पहला अंतरिक्ष यात्री का प्रक्षेपण (2008)

26 सितंबर, 2008 को चीन ने अपने पहले **अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजा**। यह चीन के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी और इसने उसे अंतरिक्ष की दौड़ में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया।

## 26 सितंबर का महत्व

26 सितंबर का दिन विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि:

1. **सामाजिक सुधार**: स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्म से हमें याद आता है कि समाज में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

2. **देशभक्ति और बलिदान**: भगत सिंह का जन्मदिन हमें देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना से प्रेरित करता है।

3. **लोकतांत्रिक मूल्य**: राष्ट्रगान के अंगीकरण से हमें लोकतंत्र के महत्व का एहसास होता है।

4. **तकनीकी प्रगति**: कॉन्कॉर्ड और अंतरिक्ष मिशन जैसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि मानव जाति कैसे निरंतर प्रगति कर रही है।

5. **संचार का महत्व**: पहले टेलीविजन डिबेट से हमें पता चलता है कि संचार के माध्यम कैसे बदल रहे हैं और उनका प्रभाव कितना व्यापक है।

## निष्कर्ष

26 सितंबर का दिन हमें याद दिलाता है कि इतिहास हमेशा बनता रहता है। हर दिन कुछ न कुछ ऐसा होता है जो भविष्य को प्रभावित करता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने जीवन में कुछ ऐसा करें जो इतिहास में दर्ज किया जा सके।

हमें इन घटनाओं से सीख लेनी चाहिए और अपने देश और समाज के विकास में योगदान देना चाहिए। चाहे वह सामाजिक सुधार हो, वैज्ञानिक प्रगति हो या फिर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा, हर क्षेत्र में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण है।

आइए हम सब मिलकर एक ऐसा भविष्य बनाएं जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकें। 26 सितंबर का दिन हमें याद दिलाता है कि हर दिन एक नया इतिहास बनाने का अवसर लेकर आता है। हम सभी के पास यह शक्ति है कि हम अपने कार्यों से इतिहास को नई दिशा दे सकें।
 
https://roadwaynews.com/26-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%82%e0%a4%ac%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b8-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b5

24/09/2024

जेल और जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सितंबर 24, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.          (संपादकीय, रेड स्टार , अक्टूबर 2024)


" *जमानत* *नियम* *है* *और* *जेल* *अपवाद* "
 *लेकिन* *उमर* *खालिद* *जैसे* *मुस्लिम* *नामों* *वालों* *पर* *यह* *लागू* *नहीं* *होता* !!

13 अगस्त 2024 को भारत के सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने अपने फैसले में कहा कि "जमानत नियम है और जेल अपवाद" का कानूनी सिद्धांत  धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग ) जैसे मामलों और यहां तक कि UAPA जैसे विशेष कानूनों के तहत अपराधों पर भी लागू होता है। पीठ ने आगे कहा कि यदि अदालतें योग्य मामलों में जमानत देने से इनकार करने लगेंगी, तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। शीर्ष अदालत का रुख स्पष्ट है: स्वतंत्रता नियम है और इसकी अवहेलना अपवाद।

दरअसल, इस निर्णय में कुछ नया नहीं है। भले ही सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त निर्णय की अनुपस्थिति में भी, यह एक तथ्य है कि हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के आरोपी भी नियमित रूप से भारतीय अदालतों से जमानत पा रहे हैं। कई लोग जिन्होंने सबसे अमानवीय अत्याचार किए हैं, वे भी जेल से जमानत पर बाहर आ रहे हैं, जबकि जिन मामलों में वे आरोपी हैं, उनका औपचारिक मुकदमा( ट्रायल) अभी शुरू होना बाकी है। लेकिन, अक्सर, मुस्लिम नाम वाले लोग इस प्रावधान के हकदार नहीं होते।

इसीलिए अदालत के इस निर्णय के उच्च आदर्श उमर खालिद के मामले में लागू नहीं होते। 36 वर्षीय उमर खालिद, जेएनयू के शोध  विद्यार्थी, जो सितंबर 2020 से चार साल की  मुकदमा शुरू होने से पूर्व कैद भुगत रहे हैं। खालिद एक ऐसा उदाहरण हैं जहां सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सिर्फ एक उपदेश बन गया है। वरना, खालिद जिनका 'अपराध' सिर्फ 2020 में मुस्लिम विरोधी CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेना था, और जहां पुलिस और अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश करने में असफल रहे हैं, उन्हें तिहाड़ जेल के अधिकतम सुरक्षा वाले जेल में सड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाता। कई अदालतों के साथ-साथ खालिद की शीर्ष अदालत में याचिका भी 14 बार स्थगित की जा चुकी है।

उमर खालिद के मामले में, भारतीय अदालतें संवैधानिक अधिकारों की सर्वोच्चता को सत्तारूढ़ शासन की राजनीतिक प्राथमिकताओं पर पुनः स्थापित करने में विफल रही हैं। जब भी खालिद का मामला सुनवाई के लिए आया, यहां तक कि शीर्ष अदालत में भी, इसे अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर, वकीलों की अनुपस्थिति, विशेष रूप से वरिष्ठ वकीलों की अनुपलब्धता, समय की कमी और अन्य लचर तकनीकी कारणों के बहाने स्थगित कर दिया गया।

निस्संदेह, फासीवादी शासन सचमुच वैचारिक रूप से सख्त खालिद से डरता है, जिन्होंने कहा: "वैचारिक रूप से, आप कह सकते हैं, मैं एक  मूलभूत परिवर्तन कामी लोकतांत्रिक हूं। मैं लोकतंत्र में विश्वास करता हूं, और मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास करता हूं जो सिर्फ आपके वोट तक सीमित न हो... इसे हर रोज की जिंदगी में भी लागू होना चाहिए, जहां आप अपनी समस्याओं और चिंताओं को लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त कर सकें।" इसी बीच, दिल्ली पुलिस अभी भी खालिद को फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम विरोधी CAA विरोध प्रदर्शन में एक प्रमुख साजिशकर्ता बताने का दावा कर रही है।

जेएनयू के विद्यार्थियों में सबसे सक्रिय राजनीतिक  कार्यकर्ताओं में से एक के रूप में, खालिद 2016 से ही खबरों में थे, जब उन्हें चार अन्य लोगों सहित अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। संसद हमले में अफजल गुरु की संलिप्तता के संबंध में किसी भी ठोस साक्ष्य की अनुपस्थिति के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर कड़ी टिप्पणी के साथ मौत की सजा सुनाई: “इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, और समाज की सामूहिक अंतरात्मा तभी संतुष्ट होगी जब अपराधी को मौत की सजा दी जाएगी।” यहां तक कि अफजल के परिवार को इस फैसले और इसके जल्दबाजी में क्रियान्वयन के बारे में सूचित नहीं किया गया और न ही उसके रिश्तेदारों को फांसी से पहले उससे मिलने का अवसर दिया गया।

जबकि संसद हमले के वास्तविक मास्टरमाइंड की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है और उन पर कोई जांच भी नहीं हुई, समाज की “सामूहिक अंतरात्मा” को संतुष्ट करने के लिए किसी व्यक्ति को मौत की सजा देना “न्यायिक हत्या” के अलावा कुछ नहीं है। इसलिए, खालिद को 9 फरवरी 2016 को “न्यायिक हत्या” के खिलाफ आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। खालिद, भगवा ताकतों के लिए अन्य कारणों से भी खटक रहे थे। उदाहरण के लिए, वे 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु स्थित अपने घर में मारी गई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे थे। हत्यारों की गोलियां उनके विचारों को खामोश नहीं कर सकतीं, यह घोषित करते हुए खालिद ने कहा: “हिंदुत्व फासीवादी ताकतों की मुखर आलोचक गौरी लंकेश की हत्या से मैं आक्रोशित और स्तब्ध हूं। मेरे लिए वह सिर्फ एक पत्रकार नहीं थीं। वह जेएनयू आंदोलन की मजबूत समर्थक थीं।”

संक्षेप में, जब शीर्ष अदालत जमानत को नियम और जेल को अपवाद घोषित करती है, तब भारत में हम ऐसी स्थिति में रह रहे हैं जहां न्यायिक फैसले अंततः राजनीतिक/कार्यकारी विचारों से प्रभावित और नियंत्रित हो रहे हैं। यहां तक कि अपने हिंदुत्ववादी आकाओं को खुश करने के लिए उत्सुक न्यायाधीश भी अब अपने फैसलों में मनुस्मृति का हवाला दे रहे हैं और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को ‘पाकिस्तान’ करार दे रहे हैं। मुस्लिमों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या, मस्जिदों को ध्वस्त करना और उनके घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करना अब सामान्य हो गया है, और खासकर भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों के लिए एक नागरिक के रूप में जगह तेजी से सिकुड़ रही है। इसलिए, उमर खालिद का बिना मुकदमे या जमानत के जेल में रहना इस व्यापक हिंदुत्व एजेंडे का हिस्सा है जिसमें मुसलमानों को दुश्मन नंबर 1 के रूप में कलंकित किया गया है।

उमर खालिद के साथ एकजुटता में!
जेल और बेल पर रिपोर्ट. अधिक जानकारी के लिए यहां जाएं

28 सितंबर को हरोड़ा भिटिया, चंदौली में संयुक्त वाम मोर्चा और भगत सिंह विचार मंच द्वारा एक बड़े सम्मेलन का आयोजन।

सितंबर 24, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज

28 सितंबर को हरोड़ा भिटिया, चंदौली में संयुक्त वाम मोर्चा और भगत सिंह विचार मंच द्वारा एक बड़े सम्मेलन का आयोजन।

सभी समाजवादी लोगों से अनुरोध है कि वे इस सम्मेलन में भाग लें।

इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेकर आप समाजवादी विचारधारा को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं। यह आयोजन हमारे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और समानता के संदेश को फैलाने का एक अनूठा अवसर है।

सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा होने की संभावना है:

1. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और समाजवादी आंदोलन की भूमिका
2. भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता और उनका वर्तमान समय में महत्व
3. किसान और मजदूर वर्ग की समस्याएँ और उनके समाधान
4. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समाजवादी नीतियों का महत्व
5. युवाओं के लिए रोजगार के अवसर और उनकी भूमिका

आप सभी से अनुरोध है कि इस सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इसे सफल बनाएँ। अपने साथियों, मित्रों और परिवार के सदस्यों को भी इस बारे में सूचित करें ताकि वे भी इस महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बन सकें।

सम्मेलन का समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
स्थान: हरोड़ा भिटिया, चंदौली


कृपया समय पर पहुँचें और अपने साथ पहचान पत्र अवश्य लाएँ। सम्मेलन स्थल पर पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।

आइए, मिलकर एक मजबूत और न्यायसंगत समाज का निर्माण करें। हम आपकी उपस्थिति की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सुदामा पाण्डे द्वारा समाचार विज्ञप्ति - भगत सिंह विचार मंच (6306413290)
 भगत सिंह विचार मंच (6306413290)

23 सितंबर का इतिहास: एक विस्तृत अवलोकन

सितंबर 24, 2024 0
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# 23 सितंबर का इतिहास: एक विस्तृत अवलोकन


23 सितंबर एक ऐतिहासिक दिन है जो कई महत्वपूर्ण घटनाओं, जन्मदिनों और स्मरणीय क्षणों से भरा हुआ है। इस लेख में, हम इस तिथि के इतिहास को गहराई से खोजेंगे, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में हुई उल्लेखनीय घटनाओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
23 SEPTEMBER HISTORICAL


## प्राचीन काल में 23 सितंबर


प्राचीन काल में, 23 सितंबर का दिन कई सभ्यताओं के लिए महत्वपूर्ण था। यह **शरद ऋतु विषुव** का दिन था, जब दिन और रात लगभग बराबर होते थे। यह समय कृषि समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह फसल की कटाई के मौसम की शुरुआत का संकेत देता था।

### मध्य युग में 23 सितंबर


मध्य युग में, 23 सितंबर ने कई ऐतिहासिक घटनाओं को देखा। 1122 ईस्वी में, इस दिन **कॉनकॉर्डेट ऑफ वॉर्म्स** पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने पवित्र रोमन साम्राज्य और कैथोलिक चर्च के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त किया।

## आधुनिक इतिहास में 23 सितंबर


आधुनिक काल में, 23 सितंबर ने कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है जो दुनिया को आकार देने में मदद की है।

### राजनीतिक घटनाएँ


1. **1862**: अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने प्रारंभिक मुक्ति घोषणा जारी की, जिसने गृह युद्ध के दौरान दास प्रथा के अंत की नींव रखी।

2. **1932**: सऊदी अरब की स्थापना हुई, जो मध्य पूर्व में एक प्रमुख शक्ति बन गया।

3. **1983**: सेंट किट्स और नेविस ने ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की, जो कैरिबियाई क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत थी।

### वैज्ञानिक उपलब्धियाँ


1. **1846**: फ्रांसीसी खगोलशास्त्री अर्बेन ले वेरियर ने नेप्च्यून ग्रह की खोज की घोषणा की, जो सौर मंडल के आठवें ग्रह की पहचान थी।

2. **1956**: पहला ट्रांसअटलांटिक टेलीफोन केबल चालू हुआ, जिसने वैश्विक संचार में एक नया युग शुरू किया।

### सांस्कृतिक घटनाएँ


1. **1889**: जापान में निंटेंडो कंपनी की स्थापना हुई, जो बाद में वीडियो गेम उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गई।

2. **1962**: द जेटसंस, एक प्रभावशाली एनिमेटेड टीवी श्रृंखला, का प्रीमियर हुआ, जिसने भविष्य की एक रोमांचक कल्पना प्रस्तुत की।

## 23 सितंबर के जन्मदिन


इस दिन कई प्रसिद्ध व्यक्तियों का जन्म हुआ, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1. **63 ईसा पूर्व**: **ऑगस्टस सीज़र**, रोम के पहले सम्राट, जिन्होंने रोमन साम्राज्य को एक नया आकार दिया।

2. **1215**: **कुबलई खान**, मंगोल साम्राज्य के महान शासक और चीन के युआन राजवंश के संस्थापक।

3. **1791**: **माइकल फैराडे**, अंग्रेजी वैज्ञानिक जिन्होंने विद्युत चुम्बकत्व के क्षेत्र में क्रांतिकारी खोजें कीं।

4. **1930**: **रे चार्ल्स**, अमेरिकी संगीतकार जिन्होंने आर एंड बी और सोल म्यूजिक को लोकप्रिय बनाया।

5. **1943**: **जूलियो इग्लेसियस**, स्पेनिश गायक और संगीतकार जिन्होंने वैश्विक स्तर पर लैटिन संगीत को प्रसिद्धि दिलाई।

## 23 सितंबर के महत्वपूर्ण घटनाक्रम


### प्रथम विश्व युद्ध


1914 में, 23 सितंबर को **प्रथम विश्व युद्ध** के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। जर्मन सेना ने फ्रांस में अपने आक्रमण को तेज किया, जबकि ब्रिटिश और फ्रांसीसी बलों ने अपनी रक्षा पंक्तियों को मजबूत किया।

### द्वितीय विश्व युद्ध


1939 में, 23 सितंबर को **द्वितीय विश्व युद्ध** के शुरुआती दिनों में, पोलैंड के खिलाफ जर्मन आक्रमण जारी रहा। इस दिन, सोवियत संघ ने भी पोलैंड पर आक्रमण किया, जिससे देश दो महाशक्तियों के बीच विभाजित हो गया।

### शीत युद्ध


1949 में, 23 सितंबर को **शीत युद्ध** के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने घोषणा की कि सोवियत संघ ने सफलतापूर्वक परमाणु बम का परीक्षण किया है, जिससे विश्व शक्ति संतुलन में बदलाव आया।

## 23 सितंबर का वैज्ञानिक महत्व


### खगोल विज्ञान


23 सितंबर को **शरद ऋतु विषुव** होता है, जो उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन, सूर्य भूमध्य रेखा को पार करता है, जिससे दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।

### जैव विविधता


यह तिथि कई प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, कुछ प्रवासी पक्षी इस समय अपनी लंबी यात्रा शुरू करते हैं, जबकि कई पौधे अपने जीवन चक्र में एक नए चरण में प्रवेश करते हैं।

## 23 सितंबर का सांस्कृतिक महत्व


### धार्मिक उत्सव


कई संस्कृतियों में 23 सितंबर को विशेष महत्व दिया जाता है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में, यह **महालया** के समय के करीब पड़ता है, जो दुर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत का संकेत देता है।

### आधुनिक उत्सव


1. **बिस्मार्क में पंपकिन फेस्टिवल**: उत्तरी डकोटा, अमेरिका में यह वार्षिक उत्सव 23 सितंबर के आसपास मनाया जाता है, जो शरद ऋतु की शुरुआत का जश्न मनाता है।

2. **ऑक्टोबरफेस्ट**: यह प्रसिद्ध जर्मन बीयर उत्सव अक्सर 23 सितंबर के आसपास शुरू होता है।

## निष्कर्ष


23 सितंबर एक ऐसा दिन है जो इतिहास, विज्ञान और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को एक साथ लाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे एक ही तिथि विभिन्न समयों और स्थानों पर अलग-अलग महत्व रख सकती है। चाहे वह प्राचीन सभ्यताओं के लिए मौसमी परिवर्तन हो या आधुनिक दुनिया में राजनीतिक घटनाएँ, 23 सितंबर हमेशा इतिहास के पन्नों में एक विशेष स्थान रखेगा।

इस दिन की विविधता और महत्व हमें याद दिलाती है कि इतिहास एक जटिल और बहुआयामी विषय है। हर साल 23 सितंबर आते ही, हम अतीत की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं और भविष्य की संभावनाओं की ओर देखते हैं, जो इस तिथि को वास्तव में विशेष बनाता है।

22/09/2024

बिहार और देश में दलित समुदाय के साथ मनुवादियों द्वारा हिंसा एक रिपोर्ट

सितंबर 22, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज           **नवादा* , *बिहार* : *महादलितों* *पर* *अत्याचार* *नीतीश* *सरकार*  *द्वारा* *मनुवादी* *फासीवादी* *ताकतों* *के* *तलवे* *चाटने* *का* *नतीजा*
 
 *कॉरपोरेट* - *भूस्वामी* - *भगवा* *मनुवादी* *जातिवादी* *गठजोड़* *के* *खिलाफ* *संघर्ष* *करें*
  
 *जाति* *जनगणना* *की* *मांग* *पर* *एकजुट* *हों**

- *जाति* *उन्मूलन* *आंदोलन* 
रोडवे न्यूज़ मैगजीन की बंडू मेश्राम से ताज़ा रिपोर्ट 


बिहार के नवादा जिले में 18 सितंबर को एक भयावह घटना घटी है। तथाकथित उच्च जाति के दबंगों ने(  प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इनमें यादव और दलित पासवान समुदाय के लोग भी  शामिल थे) कृष्णा नगर महादलित बस्ती में ग़रीब महादलितों के साथ मारपीट की, 40-50 घरों को आग लगा दी। इस हमले में महादलितों के घर जलकर खाक हो गए, उनकी संपत्ति नष्ट हो गई और उन्हें गाँव से भागने पर मजबूर कर दिया गया। इस घटना ने यह दिखाया कि आज भी समाज में जातिगत उत्पीड़न और आतंक गहराई से जड़ जमाया हुआ है। यह हमला न केवल जातिगत उत्पीड़न और जमीन  पर स्वामित्व की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज की कॉरपोरेट भगवा फासीवादी व्यवस्था,  निर्मम जातिव्यवस्था  का किस तरह फायदा उठाती है।

नवादा की घटना कोई एकाकी घटना नहीं है; भारत में दलितों पर होने वाले अत्याचारों का एक लंबा इतिहास है। हाल की ही कुछ घटनाओं पर नज़र डालें तो यह साफ़ हो जाता है कि आज भी देशभर में दलितों/ उत्पीड़ितों पर अत्याचार जारी है। 

-हाथरस, उत्तर प्रदेश (सितंबर 2020):19 साल की दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। इस मामले में न केवल पुलिस और  प्रशासन की मिलीभगत सामने आई, बल्कि फासिस्ट योगी आदित्यनाथ सरकार का रवैया भी पूरी तरह से जातिगत भेदभाव से प्रेरित दिखा। लड़की का रातों-रात अंतिम संस्कार कर दिया गया, ताकि घटना पर पर्दा डाला जा सके। इस घटना की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने भीषण प्रताड़ित किया विशेषकर केरल के पत्रकार सिद्धिक कप्पन को जो कि निरपराध थे जेल में बरसों सड़ाया गया।यहां ,हाथरस कांड के बलात्कारी हत्यारे लोग राजपूत ठाकुर जाति के थे ,लेकिन  गोदी मीडिया ने इस बात का उल्लेख नहीं किया।

-गुजरात, ऊना (2016): चार दलित युवकों को मृत गाय की खाल उतारने के लिए सार्वजनिक रूप से पीटा गया और उन्हें जीप में बांधकर अर्ध नग्न अवस्था में घसीटा गया।ये क्रूर अत्याचार ,खुद को सांस्कृतिक संगठन कहने वाले संघ परिवार के आनुषंगिक संगठन के नेतृत्व में हुआ।

-उत्तर प्रदेश, गोहरी इलाहाबाद  में सामूहिक गैंग रेप और हत्याकांड( 2021):
गोहरी में योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में एक दलित मजदूर के परिवार में पति, पत्नी,किशोरी बेटी और विकलांग बेटे की हत्या ,दबंग जाति के भूस्वामी परिवार के लोगों ने कर दी।हत्या के पहले मां और बेटी के साथ गैंग रेप किया गया। आज तक पुलिस ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की।

-उन्नाव कांड,उत्तर प्रदेश( 2020):
ये तो बहुत चर्चित कांड है जहां भाजपा का बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने दलित लड़की के साथ बलात्कार कर उसे जान से मारने की कोशिश की और उस लड़की के परिवार में कई लोगों का खून कर दिया।उस पर पूरी भाजपा सरकार का संरक्षण होने के कारण ,उसे गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने में भी बहुत मुश्किलें सामने आई।आज तक हाथरस,गोहरी की तरह उन्नाव कांड में भी पीड़ितों को सही तरीके से न्याय नहीं मिल पाया है।
-तमिलनाडु, विल्लुपुरम (2021): दलित समुदाय के लोगों पर ऊँची जाति के लोगों ने हमला कर दिया। उन्हें जमीन और पानी जैसे बुनियादी संसाधनों से वंचित करने के लिए लगातार दबाव बनाया गया। दलितों को उनकी जमीनों से बेदखल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए।
-उत्तर प्रदेश, औरैया (अप्रैल 2023): एक दलित परिवार पर उच्च जाति के लोगों ने सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने गाँव के कुएँ से पानी लेने की कोशिश की थी। इस मामले में भाजपा सरकार की पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दलित परिवार पर ही झूठे आरोप लगाए।
-मध्य प्रदेश, सागर (जून 2023): राज्य में भाजपा शासन काल के दौरान एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई क्योंकि उसने ऊँची जाति के व्यक्ति के साथ बात करने की “जुर्रत” की थी। भाजपा शासित मध्य प्रदेश के सीधी जिले में  भाजपा के एक ब्राम्हण नेता ने आदिवासी युवक पर पेशाब कर दिया था।ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे आज भी दलितों को सामाजिक व्यवस्था में निचले पायदान पर रखा जाता है और उन्हें अपने मौलिक अधिकारों से वंचित किया जाता है।ज्यादातर जातिगत उत्पीड़न की घटनाएं भाजपा जहां सत्तासीन है वहां और मोदी सरकार के दस सालों से भी अधिक के शासन में हुए हैं,और अभी भी जारी हैं।

ऐसी घटनाएं बार-बार बताती हैं कि आज भी देश के अधिकांश हिस्सों में दलित और आदिवासी समुदाय जातीय अत्याचार का शिकार है। अगर आंकड़ों की बात करें तो, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दलितों के खिलाफ अत्याचार के 50,291 मामले दर्ज हुए। मोदी सरकार के दस सालों में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।ये आंकड़े हमें इस कड़वी सच्चाई का एहसास कराते हैं कि सामाजिक न्याय और समानता के दावों के बावजूद, जातिगत उत्पीड़न की जड़ें हमारे समाज में आज भी गहरी हैं। आज भी ब्राम्हणवादी उच्च जातियों के पास अधिकांश कृषि भूमि का स्वामित्व है। दलितों को संपत्ति ,शिक्षा और जमीन से वंचित रखना मनुवादी जातिवादी व्यवस्था की वह कड़ी है, जो उन्हें न केवल आर्थिक रूप से कमजोर करती है, बल्कि सामाजिक रूप से भी उनके सम्मान और अधिकारों का हनन करती है। 

आज दलितों/ उत्पीड़ितों,आदिवासियों,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमान जनता और महिलाओं के खिलाफ  घोर मनुवादी पितृसत्तात्मक बहुसंख्यकवादी  फासिस्ट दमन बहुत तेज हो गए हैं तो 
इसमें आश्चर्य नहीं  होना चाहिए।क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस के नेतृत्व में पूरे देश और समाज का फासीवादीकरण हो गया है।आरएसएस का वैचारिक आधार निर्मम मनुस्मृति है।जिसके अनुसार तमाम दलित/ उत्पीड़ित,पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय और महिलाओं को मानव का दर्जा  नहीं बल्कि ताकतवर ब्राम्हणवादियों के गुलाम का  दर्जा प्रदान किया गया है।फासिस्ट संघ परिवार का हिंदुराष्ट्र ,महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी सरीखे धन्ना सेठों का हिंदुराष्ट्र है।जिसमें देश के 80 फीसदी बहुजनों की हालत कीड़े मकोड़े से ज्यादा नहीं है।मनुस्मृति आधारित इस हिंदुराष्ट्र का आधार है क्रूर जाति व्यवस्था,जिसे आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन जायज ठहराते हैं। 1947 के पहले के उपनिवेषिक व्यवस्था / गुलामी के दौरान और  1947 के  बाद भी नव उपनिवेशिक व्यवस्था के तहत  शासक वर्गों(  साम्राज्यवाद के दलाल कॉरपोरेट पूंजीपतियों और भूस्वामी वर्ग ) ने जाति व्यवस्था और जातिगत शोषण को न सिर्फ बनाये रखा है, बल्कि इसे अपने फायदे के लिए और इससे तालमेल बिठाकर बेहतर इस्तेमाल भी कर रहा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और आरएसएस मनुवादी फासीवाद  का गठजोड़ एक ऐसी क्रूर जाति व्यवस्था बनाता है जिसमें ग़रीब दलितों/ उत्पीड़ितों को हमेशा शोषित और वंचित बनाए रखा जाता है। साम्राज्यवादी और कॉरपोरेट पूंजीवादी व्यवस्था का मुनाफा तभी सुरक्षित रहता है जब समाज में असमानता,नफ़रत और विभाजन बना रहे। जाति की दीवारें इस असमानता को बनाए रखने का सबसे मजबूत साधन हैं। ब्राम्हणवादी ऊँची जातियाँ, कॉरपोरेट धन्नासेठ  और सत्ता में बैठे लोग मिलकर ग़रीब दलितों की ज़मीनें हड़पते हैं, उन्हें कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर करते हैं और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को रोकते हैं।

असल में भारत और नेपाल में जहां निर्मम जाति व्यवस्था मौजूद है वह दलितों/ उत्पीड़ितों जो कि समाज का बड़ा मेहनतकश वर्ग है के श्रम के अतिरिक्त मूल्य / बेशी मूल्य को लूटने का सबसे बड़ा आयोजन हजारों सालों से शासक वर्गों कर रहा है।

आज जब फासिस्ट आरएसएस  और उसके राजनैतिक उपकरण भाजपा जैसे फासिस्ट संगठन "हिंदू एकता" का नारा लगाते हैं, तो यह सवाल उठता है कि वे दलितों पर होने वाले अत्याचार पर चुप क्यों हैं। असल में, इन्होंने तो शूद्रों ( ओबीसी) या अति शूद्रों( दलित/ उत्पीड़ित) को कभी सनातनी हिंदू माना ही नहीं।सिर्फ चुनाव के समय इन्हें दलितों, उत्पीड़ितों,आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों की याद आती है।जब ये हिंदू खतरे में है कहकर मंदिर और कमंडल के पक्ष में लोगों को मंडल( बहुजन/ दलित राजनीति / दर्शन) से दूर करने का पुरजोर कोशिश करते हैं।इन पार्टियों की राजनीति ही  कॉरपोरेट धनिकों और ऊँची जातियों के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए है। ये संगठन केवल "हिंदू एकता" का मुखौटा पहनते हैं, लेकिन उनके असली एजेंडे में जातिगत भेदभाव और कॉरपोरेट पूंजीवादी हितों की सुरक्षा होती है। जब नवादा जैसी घटनाएँ होती हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि ये पार्टियाँ दलितों के पक्ष में नहीं, बल्कि ऊँची जातियों के दबंगों,भूस्वामियों और पूंजीपतियों के साथ खड़ी हैं। यह उनका पाखंड और दोहरी नीति है।इसीलिए फासिस्ट संघ परिवार,जाति जनगणना का कट्टर विरोधी है।क्योंकि इससे इसके हिंदुराष्ट्र का गुब्बारा फट जायेगा।

नवादा की घटना से हमें यह सबक लेना होगा कि  मनुवादी जातिगत उत्पीड़न और कॉरपोरेट पूंजीवादी शोषण आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। जब तक इस कॉरपोरेट भगवा मनुवादी व्यवस्था को चुनौती नहीं दी जाएगी, तब तक दलितों/ उत्पीड़ितों का शोषण जारी रहेगा।दूसरी महत्वपूर्ण बात है अन्य पिछड़े वर्गों और दलितों में से कुछ तबकों का अति दलित या महा दलितों के प्रति विरोध और उपेक्षा।आरएसएस यही  तो चाहता है कि  पहचान की राजनीति या सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर समाज के 80 फीसदी दलित/ उत्पीड़ित , पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय आपस में लड़ते रहें ।हरियाणा के नूह से लेकर मणिपुर तक संघ परिवार इसी नफ़रत और विभाजन के जहर  को फैला रहा है।आज जरूरत है महा दलितों या दलितों में जो पिछड़े हैं उन तबकों को भी दलितों के बराबर उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान देने की। इसके लिए हमें जाति आधारित जनगणना की मांग को लोकप्रिय बनाते हुए देशव्यापी साझा अभियान चलाना होगा।
आज वक्त की पुकार है कि मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ तमाम दलित / उत्पीड़ित, पिछड़ा वर्ग,आदिवासी समुदाय,गरीब मेहनतकश जनता,अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाएं एक होकर फौलादी एकता बनाएं और एक जातिविहीन धर्मनिरपेक्ष ,लैंगिक समानता और वैज्ञानिक चेतना युक्त समतावादी समाज के निर्माण के लिए साथ साथ  लड़ें।जाति और पूंजी का यह गठजोड़ न केवल दलितों, बल्कि पूरे मेहनतकश समाज के लिए खतरा है। इसे समाप्त किए बिना न तो समाज में सच्ची समानता आएगी और न ही सामाजिक न्याय।

यह समय है कि मेहनतकश शोषित पीड़ित जनता जाति और धर्म की दीवारों को तोड़कर एकजुट हो। यह केवल दलित समुदाय का मुद्दा नहीं है, यह पूरे समाज का मुद्दा है। कॉरपोरेट पूंजीवाद और  भगवा मनुवादी जातिवाद का ख़ात्मा करके ही हम एक ऐसे समाज की स्थापना कर सकते हैं, जहाँ समाज की 80 फीसदी गरीब शोषित/ उत्पीड़ित,  मेहनतकश जनता को समान अधिकार, सम्मान और न्याय मिले।जनता को लूटने वाले कॉरपोरेट भगवा मनुवादी फासिस्ट ताकतों का नाश हो।

—बंडू मेश्राम, एम के डासन,तुहिन
जाति उन्मूलन आंदोलन संयोजक मंडल की ओर से
( संपर्क 9425560952)

नई दिल्ली,22 सितंबर 2024

20/09/2024

जनसंघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़

सितंबर 20, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         प्रेस विज्ञप्ति 


 *जन* *संघर्ष* *मोर्चा* , *छत्तीसगढ़* *ने* *बिलासपुर* *में* ** *फिलिस्तीन* *का* *झंडा* *लहराने* *के* *आरोप* *में* *हिंदूवादी* *संगठनों* *के* *दबाव* *में* *अल्पसंख्यक* *समुदाय* *को* *प्रताड़ित* *करने* *के* *लिए* *पुलिस* *प्रशासन* *की* *कड़ी* *निन्दा* *की* 

बिलासपुर सहित पूरे राज्य में शांति व सौहाद्र के माहौल को बिगाड़ने की साजिश का लगाया आरोप

रायपुर,छत्तीसगढ़,20 सितंबर 2024 ।विदित हो कि गत दिनों ईद के अवसर पर तोरण में फिलिस्तीन के झंडे की आकृति उकेरने को लेकर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ,फासिस्ट संघ परिवार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने पूर्वाग्रह पूर्ण कारवाई की।पुलिस ने फिलिस्तीन का झंडा लहराने के आरोप में मुस्लिम समुदाय के 20-25 लोगों को हिरासत में लिया,तोरण बनाने वालों को  आरोपी बनाया और उन्हें परेशान  करने के लिए जमानत  का भी विरोध किया जा रहा है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने इस पूरे घटनाक्रम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि फिलिस्तीन राष्ट्र को पूरे विश्व जनमत के साथ भारत ने भी लंबे समय से मान्यता दे रखी है।गुट निरपेक्ष आंदोलन के समय से ही भारत ,इजरायल द्वारा फिलिस्तीन पर बलपूर्वक कब्जे का और कत्ल ए आम  का पुरजोर विरोध करता आया है और फिलिस्तीन के मुक्ति संघर्ष का समर्थन करता आया है।लेकिन पिछले दस सालों से अधिक समय से सत्तारूढ़ धुर दक्षिणपंथी मोदी सरकार जो फासिस्ट आरएसएस के मार्गदर्शन में संचालित होती है,ने यहुदीवादी युद्ध अपराधी हत्यारे इजरायल का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करना शुरू किया है।और ये किया जा रहा है इस्लामोफोबिया या मुसलमानों को सारी समस्याओं को जड़ बताते हुए उनको प्रताड़ित करना या हमलों का निशाना बनाते हुए।मोदी सरकार  ,अमरीकी साम्राज्यवाद के निर्देश पर  इजरायल को हथियारों की मदद,कूटनैतिक मदद और रक्षा/ जांच मामलों में परस्पर सहयोग से लेकर इजरायल के आग्रह पर युद्ध ग्रस्त फिलिस्तीन में भारतीय मजदूरों को जान जोखिम में डालकर भेज रही है । पिछले एक वर्ष में इसराइल ने गाज़ा पट्टी,वेस्ट बैंक, सीरिया और लेबनान में 45000 से अधिक निरपराध फिलिस्तीनी नागरिकों को मार डाला है और 90000 से अधिक लोगों को गंभीर रूप से घायल किया है।इनमें से आधे  मरीज और बच्चे हैं।हाल ही में इसराइल की दुनिया में सबसे घृणित आतंकी  गुप्तचर संगठन" मोसाद"( भारत सरकार   देश में पेगासस वायरस के जरिए सरकार  विरोधी लोगों की जासूसी और रक्षा एवम गृह मंत्रालय के कार्यक्रमों   में इसी मोसाद से सहयोग ले रही है ) ने पेजर,मोबाइल फोन आदि में रिमोट कंट्रोल के जरिए विस्फोट करके लेबनान के शरणार्थी शिविरों में कई फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या की ओर बड़े पैमाने पर लोगों को घायल किया है।जब संयुक्त राष्ट्र संघ में इसराइल को फिलिस्तीन में चलाए जा रहे जन संहार को रोकने और फिलिस्तीन पर इसराइल के कब्जे को अवैध ठहराने का प्रस्ताव लाया जाता है तो मोदी सरकार तमाम गुट निरपेक्षता की नीतियों को तिलांजलि देकर इसराइल का समर्थन करते हुए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करती या  बहिर्गमन(वॉक आउट) करती है।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने सवाल उठाया है कि फिलिस्तीन के झंडे को दिखाना कब से आतंकवादी कृत्य हो गया। हमारे देश में कम से कम 20 राज्यों में पूरी दुनिया की तर्ज पर फिलिस्तीन में इसराइल द्वारा संचालित जन संहार को रोकने के लिए प्रदर्शन और सेमिनार आयोजित किए गए हैं,तो क्या मोदी सरकार उन सबको गैरकानूनी करार दे देगी।मोर्चा ने कहा कि हिंदूवादी संगठन,भाजपा सरकार की गरीबी,बेरोजगारी,मंहगाई हर मोर्चे पर घोर असफलता को  ढकने के इरादे से नफ़रत और विभाजन का जहर पैदा कर जनता को भ्रमित करना चाह रही है।जनता को मालूम होना चाहिए कि ये सब राज्य में शांति और सौहार्द के माहौल को बिगाड़ने की साजिश है।फिलिस्तीन राष्ट्र को संयुक्त राष्ट्र संघ ने तीस साल पहले से मान्यता दे रखी है और फिलिस्तीन हमेशा से भारत का मित्र रहा है।आतंकवादी और दुष्ट राष्ट्र अगर कोई है तो वह इजरायल है जो दुनिया को फिर से विश्व युद्ध की आग में झोंक देना चाहता है।जिसके साथ मोदी सरकार गलबहियां डाल रही है।जन संघर्ष मोर्चा ने छत्तीसगढ़ में शांति और सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश रचने वाले संगठनों को चिन्हित कर कारवाई करने की मांग की है।

प्रसाद राव,लखन सुबोध,एडवोकेट शाकिर कुरैशी, सौरा,कलादास,सविता बौद्ध,नीरा डहरिया,तुहिन
(जन संघर्ष मोर्चा 
संयोजक मंडल की ओर से )
संपर्क-9981743344,9301802425,9425560952

18/09/2024

भारतीय राजनीति पर राधेश्याम यादव से सर्वे रिपोर्ट

सितंबर 18, 2024 0

सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज                भारत में  अंत मेरा लोकतंत्र है -हरिशंकर शर्मा     



                                                                                                1.  जिस लोकतंत्र को हम रामराज समझ रहे हैं उसे बड़ी बड़ी कंपनियों के दलाल और एजैंट चला रहे हैं। बीजेपी के पास मंदिर मस्जिद और हिन्दू मुस्लमान के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। 

2.    हमारी लड़ाई हिन्दू मुसलमान ऊंच नीच और जात पात की लड़ाई नहीं है। हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो राजनैतिक संवैधानिक और न्यायिक पदों पर बैठकर लाखों करोड़ का घोटाला कर रहे हैं और देश की जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। 

3.    देश में दल्लों का एक बहुत बड़ा साम्राज्य खड़ा हो चुका है। दल्ले ही सरकार बना रहे हैं और दल्ले की सरकार चला रहे हैं। दल्लों की जीत लोकतंत्र की जीत नहीं हो सकती। दल्लों की कामयाबी एक दिन आपके बच्चों के भविष्य की बरबादी और देश की तबाही का कारण बनेगा। 

4.    सरकार समस्याओं का समाधान करने के बजाय समस्याएं पैदा कर रही है। अदालतें मामलों को और अधिक उलझा रही है। 

5.     पुलिस डाक्टर मीडिया और सरकारी विभाग सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। सरकार फर्जी आंकड़े तैयार कर लाखों करोड़ का घोटाला कर रही है। 

6.    वे चाहते हैं कि हर काम ठेके पर हो। घूंस कमीशन और दलाली का धंधा चलता रहे और लोग पांच किलो राशन लेकर अपनी जुबान बंद रखे। 

7.    योजनाए घोटाले के लिए और कानून देश की जनता को लूटने के लिए बनाए जाते हैं। सरकार दो करोड़ की योजना पर दो हजार करोड़ की योजना तैयार करती है। पैसा नेता और नौकरशाहों में बट जाता है। देश क्या खाक तरक्की करेगा। 

8.     सभी राजनैतिक पार्टियां मिलकर इस देश को लूट रही हैं। सरकार जनता की आंखों में धूल झोंक रही हैं। देश में 250 से अधिक आयोग और 35 हजार से ज्यादा कानून हैं लेकिन आम आदमी को न्याय नहीं है। 

9.    चोर और चौकीदार सब मिले हुए हैं। हमारी कमाई की मलाई को कुत्ते चाट रहे हैं। देश में हो रही लूट हत्या बलात्कार और भ्रष्टाचार के लिए देश का प्रधानमंत्री जिम्मेदार है। 

10.    भारत एक ऐसा देश है जिसमें पुलिस वाला कानून के नाम से लूटता है। नेता सेवा के नाम से लूटता है। डाक्टर इलाज के नाम से लूटता है और वकील न्याय के नाम से लूटता है। 

11.    जो जितने बडे़ पद पर है वो उतना ही अधिक भ्रष्ट है। सरकारी विभाग पहले भी भ्रष्ट थे और आज भी भ्रष्ट हैं। 

12.    देश में 80% नेता  90%  नौकरशाह और  95% जज भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया गया तो ये नेता नौकरशाह और जज पूरे देश को बेचकर खा जाएंगे। 

13.     कानून संविधान और न्याय के मंदिर कमाई दलाली ब्लैकमेलिंग और भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। इन्हें सुधारने की जरूरत है। 

14.    देश की राजनीति और न्याय प्रणाली एक बदनुमा दाग है। इसे साफ करना जरूरी है। देश की सभी सेवाओं का ढांचा भ्रष्ट हो चुका है। देश को एक नई वैचारिक क्रांति की जरूरत है। 

15.    चुनाव से चेहरे बदलते हैं व्यवस्था नहीं बदलती। अब व्यवस्था बदलने की जरूरत है। व्यवस्था परिवर्तन तथा बदलाव के लिए देश को एक नई क्रांति की जरूरत है।

16.    चुने हुए दलालों से लोकतंत्र की उम्मीद नहीं की जा सकती। दलाली करने वाले देश की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएंगे। 

17.    देश को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो कानून और न्याय व्यवस्था को ठीक कर देश की समस्याओं का समाधान कर सके।

Harishankar Sharma

16/09/2024

सत्य गृह राजघाट वाराणसी के छठे दिन मिहिर प्रताप दास

सितंबर 16, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.         *छठा दिन*
16 सितंबर 2024
सत्याग्रह स्थल
राजघाट, वाराणसी
राजघाट वाराणसी 


*न्याय के दीप जलाएं* 
 100 दिनो का सत्याग्रह आज छठे दिन में प्रवेश कर गया। सुबह 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रह की शुरुआत हुई। *उत्कल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष मिहिर प्रताप दास* उपवास पर बैठे हैं। मूलतः ओडिशा के जाजपुर जिले के रहने वाले 58 वर्षीय मिहिर दास 1995 से गांधी विचार के प्रचार- प्रसार में संलग्न हैं।इनका परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहा है और पिता समाजवादी विचार से जुड़े थे और विधायक भी रहे। मिहिर अखबारों में कॉलम लिखते हैं। इनकी पहचान एक समर्पित व्यक्तित्व के रूप में है।

*गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता - मिहिर प्रताप दास*

उपवास सत्याग्रही मिहिर प्रताप दास ने सर्व सेवा संघ परिसर के विध्वंस को दुर्भाग्यपूर्ण और गांधी विचार के लिए चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस परिसर के जरिए समाज में नैतिक, रचनात्मक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को विकसित करने के कार्यक्रम चलाए जाते थे। इसके विध्वंस ने इन प्रयासों पर आघात तो किया है लेकिन गांधी विचार परंपरा- जिसमें विनोबा, जयप्रकाश सभी शामिल हैं, जो भी दुनिया का भला चाहते हैं- अमर है। गांधी विचार को कोई मिटा नहीं सकता। 

*लोकतंत्र की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है* अलख भाई

सर्वोदय आंदोलन के 87 वर्षीय अलख भाई ने आज सत्याग्रह में शामिल होकर कहा कि कल अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस था। पूरी दुनिया में लोकतंत्र को अबतक के सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था के रूप में मान्यता मिली हुई है। हमारे देश में भी स्वतंत्रता आंदोलन के कर्णधारों ने लोकतंत्र की स्थापना की। परंतु आज जिन पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन का दायित्व है, वहीं इसके लिए खतरा बन गए हैं। घर के चिराग से ही घर में आग लग रही है। वर्तमान सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है और कानून का सरेआम उल्लंघन कर रही है। ऐसी स्थिति में हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह आगे आए और लोकतांत्रिक व्यवस्था को न केवल संरक्षित करें बल्कि विकसित भी करें।


 *जब जमीन की टोह में आयुक्त परिसर में आए*

18 जनवरी 2023 को *वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा* नमो घाट के आस- पास हो रहे निर्माण कार्य को देखने के क्रम में सर्व सेवा संघ परिसर में भी आए। इसी क्रम में वे प्रकाशन भवन में भी पहुंचे। प्रकाशन की ओर से उन्हें आचार्य विनोबा की प्रसिद्ध पुस्तक *गीता प्रवचन* और महात्मा गांधी की आत्मकथा *सत्य के प्रयोग* उपहार स्वरूप दिया गया। उम्मीद थी कि *वे इन पुस्तकों से प्रेरित होकर सत्य के रास्ते पर चलेंगे* पर अफसोस है कि उन्होंने *असत्य का रास्ता* चुना और सर्व सेवा संघ परिसर की खरीदी हुई *जमीन को हड़पने के षड्यंत्र* में लगे रहे ।

वास्तव में कौशल राज शर्मा नमो घाट की परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त जमीन की तलाश में आए थे। बसंत कॉलेज के तट पर हेलीपैड बन रहा था और इसके लिए एप्रोच रोड की जरूरत थी। यहां यह उल्लेख कर देना उचित है कि ठीक-दो दिन पहले अर्थात 16 जनवरी 2023 को मोइनुद्दीन नामक एक अज्ञात पहचान वाले व्यक्ति ने उप जिला अधिकारी, सदर वाराणसी के यहां खतौनी से सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर नॉर्दर्न रेलवे का नाम अंकित करने का आवेदन दे दिया था।

रोज की तरह आज शाम को सर्व धर्म प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ सत्याग्रह का समापन हुआ।

आज के सत्याग्रह में 87 वर्षीय अलख भाई, 85 वर्षीय कृष्णा मोहंती, रामधीरज,
अशोक भारत, नंदलाल मास्टर, जागृति राही, शुभा प्रेम, अंतर्यामी बरल, चूड़ामणि साहु, गौरांग चरण राउत, ललित मोहन बेहरा, निलेंद्री साहु और शिवजी सिंह, सुरेश,विद्याधर मास्टर, चेखुर प्रजापति, चौ राजेन्द्र, पंकज भाई आदि शामिल हुए।

रामधीरज 
सर्व सेवा संघ

एस एल ठाकुर द्वारा सभी सदस्यों एवं समाज से अनुरोध

सितंबर 16, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज,     
एस एल ठाकुर द्वारा अनुरोध 

🙏🌹👉सुप्रभात मित्रों, अति आवश्यक सूचना अब यह निर्णय की घड़ी है। आप सभी से आग्रह है कि इस लेख को पूरा पढ़ें और अपने निर्णय से मुझे अवगत करावे जिससे कि हम अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए निरर्थक समय को सार्थकता में बदल सके। आए हम खुद की समीक्षा करते हैं। मेरे दोस्तों यह उनके लिए है जो कि अपने  लक्ष्य का निर्धारण सहित पाने में कहीं न कहीं से  चूकते हैं।आज हमारा आचरण और व्यवहार इतना दूषित हो गया है कि मेरा खुद के ऊपर नियंत्रण ही खो गया है। हम अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं अगर अपने ऊपर नियंत्रण होता तो कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो कि हमें सफल होने से रोक सके। आज असफलता का कारण कोई और नहीं हम खुद हैं क्या आप नहीं जानते कि जब स्वच्छ चरित्र और व्यवहार रूपी दीपक जलता है तो हमारा दुषित चरित्र और व्यवहार रूपी अंधेरा रूठ जाता जिसका परिणाम होता है की अंधेरा ही अंधेरा रहता है चिराग तले रोशनी को लेकर स्वच्छ छवि का आचरण और व्यवहार उस अंधेरे पर निष्प्रभावी होता है। आज इसी का दुष्परिणाम है की अनियंत्रित महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अत्याचार, अन्याय, शासनिक, प्रशासनिक, न्याय प्रणाली के अंतर्गत दमनकारी नीतियां, शैक्षणिक  असमानता, आर्थिक असमानता, जिसके कारण  जीवन बेहद दुखी है जिसका दुष्परिणाम शारीरिक रूप से मानसिक रूप से, पारिवारिक रूप से, सामाजिक रूप से, हम सभी झेल रहे हैं।  एक तरफ हम थोड़ी सी संपन्नता के दिशा में आगे बढ़ते हैं तो दूसरी तरफ हमें नींद की गोली खाकर सोना पड़ता है थोड़ा सा प्रयास करके एक तरफ आगे बढ़ते हैं तो हमारा दूषित आचरण और व्यवहार हमें एक कदम पीछे कर देता है हम जब समीक्षा करते हैं तो अपने आप को वही बातें हैं जहां से कि मैं चलना शुरू किया था। जीवन जीने के लिए मेरे दोस्तों प्रकृति ने हमें जो अन्न, कदं, फल, फूल दिया है अपने स्तर के हिसाब से हम उसे हासिल करके अपना जीवन जीते हैं क्या यही जीवन जीने का हमारा उद्देश्य है। क्या इसीलिए हम जन्म लिए है कि जन्म की किलकारियां घर में गूंजी  और आखिरी मे शमशान तक बेहतर व्यक्तित्व, बेहतर आचरण, बेहतर समाज, और भीतर देश से हमें कुछ लेना देना नहीं है। आए हम सभी मिलकर के अपने आचरण और व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं एक पक्के इरादे के साथ कि हमारा बढ़ता हुआ कदम अब नहीं रुकेगा चाहे कितनो भी बड़ी बाधा  हमारे रास्ते में होगा उस चिट्ठी से सीख लेते हुए जबकि एक चिट्ठी अपने लक्ष्य पर चलती है तो अवरोध की परवाह नहीं करती चाहे उसे जिस रूप में अवरोध का सामना करना पड़े, सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेती है। आए इस संकल्प के साथ हम सभी सामाजिक परिवर्तन के लिए जहां भी जुड़े हैं। नागरिक अधिकार मंच और राष्ट्रीय समाजवादी जनक्रांति क्रांति पार्टी सहित ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन को पूरी ताकत से अपना समर्थन और सहयोग देते हैं।व्यक्तित्व के निर्माण, समाज की निर्माण देश के निर्माण में । 👉👉👉आपसे  से अनुरोध है की  आप हमें अपनी सहमति दें, क्या इस मिशन के साथ जुड़ करके आप अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं। अगर नहीं तो तत्काल ग्रुप से बाहर हो जाए, इसमें कोई बुराई नहीं है। क्योंकि साथ रहकर के साथ ना होना सफलता के लिए मिलकर के प्रयास न करना यह पूरी तरह से गलत साबित हुआ है जिसका दुष्परिणाम संगठन झेल रहा है। आज ही आप निर्णय लें कि हमें क्या करना है  और अपने निर्णय से हमें अवगत  करावे यह लेख उन साथियों के लिए नहीं है जो हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर लगातार मिशन को आगे बढ़ाने में लगे हैं। यह उन लोगों के लिए हैं जो नाम मात्र के अपनी उपस्थिति दर्ज करा करके अंधेरे में रखकर अपने भी चलते हैं और दूसरे को भी रखते हैं जिनकी बातों की कोई प्रबलता नहीं होती। अपना निर्णय अवश्य ले। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए www.roadwaynews.com पर जाएं

15/09/2024

भगत सिंह जयंती पर विशेष जनसमागम: डॉ. पासवान की घोषणा

सितंबर 15, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज
REVOLUTION MAN BABULAL YADAV


 **भगत सिंह जयंती पर विशेष जनसमागम: डॉ. पासवान की घोषणा**

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर एक विशेष जनसमागम का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. पासवान ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा, "28 सितंबर, शनिवार को भगत सिंह के जन्मदिवस पर हम एक विशेष जनसमागम (सेमिनार) का आयोजन कर रहे हैं।" यह घोषणा देश भर में उत्साह और देशभक्ति की लहर लेकर आई है। आइए इस कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालें और समझें कि यह आयोजन क्यों इतना महत्वपूर्ण है।

## भगत सिंह का जीवन परिचय

### बचपन और शुरुआती जीवन

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान में) के बंगा गाँव में हुआ था। उनका परिवार स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय था, जिसने उन्हें बचपन से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर दिया। स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्होंने अपने देश की दुर्दशा और अंग्रेजी शासन के अत्याचारों को समझना शुरू कर दिया था।

### क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होना

युवा भगत सिंह जल्द ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में शामिल होकर अपने क्रांतिकारी सफर की शुरुआत की। उनकी बुद्धिमत्ता और साहस ने उन्हें जल्द ही संगठन के प्रमुख सदस्यों में से एक बना दिया।

## भगत सिंह का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

### महत्वपूर्ण घटनाएँ और कार्य

भगत सिंह के जीवन में कई ऐसी घटनाएँ हुईं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने की घटना, साइमन कमीशन का विरोध, और लाहौर षड्यंत्र केस उनके जीवन के प्रमुख मोड़ थे। इन कार्यों ने न केवल अंग्रेजी सरकार को हिलाकर रख दिया, बल्कि भारतीयों में भी एक नई चेतना जगाई।

### विचारधारा और प्रेरणा

भगत सिंह केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। उन्होंने समाजवाद और मार्क्सवाद का गहन अध्ययन किया और इन विचारधाराओं को भारतीय परिप्रेक्ष्य में लागू करने की कोशिश की। उनका मानना था कि स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक न्याय भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

## जनसमागम का महत्व

### युवाओं को प्रेरित करने का अवसर

यह जनसमागम युवाओं को भगत सिंह के जीवन और विचारों से परिचित कराने का एक बेहतरीन अवसर है। आज के युवाओं को उनके साहस, देशभक्ति और त्याग से प्रेरणा मिल सकती है। यह कार्यक्रम उन्हें बताएगा कि कैसे एक व्यक्ति अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर सकता है।

### राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा

भगत सिंह ने हमेशा धर्म, जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर राष्ट्र को प्राथमिकता दी। इस जनसमागम के माध्यम से हम उनके इस संदेश को आगे बढ़ा सकते हैं और राष्ट्रीय एकता को मजबूत कर सकते हैं।

## कार्यक्रम की रूपरेखा

### मुख्य वक्ता और अतिथि

कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल होंगे। इनमें इतिहासकार, स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज, और प्रमुख राजनेता शामिल हैं। वे भगत सिंह के जीवन, उनके विचारों और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालेंगे।

### विशेष प्रदर्शनियाँ और गतिविधियाँ

जनसमागम में भगत सिंह के जीवन पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके अलावा, उनके जीवन पर आधारित नाटक और संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। छात्रों के लिए निबंध और भाषण प्रतियोगिताएँ भी होंगी।

## भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता

### वर्तमान समय में उनके आदर्शों का महत्व

भले ही भगत सिंह का बलिदान आज से लगभग एक सदी पहले हुआ था, लेकिन उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, और राष्ट्रीय एकता के उनके आदर्श आज के भारत के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।

### युवा पीढ़ी के लिए सीख

आज की युवा पीढ़ी भगत सिंह से बहुत कुछ सीख सकती है। उनका साहस, देशभक्ति, और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने की क्षमता आज के युवाओं के लिए एक आदर्श है। यह जनसमागम उन्हें इन गुणों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देगा।

## समारोह की तैयारियाँ

### स्थान और व्यवस्था

कार्यक्रम एक बड़े सभागार में आयोजित किया जाएगा जहाँ हजारों लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। उचित ध्वनि व्यवस्था और प्रोजेक्शन सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है ताकि हर व्यक्ति कार्यक्रम का पूरा आनंद ले सके।

### सुरक्षा प्रबंध

बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने को देखते हुए, सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय किया जा रहा है ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

## समाज पर प्रभाव

### राष्ट्रीय चेतना का जागरण

यह जनसमागम निश्चित रूप से लोगों में राष्ट्रीय चेतना को जागृत करेगा। भगत सिंह के बलिदान और उनके विचारों को याद करके, लोग अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों के बारे में सोचेंगे और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित होंगे।

### सामाजिक एकता को बढ़ावा

भगत सिंह हमेशा सामाजिक एकता के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि भारत की विविधता उसकी ताकत बने, न कि कमजोरी। यह जनसमागम लोगों को एक साथ लाएगा और समाज में एकता की भावना को मजबूत करेगा।

## निष्कर्ष

डॉ. पासवान द्वारा घोषित यह विशेष जनसमागम न केवल भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने का एक अवसर है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र के इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर चिंतन करने का भी एक मौका है। यह कार्यक्रम हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता कभी भी मुफ्त नहीं मिलती और इसे बनाए रखने के लिए हर पीढ़ी को अपना योगदान देना होता है।

भगत सिंह के जीवन और बलिदान से हमें यह सीख मिलती है कि देश के लिए कुछ भी करना असंभव नहीं है। उनके विचार और आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। यह जनसमागम न केवल उनकी स्मृति को जीवंत रखेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।

आइए, हम सब मिलकर इस अवसर का लाभ उठाएं और भगत सिंह के सपनों का भारत बनाने की दिशा में एक कदम और

13/09/2024

पाम ऑयल हार्ट अटैक का कारण

सितंबर 13, 2024 0
सड़क समाचार: वाराणसी,आपका स्वागत है. ब्रेकिंग न्यूज.          महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त एवम अग्रसारित...
पाम ऑयल हार्ट अटैक का कारण है, इसका प्रयोग न करें 

प्रिय मित्रों! मैं डॉ. भावना हूँ और पीजीआई में बाल चिकित्सा सर्जरी के लिए काउंसलर के रूप में काम कर रही हूँ। मैं आपसे एक छोटा सा अनुरोध करना चाहती हूँ। उससे पहले, मैं आपके साथ एक छोटी सी जानकारी साझा करना चाहती हूँ। आप में से कई लोगों ने आज के समाचार पत्रों में पढ़ा होगा कि EMRI के नतीजे बताते हैं कि Heart Attack आने वाले ज़्यादातर लोग 50 साल से कम उम्र के हैं। *आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसका दोषी Palm Oil है। यह शराब और धूम्रपान दोनों से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है।* *भारत दुनिया में Palm Oil का सबसे बड़ा आयातक है।* Palm Oil का माफिया बहुत बड़ा है। *हमारे बच्चे, जो भविष्य हैं, बहुत बड़े जोखिम में हैं।* इस देश में Palm Oil के बिना कोई भी फ़ास्ट फ़ूड उपलब्ध नहीं है। अगर आप *हमारी किराने की दुकान पर जाएँ, और बच्चों के खाने का कोई ऐसा सामान खरीदने जाएँ जिसमें Palm Oil न हो - तो आप सफल नहीं होंगे।* आपको यह जानकर दिलचस्पी होगी कि *बड़ी कंपनियों के बिस्कुट भी इसी से बनते हैं, और इसी तरह सभी चॉकलेट भी इसी से बनते हैं* हमें यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे स्वास्थ्यवर्धक हैं, लेकिन हम कभी भी *घातक पाम तेल या पामिटिक एसिड* के बारे में नहीं जानते थे। *लेज़* जैसी बड़ी कंपनियां पश्चिमी देशों में अलग तेल और भारत में पाम तेल का उपयोग करती हैं* सिर्फ इसलिए कि यह सस्ता है। हर बार जब हमारा बच्चा पाम तेल वाला कोई उत्पाद खाता है, तो मस्तिष्क अनुपयुक्त तरीके से व्यवहार करता है और हृदय के आसपास और अंदर वसा का स्राव करने का संकेत देता है *इससे बहुत कम उम्र में मधुमेह हो जाता है।* विश्व आर्थिक फॉर्म ने अनुमान लगाया है कि कम उम्र में मरने वाले 50 प्रतिशत लोग मधुमेह और हृदय रोग से मरेंगे। *पाम ऑयल माफिया ने हमारे बच्चों को जंक फूड की लत लगा दी है, जिससे फल और सब्जियां एक तरफ रह गईं, जो हृदय की सुरक्षा करती हैं।* अगली बार जब आप अपने बच्चे के लिए कुछ खरीदें, तो उत्पाद का लेबल देखें। अगर उसमें पाम तेल या पामोलीन तेल या पामिटिक एसिड है, तो उसे खरीदने से बचें! कृपया हमारे बच्चों की रक्षा करें। वे हमारे देश का भविष्य हैं! कृपया इस संदेश को आगे बढ़ाएँ। इसे अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भेजना न भूलें। कृपया ध्यान दें कि इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ। पुनश्च: कृपया बिना संपादन के साझा करें। 🙏🙏